नरेगा की शिकायत दर शिकायत

90 दिन में 700 शिकायतें....मामला राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री तक पहुंचा....क्रियान्विति में अव्वल, अब भ्रष्टाचार में टॉप पर... महानगर संवाददाता.. जयपुर, 21 जुलाई। नरेगा की क्रियान्विति में अव्वल रहने वाला राजस्थान अब इसमें हो रहे भ्रष्टाचार में भी सिरमौर हो गया है। मामला राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री कार्यालय तक जा पहुंचा है। उन्होंने राज्य सरकार से शिकायतों के जवाब तलब किए हैं।...स्थिति यह है कि गुजरे 90 दिन की अवधि में 691 शिकायतें मिल चुकी हैं। नरेगा के सहारे वोट लेने वाली गहलोत सरकार भी शिकायतों की संख्या से हैरत में है। सरकार के काबू से बाहर हुई इस योजना की शिकायतें अब ब्यूरोक्रेसी पर गाज गिरने का कारण भी बनने जा रही है। नरेगा राज्य में संभवत: पहली योजना है जिसने शिकायतों का यह रिकार्ड बनाया है।

नरेगा में भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कलेक्टर कांफ्रेंस में भी चिंता जाहिर की और निर्देश दिए थे कि इसकी रोकथाम के लिए तुरंत प्रभावी योजना बनाई जाए। इसके बाद पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर भ्रष्टाचार पर काबू करने का प्रयास किया गया। मुख्य सचिव कुशलसिंह ने भी मौके पर जाकर नरेगा कार्यों का निरीक्षण किया लेकिन फिलहाल भ्रष्टाचार की शिकायतों का सिलसिला नहीं थमा है।
नरेगा में भ्रष्टाचार को लेकर विधायकों में भी कम आक्रोश नहीं है। विधानसभा के बजट सत्र में नरेगा को लेकर करीब 50 प्रश्न पूछे जा चुके हैं और 30 प्रश्न लाइन में हैं।
सूत्रों का कहना है कि एक अप्रेल से लेकर 10 जुलाई तक नरेगा के बारे में 691 शिकायतें मिल चुकी हैं। इन शिकायतों को लेकर अफसरशाही में भी हड़कंप मचा हुआ है।

क्यों बढ़ा भ्रष्टाचार

जानकारों का कहना है कि नरेगा में भ्रष्टाचार के पीछे आगामी स्थानीय निकाय चुनाव अहम कारण है। लॉटरी सिस्टम होने के कारण सरपंच मान रहे हैं कि आगामी चुनाव में वे अपनी ग्राम पंचायत से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इसलिए वे अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में अपने लोगों को उपकृत करने में लगे हैं। वे नियमों के विपरीत लोगों को लाभ दे रहे हैं। राजनीतिक लाभ-हानि का खेल होने के कारण शिकायतों की संख्या बढ़ती जा रही है। अधिकारी भी राजनीतिक दबाव होने के कारण इनके खिलाफ कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं।

कैसी-कैसी शिकायतें

1. जॉब कार्ड किसी का और कार्य अन्य व्यक्ति कर रहा है।
2. बिना कार्य हुए ही पांच-पांच मस्टरोल स्वीकृत कर अपने लोगों को मजदूरी का भुगतान कर दिया।
3. चहेते लोगों को टॉस्क कम दी जा रही है।
4. मेट एवं सामान्य कार्य वृद्ध एवं विकलांग को सौंपने के निर्देश के बावजूद सरपंचों ने चहेतों को सौंपा यह काम।
5. जॉब कार्ड में फोटो बदलकर धोखाधड़ी।
6. मजदूरी के भुगतान में कमीशन लेने का आरोप।
7. बैंकों द्वारा खाता खोलने में दिक्कत।
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