झगड़े में फंसी मां मंदाकिनी की मुक्ति

हनुमानधारा पुल पर पाइप लाइन बिछाने के काम में ब्रिज कारपोरेशन ने फंसाई टांग
6 करोड़ का प्रोजेक्ट: सीवेज लाइन के साथ अधर में लटका वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट

पवित्र मंदाकिनी नदी को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए मंदाकिनी शुद्धिकरण योजना के तहत चित्रकूट के तीन बड़े और गंदे नालों को एक जगह मिला कर उसके बहाव का रुख बदला जाना है। अभी ये तीनों नाले सीधे मंदाकिनी पर आकर गिरते हैं। इसके लिए पहला इंटरमीडिएट पंम्पिग स्टेशन भरतघाट पर प्रस्तावित है। जहां तीनों नालों का पानी रोका जाएगा। इसके बाद इसी पानी को नगर पंचायत कार्यालय के पास प्रस्तावित दूसरे सम्पवेल में लाया जाना है। मध्य प्रदेश में सतना जिले के पवित्र तीर्थस्थल चित्रकूट की पुण्य सलिला मंदाकिनी को प्रदूषण मुक्त करने के मामले में एक ओर जहां ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सख्त कदम उठा रखे हैं, वहीं दूसरी ओर ब्रिज कारपोरेशन की अड़ी के चलते तकरीबन 6 करोड़ की मंदाकिनी शुद्धिकरण योजना अपने पहले ही चरण में झगड़े में फंस गई है। असल में हनुमानधारा पुल पर पाइप लाइन डालने के पीएचई के काम पर एमपी स्टेट ब्रिज कारपोरेशन ने रोक लगा कर नई मुसीबत खड़ी कर दी है।

हाल ही में मंदाकिनी के 2 सौ मीटर लंबे हनुमानधारा पुल पर ब्रिज कारपोरेशन ने यह कह कर रोक लगा दी कि पीएचई ने इस मामले मे उससे बगैर अनुमति लिए पुल पर काम कैसे शुरू कर दिया? इस सिलसिले में जारी नोटिस में ब्रिज कारपोरेशन का तर्क है कि कास्ट आयरन की इस पाइप लाइन से पुल पर तकरीबन 22 टन का अतिरिक्त बोझ आएगा जो उसकी भार वहन क्षमता से ज्यादा है।

कारपोरेशन ने नसीहत दी है कि अगर पीएचई को पाइप लाइन डालनी ही है तो वह उसे पुल के नीचे से बिछाए। कारपोरेशन की आपत्ति से पीएचई के अफसर चकरा गए हैं। जानकारों की मानें तो पुल पर पाइप लाइन बिछाने का काम तकरीबन पूरा हो चुका है। अब अगर नए सिरे से पुल के नीचे से पाइप लाइन डाली जाती है तो अतिरिक्त बजट की जरुरत पड़ेगी। ऐसा प्रोजेक्ट में भी प्रावधान नहीं है।

कोई जवाब तक नहीं:


पीएचई ने इस मामले में ब्रिज कारपोरेशन को चिट्ठी लिखी है। एक माह का अर्सा गुजर जाने के बाद भी कारपोरेशन की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है। ब्रिज कारपोरेशन के असहयोग का नतीजा यह है कि मंदाकिनी को प्रदूषण से बचाने के लिए 7 माह पहले असर में आई मंदाकिनी शुद्धीकरण योजना खटाई में पड़ गई है।

पीएचई के अधिकारियों का कहना है कि 2 सौ मीटर लंबे हनुमान धारा पुल पर पाइप लाइन डालने का काम तकरीबन पूरा हो चुका है। ऐसे में नए सिरे से काम के लिए अलग से वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृतियां लोहे के चने चबाने जैसी हैं। पीएचई ने काम का जिम्मा गोंडवाना कंस्ट्रक्शन कंपनी को दे रखा है।

ये है प्लान:


पवित्र मंदाकिनी नदी को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए मंदाकिनी शुद्धिकरण योजना के तहत चित्रकूट के तीन बड़े और गंदे नालों को एक जगह मिला कर उसके बहाव का रुख बदला जाना है। अभी ये तीनों नाले सीधे मंदाकिनी पर आकर गिरते हैं। इसके लिए पहला इंटरमीडिएट पंम्पिग स्टेशन (सम्पवेल) भरतघाट पर प्रस्तावित है।

जहां तीनों नालों का पानी रोका जाएगा। इसके बाद इसी पानी को नगर पंचायत कार्यालय के पास प्रस्तावित दूसरे सम्पवेल में लाया जाना है। दूसरे सम्पवेल को सिगौड़ी में प्रस्तावित बेस्टेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में ले जाया जाना है। गंदे पानी को यहीं पर उपचारित करने के बाद इसका इस्तेमाल खेती किसानी में करने की प्लानिंग है।

एक अनुमान के मुताबिक सिगौड़ी में प्रस्तावित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में रोज 5 लाख लीटर गंदे पानी के प्यूरीफिकेशन की क्षमता होगी। माना जाता है कि अभी लगभग 50 हजार से 1 लाख लीटर पानी प्रतिदिन इन्हीं गंदे नालों के जरिए मंदाकिनी में जाकर उसकी पवित्रता को भंग करता है।

वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए प्रस्तावित जमीन भी फंसी है झंझट में:


जानकारों के एक दावे के मुताबिक मंदाकिनी शुद्धीकरण योजना के तहत वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए प्रस्तावित 5 हेक्टेयर जमीन भी झगड़े में फंसी हुई है। इन्हीं जानकारों ने बताया कि इस सरकारी भूखंड पर अर्से से कुछ किसानों का कब्जा है। किसान न तो स्वामित्व छोड़ने को तैयार हैं और न ही भूअधिग्रहण के तहत मुआवजे की शर्त ही उन्हें मंजूर है।

जानकार कहते हैं, अवैध कब्जे की इस सरकारी आराजी पर स्वामित्व सिद्ध या अप्रमाणित होने के बाद ही भूअर्जन की प्रक्रिया हो सकती है। इस संकट का समाधान भी फिलहाल संभव नहीं लगता है। अकेले वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 32 हजार 4 सौ वर्गमीटर भूखंड चाहिए। भावी योजना के तहत कुल 5 हेक्टेयर भूभाग का चयन किया गया है।

पुल पर आखिर कितना लोड:


मंदाकिनी नदी पर निर्मित हनुमान धारा पुल पर पाइप लाइन बिछाने से उस पर आखिर कितना अतिरिक्त बोझ बढ़ जाएगा? तकनीकी मामलों के जानकार बताते हैं कि सामान्य स्थितियों में कास्ट आयरन के कुल पाइप का वजन अधिकतम 8 टन से ज्यादा नहीं होगा। इस पर यदि जल का प्रवाह होता है तो यह भार बढ़ कर 22 टन हो जाएगा। यानि जलभार तकरीबन 14 टन रहेगा। ब्रिज कारपोरेशन का मानना है कि पुल इन भार बर्दाश्त करने की क्षमता नहीं रखता है।
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