राजस्थान

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थार का अकाल
Posted on 25 Aug, 2009 04:00 PM
थार में फिर अकाल के हालात बन पड़े हैं- इस समय की सबसे खतरनाक पंक्ति को सवाल की तरह कहा जाना चाहिए. दरअसल अकाल को बरसात से जोड़कर देखा जाता है और राजस्थान के अकालग्रस्त जिलों से लेकर जयपुर या दिल्ली तक नेताओं, अफसरों और जनता के बड़े तबके तक यही समझ बनी हुई है. कुछ तो जानबूझकर और कुछ मजबूरी में.
सूखी जड़ों से फूटती हरीं कोंपले
Posted on 19 Aug, 2009 10:18 PM

बाड़मेर जिले की बायतु तहसील-मुख्यालय से कनोड़, पनावड़ा और शहर क्रमशः 15, 23 और 37 किलोमीटर की दूरी पर बसे हैं। सफर के लंबे-लंबे फासले तय करते वक्त सुकून देने वाले हरे पत्ते कहीं नहीं दिखते। आखिर कनोड़ गांव की रूकमा देवी के आंगन में लहलहाती सब्जियों को देख तबीयत हरी हुई। यूं तो यह सामान्य बात लगती है कि रूकमा देवी इस मौसम में 100 से 135 किलोग्राम तक सब्जियां उगा लेती हैं लेकिन जो यहां की धरती
नरेगा की शिकायत दर शिकायत
Posted on 21 Jul, 2009 08:42 PM
90 दिन में 700 शिकायतें....मामला राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री तक पहुंचा....क्रियान्विति में अव्वल, अब भ्रष्टाचार में टॉप पर... महानगर संवाददाता.. जयपुर, 21 जुलाई। नरेगा की क्रियान्विति में अव्वल रहने वाला राजस्थान अब इसमें हो रहे भ्रष्टाचार में भी सिरमौर हो गया है। मामला राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री कार्यालय तक जा पहुंचा है। उन्होंने राज्य सरकार से शिकायतों के जवाब तलब किए हैं।...स्थिति यह है कि गुजरे 90 दिन की अवधि में 691 शिकायतें मिल चुकी हैं। नरेगा के सहारे वोट लेने वाली गहलोत सरकार भी शिकायतों की संख्या से हैरत में है।
डूंगरपुर की रोजगार गारंटी योजना – परिवर्तन के चिन्ह
Posted on 19 Jul, 2009 07:24 PM

एक महत्वपूर्ण सॉशल ऑडिट की रिपोर्ट से पता चला है कि राजस्थान के डूंगरपुर में जहाँ लोग रोजगार को लेकर चुनौतियों से जूझ रहे थे, वहाँ अब सार्वजनिक कार्यों में रोजगार में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

देश के बेहद गरीब ग्रामीण इलाकों में एक “खामोश क्रान्ति” की शुरुआत हो चुकी है। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (नरेगा), देश के चुनिन्दा जिलों में 2 फ़रवरी से प्रारम्भ हो चुका है और इससे इन जिलों की तस्वीर बदलने लगी है। राजस्थान से चुने गये छः जिलों में से एक है डूंग़रपुर, जिसे नरेगा लागू करने हेतु प्रथम चरण में चुना गया है। यहाँ किये गये एक सॉशल ऑडिट के अनुसार पता चला है कि गरीब ग्रामीणों के जीवन में गत दो माह में ही सुधार हुआ है। यहां आधे से अधिक परिवारों का कम से कम एक सदस्य नरेगा के तहत रोजगार पा चुका है।

यह सामाजिक परीक्षण रिपोर्ट अप्रैल के अन्त में जाँची गई, जिसमें 11 राज्यों के 600 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। आस्था संस्थान और मज़दूर किसान शक्ति संगठन (MKSS)
छाया नरेगा व पानी का मुद्दा
Posted on 17 Jul, 2009 10:19 PM
देवगढ़। देवगढ़ पंचायत समिति की साधारण सभा की गत दिवस हुई बैठक में विकास के कई प्रस्ताव पारित किए गए। बैठक में नरेगा व पेयजल आपूर्ति के मुद्दे पर चर्चा हुई। बैठक की अध्यक्षता प्रधान चिरंजीलाल टाक ने की।
महिलाओं, मजदूरों से पूछें नरेगा के मायने
Posted on 03 Jul, 2009 12:59 PM


शहर के लोग नहीं जानते रोज़गार योजना के लाभ; पर ग्रामीण भारत में महिलाओं, दलितों और मजदूर वर्ग को अधिकार, सम्मान और न्याय मिलता नज़र आया है. ख़ासकर महिलाओं, दलितों और मजदूरों के लिए रोज़गार गारंटी का क़ानून तीन बड़े शब्दों को साकार करता नज़र आता है.... अधिकार, सम्मान और न्याय.

बिग मेडिसन की अनूठी पहल
Posted on 02 Jul, 2009 02:20 PM

उदयपुर के स्कूलों में पर्यावरण और वर्षाजल संचय के बारे में जागरूकता अभियान

बिग मेडिसन उदयपुर का एक गैर सरकारी संगठन है जो संयुक्त राज्य अमेरिका में पंजीकृत हैं. यह संस्था पिछले 20 वर्षों से उदयपुर में पर्यावरण के क्षेत्र में सक्रिय है. 2008-2009 में इन्होंने स्थानीय स्कूलों में पर्यावरण शिक्षा को स्थायी बनाने के लिए प्राचार्यों के साथ कई बैठकें की. इसी वर्ष 11 मई को कुछ स्थानीय संस्थाओं के सहयोग से शिक्षकों के लिए उदयपुर का पहला ग्रीन महोत्सव आयोजित किया.
जयपुर का पानी
Posted on 26 Jun, 2009 10:03 AM
पानी का अगला घूँट पीने से पहले थोड़ा रुकिये, क्या आप आश्वस्त हैं कि यह पानी पीने के लिये सुरक्षित है?
पक्षियों के हिस्से का पानी पी गया इंसान
Posted on 25 Jun, 2009 08:46 AM

पानी की किल्लत हो तो इंसान बोतलबंद पानी खरीद सकता है या फिर सरकार को बाध्य कर सकता है कि व्यवस्था उनके लिए पानी की व्यवस्था करे. लेकिन पक्षियों का क्या? पानी तो पक्षियों को भी चाहिए. लेकिन मनुष्य की स्वार्थ बुद्धि कितनी जटिल हो गयी है कि उसने अपने अलावा प्रकृति में सबके लिए जीवन के दरवाजे बंद कर दिये हैं.
निमंत्रण- राष्ट्रीय सेमिनार
Posted on 22 Jun, 2009 12:59 PM

'जियो-हाइड्रोलॉजिकल परिवर्तन और इसके पर्यावरणीय प्रभाव पर राष्ट्रीय सेमिनार'


स्थान- भीकमपुरा, अलवर, राजस्थान.

तिथि- 6-8 जुलाई, 2009

संगोष्ठी का मुख्य फोकस- समुदाय की भागीदारी से जल संचयन को प्रोत्साहित करना और परंपरागत दृष्टिकोण से भूजल पुनर्भरण की तकनीकों के प्रभाव का विश्लेषण करना होगा.
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