मध्य प्रदेश सरकार के प्रदेशव्यापी जलाभिषेक अभियान के तहत सभी 50 जिलों की लगभग 130 ऐसी नदियों और नालों को चिन्हांकित किया गया है जो कभी अपने स्थान विशेष के जीवन रेखा होती थी और अब वे सूखी हो गयी हैं। इन सभी नदियों को प्रदेश में चल रहे जलाभिषेक अभियान के तहत युद्ध स्तर पर पुनर्जीवित करने का कार्य सामूहिक सहभागिता से किया जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने इसकी शुरूआत रतलाम के जामण नदी से की। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री तथा सामाजिक न्याय मंत्री श्री गोपाल भार्गव ने यह जानकारी दी।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री गोपाल भार्गव ने कहा कि प्रदेश के वासियों को जल संकट से स्थायी रूप से मुक्ति दिलाने के लिये निरंतर चलाये जा रहे जलाभिषेक अभियान को इस बार पुरानी जल संरचनाओं को पुनर्जीवित कर उन्हें स्थाई जल स्त्रोत के रूप में विकसित करने पर केन्द्रित किया गया है। श्री भार्गव ने बताया कि इसके लिये पूरे प्रदेश के 50 जिलों में स्थित उन नदी और नालों की पहचान की गई है जो कभी अपने-अपने क्षेत्रों में लोगों के पेयजल आपूर्ति का प्रमुख स्त्रोत होते थे।
जलाभिषेक अभियान के तहत चिन्हित जिन नदी-नालों को पुनर्जीवित करने का कार्य विभिन्न जिलों में किया जा रहा है वह इस प्रकार है - भोपाल में चमारी नदी, हलाली नदी, वाह्य नदी, सीहोर में सीवन नदी, कोलांस नदी, उलझावन नदी, पार्वती नदी, विदिशा में बेस नदी, बेतवा नदी, केथन नदी, रायसेन में बारना नदी, हलाली नदी, बेतवा नदी, राजगढ़ में पावर्त नदी, नेवज नदी, उज्जैन में क्षिप्रा के नालें, शाजापुर में भाटन नदी, देवास कालीसिंध एवं उसकी सहायक नदियां, रतलाम में जामण नदी, मंदसौर करनाली नाला, नीमच में बोरखेड़ी नदी, बड़वानी में देब नदी, इंदौर में क्षिप्रा नदी, धार में बाघिनी नदी, मान, मंडावदी, उरी, माही, खुज नदी, चामला, नालछा, बलवन्ती, नर्मदा (मनावर) दिलावारा, सादी, धुलसार, खरगौन में खैर कुण्डी नाला, बंधान नाला, हिसलानी नाला, दसनावल नाला, रामकुला नाला, बनिहार नाला, चिचलाय नाला, सिरस्या नाला, खारिया नाला, झाबुआ में पंपावती नदी, नौगावां नदी, सोनार नदी, नेगड़ी नदी, धोबजा नदी, खण्डवा में कालधयी नदी, बुरहानपुर में महोनानदी, उतरवली नदी, जबलपुर में साकौर नदी, बालाघाट में कन्नौर नदी, छिंदवाड़ा में दुधी नदी, कटनी में निवार नदी, मंडला में झामल नदी, नरसिंहपुर में सीगरी नदी, सिवनी में सागर नदी, रीवा में ओड्डा नदी, सतना में अमहानला, सीधी में कुडेर नदी, झिरिया नदी, रेही, सनई, बेनी, तेंदुआ, नरकुई, खामदई, लोबई नदी, सूखा नाला, सिंगरौली में बदिर्या नाला, सागर में सोनार नदी, छतरपुर में श्यामरी नदी, टीकमगढ़ में पटैरिया नदी, पन्ना में मिढ़ासन नदी, दमोह में कोपरा नदी, ग्वालियर में महुअर, नदी, कांठी नदी, अंडेरी नदी, सिरसी नदी, नगदा नदी, भसुआ नाला, बुड़ नदी, शिवपुरी में सरकुला नदी, साडर का नाला, पारोछ नदी, पार्वती का नाला, अशोकनगर में छेवलाई नदी, दतिया में चरबरा नाला, घूधसी नाल, दुर्गापुर नाल, पठारी नाला, बडौनकला नाला, चिरोल नाला, हिनोतिया नाला, बसई नाला, धोर्रा नाला, टोडा नाल, राधापुर नाला, श्योपुर में सीप नदी, अहेली नदी, कोसम नदी, सरारी नदी, बांसुरी नदी, कुंआरी नदी, ईडर (पार्वती), मुरैना में सांक नदी, सोन नदी, आसन नदी, भिण्ड में बेसली नदी, बैतूल में पूर्णा नदी, ताप्ती नदी, होशंगाबाद में दूधी, पलकमती, मोरन, गंजाल, किवलारी, हथेड नदी तथा छोटी नदी, नाले भाजी, निमाचा, इंद्रा एवं लुंगची, हरदा में माचक नदी, सयानी नदी, सांवरी नदी, उमरिया में कथली नाला, डिंडोरी में गोमती नदी, शहडोल में लोरखाना नाला, चूंदी नदी और अनूपपुर में ठेमा नाला, टिपान नदी, बसनिहा नाला, शिवरी चंदांस नाला, केवई नदी शामिल हैं।