महोबा जिला

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पानी
Posted on 19 Jan, 2014 04:35 PM देह अपना समय लेती ही है

निपटाने वाले चाहे जितनी जल्दी में हों

भीतर का पानी लड़ रहा बाहरी आग से

घी जौ चन्दन आदि साथ दे रहे हैं आग का

पानी देह का साथ दे रहा है

यह वही पानी था जो अंजुरी में रखते ही

खुद-ब खुद छिरा जाता था बूंद-बूंद

यह देह की दीर्घ संगत का आंतरिक सखा-भाव था
आकार लेता हूँ
Posted on 19 Jan, 2014 03:36 PM मै जल

उस पात्र का आकार लेता हूं

जिसमें होता हूँ

चक्र और गोल

मिट्टी का घड़ा बन जाता हूँ

लम्बी और पतली

बोतल सी देह में ढल जाता हूँ

अथवा मेज पर पडा़ गिलास

जिस पात्र में प्रवेश

वही वर्ण,वही वेश

मै हूँ कि देखी तुमने पारदर्शिता

मैं हूं कि दृश्यमान हुई तरलता
गोकुल का तालाब बना तो बनने लगा आशियाना
Posted on 18 Jan, 2014 09:39 PM तालाब के नए अर्थशास्त्र को गांव के किसानों तक पहुंचाने का प्रयास अप
इन्हें पानी क्या मिला,सजाली पत्थरों में फसल
Posted on 18 Jan, 2014 09:34 PM किसान को पानी में फसल लेने के बहुतेरे अनुभव रहे हैं। इसीलिए उसे इस
पुरखों के दफन खजाने से बेखबर वारिस किसान
Posted on 16 Jan, 2014 07:00 PM 16 जनवरी/2014/बुन्देलखण्ड क्षेत्र उत्तरप्रदेश में जन्में जमीदार परिवार के वारिस किसान को अपने बाबा-परबाबा की अकूत सम्पति और उनकी जमीदारी के गांवों की फेहरिस्त मुंह जबानी याद है। एक जमाने में देश के सुदूर क्षेत्र से आकर इस इलाके के गांव कहरा के जमींदार की सम्पत्ति जमीदारी की देख-रेख बावत नियुक्ति होने का कारण इनके परदादा की शिक्षा-दिक्षा थी। कुछ समय बाद उस जमींदार परिवार के वारिस भी बनने का सौभाग्
जवाहर ने समझी तालाब की जरूरत
Posted on 15 Jan, 2014 11:20 PM जनवरी/२०१४/महोबा जिले के सूपा गांव में अकेला एक जवाहर नहीं है। इस गाँव में दर्जनो ऐसे जवाहर किसान है। जिनके पास अपनी जमीन तो है पर पानी का पुख्ता इंतजाम नहीं है। हर साल बादल घुमड़ते है। वर्षा भी होती है पर यहाँ तो यह मान बैठे है कि ये पानी चौमासे का है। खेत के लिए तो कुंवा,बोरिंग,और नहर का पानी आता है। अचानक नहीं, सीढ़ी-दर सीढ़ी समझते-समझाते, देखते-दिखाते, करते-कराते योजनाबद्ध तरह से जिले के वि
पानी का स्वाद
Posted on 15 Jan, 2014 06:02 PM अकड़ कर कहता है नमक –

मै तो हूँ नमक

मै कभी नहीं बदलता अपनी राय,

और पानी मे घुल जाता :

इतरा कर कहती शकर -

मै तो हूँ मीठी

मीठी ही रहूंगी हमेशा,

और पानी मे घुल जाती :

इसी तरह खट्टा,कडुवा,तीता,बकठा...

हर स्वाद अपनी –अपनी

अकड़ और ऐंठ लिए

घुल जाता पानी में ।
भागीरथ का गिलहरी प्रयास
Posted on 13 Jan, 2014 10:54 PM कानपुर में गंगा स्वच्छता के लिए भागीरथ डी.आर. दि्वेदी का गिलहरी प्रयास वर्षो से जारी है। हर सुबह नाव पर गंगा की लहरों से अठखेलियां करते भागीरथ की प्रदूषण मुक्ति यात्रा कई किलोमीटर का सफर तय करते हुये आधा दर्जन घाटो से गुजरती है। लोगों में जागरूकता की अलख जगाने के साथ ही वह कूड़ा बीनने और गंदगी निकालने में मशगूल दिखते है।
बांध के पानी की लगाम किसान भूरा के हाथ होती तो शायद ..........
Posted on 12 Jan, 2014 11:17 PM 12 जनवरी 2014 बुन्देलखण्ड / के महोबा जिले में सूपा गांव के किसान भूरा पुत्र नथुवा कहने को तो बृहद किसानों की श्रेणी में आते है। ये अच्छी किश्म की मिट्टी वाले खेत के भूस्वामी भी है। हां इनके खेत तक कभी कभार पचपहरा बांध से आने वाले माइनर से पानी भी मिल जाता है। इस पानी के मिलने से फसल उत्पादन का बढ़ना लाजिमी बात है। पर यह अवसर स्थाई नहीं मिलता । जिससे लाभ- हानि बराबर हो जाती है। बांध के इस पानी की ल
बुन्देलखंड का भूस्वामी बना दिल्ली का मजदूर
Posted on 12 Jan, 2014 10:37 PM बुन्देलखण्ड में महोबा जिले के सूपा गांव का किसान श्रीपत पुत्र धुपकइयां दिल्ली में रहकर मजदूरी से अपने परिवार का भरण पोषण करता है।
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