सतना जिला

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आनुवंशिक परिष्कृत बीज
Posted on 11 Dec, 2017 12:28 PM
टर्मीनेटर/जी.एम. तकनीक को कृषि का ‘अणु बम’ कहा गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका की एक जैवप्रौद्योगिकी कम्पनी बायर ने इस तकनीक को पेटेन्ट भी करवा लिया है। इस तकनीक के तहत बनाए गए बीजों की विशेषता है कि उन्हें एक बार ही फसल उत्पादन के लिये उपयोग किया जा सकता है एवं उसके द्वारा ली गई फसल से पुनः आगे फसल नहीं ली जा सकती है। अतः यह स्वाभाविक है कि टर्मीनेटर/जी.एम.
पानी - यानी समृद्धि व स्वावलंबन का टिकाऊ आधार
Posted on 14 Aug, 2017 01:33 PM

प्राकृतिक संसाधनों के समन्वित प्रबंधन के कारण सिंचाई के लिये पानी उपलब्ध हुआ है। कृषि विज

जल संरक्षण हेतु वैज्ञानिक समझ और तकनीकी क्षमता
Posted on 09 May, 2017 04:49 PM
संयुक्त राष्ट्र संघ की ग्लोबल एनवायरन्मेंटल आउटलुक ने जल संकट के लिये वनों की तेजी से होती हुई कटाई को उत्तरदाई ठहराते हुए बताया है कि वनों की कटाई के कारण मिट्टी की ऊपरी सतह बह जाने के फलस्वरूप कृषि योग्य दस प्रतिशत जमीन बंजर हो जाएगी तथा विश्व की आधे से अधिक आबादी पानी की कमी से प्रभावित होगी। इस रिपोर्ट में यह भी चौंकाने वाले तथ्य उजागर किये गये हैं की तीस साल बाद मध्यपूर्वी देशों म
बाँध, बंधिया और चूड़ी
Posted on 25 Oct, 2015 10:53 AM

सतना के बारे में कहा जाता है- यहाँ दो ख्यात स्थल हैं, मैहर और चित्रकूट। कोई एक बार आ जाए

dam
झगड़े में फंसी मां मंदाकिनी की मुक्ति
Posted on 17 Apr, 2014 01:11 PM हनुमानधारा पुल पर पाइप लाइन बिछाने के काम में ब्रिज कारपोरेशन ने फंसाई टांग
6 करोड़ का प्रोजेक्ट: सीवेज लाइन के साथ अधर में लटका वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट
पर्यावरण सुरक्षा
Posted on 19 Sep, 2008 02:28 PM

सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों में संभवत: यह सबसे मुश्किल लक्ष्य है क्योंकि यह मुद्दा इतना सरल नहीं है, जितना दिखता है। टिकाऊ पर्यावरण के बारे में जिस अवधारणा के साथ लक्ष्य सुनिश्चित किया गया है, सिर्फ उस अवधारणा के अनुकूल परिस्थितियां ही तय सीमा में तैयार हो जाए, तो उपलब्धि ही मानी जाएगी।

environment
सूखे पहाड़ों और बंजर जमीन पर फिर लहलहाई हरियाली
Posted on 06 Oct, 2014 01:41 PM मटका पद्धति द्वारा रोपित पौधों को वर्षा के पश्चात् सूखे के समय भी प्रत्येक 15 दिन पर मटके को भरा जाता रहा, जिससे पौधों को जीवन रक्षक नमी मिलती रही और पौधे सूखने से बच गए और साथ ही सघन वानस्पतिक आवरण विकसित करने कि दृष्टि से ‘कंटूर ट्रेंच’ की नई मिट्टी पर ‘स्टाइलो हमाटा’ चारे के बीज को छिटक दिया गया और जैसे ही वर्षा हुई बीजों से अंकुर फूटे और देखते-ही-देखते बंजर पड़ी जमीन और सूखी पहाड़ियों पर हरी चादर-सी बिछ गई। इससे मिट्टी का कटाव रुका, पानी संरक्षित हुआ साथ ही पशुओं के लिए पौष्टिक हरा चारा सहजता से उपलब्ध हुआ। लगभग दो दशक पूर्व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली की मदद से मा. नानाजी देशमुख संस्थापक दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना मध्य प्रदेश के सतना जिले के कृषिगत विकास के योजनानुसार मझगवां में की गई। वनवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थापित इस कृषि विज्ञान केन्द्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती जीवन की मूलभूत आवश्यक्ताओं से जुड़ी हुई थी। पूरे वर्ष पीने का पानी नहीं, दो वक्त की रोटी नहीं, जीविकोपार्जन के लिए वनों पर निर्भरता बढ़ती रही, पेड़ कटते रहे, जंगल घटते रहे परिणामस्वरूप प्राकृतिक रूप से बिछी हरी चादर अस्त-व्यस्त होती चली गई।
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना पर एक जमीनी अध्ययन
Posted on 04 Apr, 2010 12:33 PM आज से चार वर्ष पूर्व जबकि देश भर में रोजगार यात्रायें निकल रहीं थीं, उस समय इन यात्राओं में एक गीत गाया जाता था, जिसके बोल हैं ‘‘मेरे लिये काम नहीं’’। अंततः वर्ष 2005 में रोजगार गारंटी कानून आ गया और देश भर में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को साल भर में 100 दिन के काम की गारंटी मिली।
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