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री गोपाल भार्गव ने कहा कि प्रदेश के वासियों को जल संकट से स्थायी रूप से मुक्ति दिलाने के लिये निरंतर चलाये जा रहे जलाभिषेक अभियान को इस बार पुरानी जल संरचनाओं को पुनर्जीवित कर उन्हें स्थाई जल स्त्रोत के रूप में विकसित करने पर केन्द्रित किया गया है। श्री भार्गव ने बताया कि इसके लिये पूरे प्रदेश के 50 जिलों में स्थित उन नदी और नालों की पहचान की गई है जो कभी अपने-अपने क्षेत्रों में लोगों के पेयजल आपूर्ति का प्रमुख स्त्रोत होते थे।
जलाभिषेक अभियान के तहत चिन्हित जिन नदी-नालों को पुनर्जीवित करने का कार्य विभिन्न जिलों में किया जा रहा है वह इस प्रकार है - भोपाल में चमारी नदी, हलाली नदी, वाह्य नदी, सीहोर में सीवन नदी, कोलांस नदी, उलझावन नदी, पार्वती नदी, विदिशा में बेस नदी, बेतवा नदी, केथन नदी, रायसेन में बारना नदी, हलाली नदी, बेतवा नदी, राजगढ़ में पावर्त नदी, नेवज नदी, उज्जैन में क्षिप्रा के नालें, शाजापुर में भाटन नदी, देवास कालीसिंध एवं उसकी सहायक नदियां, रतलाम में जामण नदी, मंदसौर करनाली नाला, नीमच में बोरखेड़ी नदी, बड़वानी में देब नदी, इंदौर में क्षिप्रा नदी, धार में बाघिनी नदी, मान, मंडावदी, उरी, माही, खुज नदी, चामला, नालछा, बलवन्ती, नर्मदा (मनावर) दिलावारा, सादी, धुलसार, खरगौन में खैर कुण्डी नाला, बंधान नाला, हिसलानी नाला, दसनावल नाला, रामकुला नाला, बनिहार नाला, चिचलाय नाला, सिरस्या नाला, खारिया नाला, झाबुआ में पंपावती नदी, नौगावां नदी, सोनार नदी, नेगड़ी नदी, धोबजा नदी, खण्डवा में कालधयी नदी, बुरहानपुर में महोनानदी, उतरवली नदी, जबलपुर में साकौर नदी, बालाघाट में कन्नौर नदी, छिंदवाड़ा में दुधी नदी, कटनी में निवार नदी, मंडला में झामल नदी, नरसिंहपुर में सीगरी नदी, सिवनी में सागर नदी, रीवा में ओड्डा नदी, सतना में अमहानला, सीधी में कुडेर नदी, झिरिया नदी, रेही, सनई, बेनी, तेंदुआ, नरकुई, खामदई, लोबई नदी, सूखा नाला, सिंगरौली में बदिर्या नाला, सागर में सोनार नदी, छतरपुर में श्यामरी नदी, टीकमगढ़ में पटैरिया नदी, पन्ना में मिढ़ासन नदी, दमोह में कोपरा नदी, ग्वालियर में महुअर, नदी, कांठी नदी, अंडेरी नदी, सिरसी नदी, नगदा नदी, भसुआ नाला, बुड़ नदी, शिवपुरी में सरकुला नदी, साडर का नाला, पारोछ नदी, पार्वती का नाला, अशोकनगर में छेवलाई नदी, दतिया में चरबरा नाला, घूधसी नाल, दुर्गापुर नाल, पठारी नाला, बडौनकला नाला, चिरोल नाला, हिनोतिया नाला, बसई नाला, धोर्रा नाला, टोडा नाल, राधापुर नाला, श्योपुर में सीप नदी, अहेली नदी, कोसम नदी, सरारी नदी, बांसुरी नदी, कुंआरी नदी, ईडर (पार्वती), मुरैना में सांक नदी, सोन नदी, आसन नदी, भिण्ड में बेसली नदी, बैतूल में पूर्णा नदी, ताप्ती नदी, होशंगाबाद में दूधी, पलकमती, मोरन, गंजाल, किवलारी, हथेड नदी तथा छोटी नदी, नाले भाजी, निमाचा, इंद्रा एवं लुंगची, हरदा में माचक नदी, सयानी नदी, सांवरी नदी, उमरिया में कथली नाला, डिंडोरी में गोमती नदी, शहडोल में लोरखाना नाला, चूंदी नदी और अनूपपुर में ठेमा नाला, टिपान नदी, बसनिहा नाला, शिवरी चंदांस नाला, केवई नदी शामिल हैं।
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