रतलाम जिला

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जल को दूषित करेंगे प्लास्टिक के तालाब
Posted on 02 Jul, 2016 10:20 AM

प्लास्टिक के तालाबों से एक बड़ा नुकसान यह होगा कि खेत में बने तालाबों का जलग्रहण क्षेत्र

भूजल गिरा, याद आए तालाब
Posted on 08 Apr, 2016 02:23 PM
जिले में भूजल की स्थितिरतलाम। जिले में साल-दर-साल
बंजर पहाड़ी तक पहुँचाया पानी और उगा दिए जंगल
Posted on 04 May, 2015 11:31 AM कहीं सूबे की राजधानी तो कहीं आदिवासी अंचलों में पर्यावरणविदों और कार्यकर्ताओं की जीवटता बनी मिसाल।

सात साल पहले शुरू हुई यह कोशिश अब हरियाली चादर बनकर साफ़ दिख रही है। तब से यहाँ नीम के अलावा कई नए पौधे लग रहे हैं और उनके लिये खाद, पानी, दीमक ट्रीटमेंट और खरपतवार का काम लगातार जारी है। इन सालों में यहाँ हरियाली ही नहीं दिखती है, बल्कि मोर, तोता और कोयल की आवाजों को भी सुना जा सकता है। जीवों को फलदार घर मिल गए हैं। पहले सुरक्षा न होने से कई पेड़ जल गए थे, पर अब ऐसा नहीं है।

इंसान जहाँ अपने लालच के लिये पानी तक को लूट रहा है और उस पर रहने वाले जंगल, जमीन और जानवरों को भी नहीं छोड़ रहा है, वहीं कई बड़े शहरों और सुदूर गाँवों में ऐसे लोग आज भी हैं जो पानी के जरिए एक सुन्दर संसार को बनाने और उसकी रखवाली में लगे हुए हैं।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक पर्यावरणप्रेमी की जिद बंजर पहाड़ी पर जंगल उगा रही है, वहीं रतलाम जिला मुख्यालय से कई कोस दूर जनजाति बाहुल्य गाँवों में सामूहिक प्रयासों से बंजर ज़मीन इस हद तक हरी बन रही है कि यहाँ पचास हजार से ज्यादा आम के पेड़ लोगों की आजीविका का बड़ा सहारा बन गए हैं। जाहिर है उन्होंने पानी से न केवल जंगल, जमीन और जानवरों को खुशहाल बनाया, बल्कि जल से जीवन के सिद्धान्त को अपनी जीवन शैली में उतारा।
मालवा में रेगिस्तान
Posted on 20 Jan, 2010 02:39 PM भारतीय मनीषियों ने हजारों वर्षों से चिंतन– मनन के बाद जलसंचय की विश्वसनीय संरचनायें विकसित की थीं। यह सारी व्यवस्था समाजाधारित थी और इसके केन्द्र में था स्थानीय समुदाय। पिछली लगभग दो शताब्दियों के दौरान इस व्यवस्था की उपेक्षा कर हमारे यहाँ नई प्रणाली पर जोर दिया गया। जिसमें संरचना की परिकल्पना से लेकर उसके निर्माण एवं रखरखाव में समाज का कोई सरोकार नहीं होता है।
जामड़ : हर बंदू को सहेजने का प्रयास
Posted on 29 Aug, 2011 12:44 PM

सन् 1952 में स्वीकृत प्रथम पंचवर्षीय योजना की रणनीति में यह बात मुख्य रूप से थी कि टिकाऊ एवं स्थाई लाभ तभी सुनिश्चित किये जा सकते हैं जब समुदाय की भरपूर भागीदारी हो। पानी की समस्या समाज के हर वर्ग को प्रभावित करती है। इस तथ्य के प्रकाश में समाज के सभी वर्गों का अपेक्षित सहयोग इस अभियान में लेना होगा।

मध्यप्रदेश में जल संरक्षण और संवर्धन कार्यक्रम जन आंदोलन बने इस विचार को केन्द्र में रखकर पिछले वर्ष 10 अप्रैल 2010 को प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रतलाम जिले में जामड़ नदी के पुनरूत्थान के कार्य से प्रादेशिक जलाभिषेक अभियान की शुरुआत की थी।

विकास के \"प्यासे\" प्याऊ
Posted on 27 May, 2010 08:59 AM


रतलाम, मप्र.। राह चलते राहगीर के कदम घड़ीभर का सुकून लेने व अपनी प्यास बुझाने की खातिर पानी की प्याऊ के पास आते ही ठिठक जाते हैं। वर्षो पूर्व शहर में एक दर्जन से अधिक प्यास बुझाने वाले स्रोतों की संख्या एक दर्जन थी, लेकिन आज ये अस्थायी साधन नगर निगम और सामाजिक संस्थाओं की अनदेखी का शिकार हो रहे हैं।

जलाभिषेक अभियान से मध्य प्रदेश की 130 नदियों को नवजीवन देने की कोशिश
Posted on 28 Apr, 2010 07:12 PM मध्य प्रदेश सरकार के प्रदेशव्यापी जलाभिषेक अभियान के तहत सभी 50 जिलों की लगभग 130 ऐसी नदियों और नालों को चिन्हांकित किया गया है जो कभी अपने स्थान विशेष के जीवन रेखा होती थी और अब वे सूखी हो गयी हैं। इन सभी नदियों को प्रदेश में चल रहे जलाभिषेक अभियान के तहत युद्ध स्तर पर पुनर्जीवित करने का कार्य सामूहिक सहभागिता से किया जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने इसकी शुरूआत रतलाम के जामण नदी से की।
डेनिडा परियोजना एवं सहभागिता
Posted on 28 Jan, 2010 11:30 AM भारत एवं डेनमार्क सरकार के मध्य मालवा अंचल में पानी के लिए काम करने का अनुबंध 14 मार्च 1997 को हुआ। परियोजना विकास कार्य तीन जिलों धार के बदनावर, झाबुआ के पेटलावद एवं रतलाम विकासखण्ड के चयनित ग्रामों को लिया गया। यह सम्पूर्ण क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है। अधिकांश परिवार गरीबी रेखा से नीचे निवास करते है, कृषि एवं पशुपालन मुख्य व्यवसाय है।
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