रतलाम। जिले में साल-दर-साल भूजल पाताल में पहुँचता जा रहा है। खासकर गर्मी के दिनों में तो अंचल में पानी के लिये लोगों को तरसना पड़ता है। हैण्डपम्प रुक-रुक कर पानी देने लगते हैं तो ट्यूबवेल पूरी तरह सूख जाते हैं।
इन समस्याओं से निजात दिलाने के लिये सिंचाई विभाग उन गाँवों के आस-पास तालाब बनाने की जमीनें तलाश रहा है। इसके लिये हाल ही में विभाग ने जिले भर में लगभग 10 जगह पर सर्वे कार्य शुरू करते हुये ताला बनाने की सम्भावनाओं को तलाशा है। हालाँकि ज्यादातर जगह सम्भावित तालाब वाले क्षेत्र की जमीन वन विभाग से जुड़ी मिली होने से परेशानियों की आशंका भी बन रही है। इसके बावजूद विभागीय अधिकारियों का मानना है कि ऐसी परेशानियों से वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करवाकर निराकरण कराया जा सकता है। पेयजल संकट से जूझते ग्रामीणों के लिये कुछ तो व्यवस्था करना ही पड़ेगी।
इन गाँवों में तलाशी सम्भावना |
सिंचाई विभाग के अमले ने रतलाम तहसील के सर्वाधिक पेयजल समस्याग्रस्त गाँव कुआझागर, उमरन, सिमलावदा सहित बाजना और सैलाना के गढ़ी कटारा, भूतपाड़ा, आंबा पाड़ा, सकरावदा, कोटिया, रुंडी सहित कुछ गाँव ऐसे भी हैं जहाँ तालाब बनाने के लिये उपयुक्त जगह मिलने की सम्भावना ज्यादा है। उधर लोनिवि के अनुसार सैलाना और बाजना के आदिवासी अंचल सहित रतलाम के दूरस्थ गाँव जहाँ नदी-नालों का अभाव है वहाँ पानी की विकट समस्या है। |
यह देखा जाता है खास |
तालाब बनाने के लिये जो सर्वे किया जाता है, उसमें सबसे पहली बात साध्यता की देखी जाती है कि कहाँ तालाब बनाने लायक परिस्थितियाँ है। ज्यादा पानी संग्रहित हो सके और कम लागत लगे। दूसरा तालाब के लिये जरूरी पानी कितने बड़े क्षेत्र से यहाँ तक पहुँचता है। इसे कैचमेंट एरिया कहा जाता है। ये दोनों स्थितियाँ अनुकूल पाई जाती है तो फिर इसका प्रस्ताव विभाग के माध्यम से भोपाल जाता है और वहाँ से मंजूरी के बाद डीपीआर तैयार करने की कार्रवाई होती है। |
प्रारम्भिक सर्वे कर रहे
तालाबों का निर्माण करने के लिये प्रारम्भिक सर्वे किया जा रहा है। पेयजल समस्याग्रस्त गाँवों में प्राथमिकता है। ज्यादातर जगह जो भूमि डूब में आ रही है वह वन विभाग की है। प्रस्ताव बनाकर भेजते हैं जिस पर वरिष्ठ कार्यालय से निर्णय होगा। हमारी प्राथमिकता है कि ज्यादा लोगों को पानी मिले और तालाबों के जरिये भूजलस्तर में वृद्धि हो। - आरके झामर, एसडीओ सिंचाई विभाग
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