अकड़ कर कहता है नमक –
मै तो हूँ नमक
मै कभी नहीं बदलता अपनी राय,
और पानी मे घुल जाता :
इतरा कर कहती शकर -
मै तो हूँ मीठी
मीठी ही रहूंगी हमेशा,
और पानी मे घुल जाती :
इसी तरह खट्टा,कडुवा,तीता,बकठा...
हर स्वाद अपनी –अपनी
अकड़ और ऐंठ लिए
घुल जाता पानी में ।
पानी कहता –मै हूँ जीवन,
हर स्वाद के लिए जगह है मुझमे,
माध्यमिक हैं मेरी क्षमताएं,
समास हूँ विभिन्नताओं के बीच,
रूप मॆं अरूप में अपरूप में
बहती हैं मेरी समावेशी संस्कृति की धाराएँ…
संकलन/प्रस्तुति-
नीलम श्रीवास्तवा,महोबा उत्तरप्रदेश
मै तो हूँ नमक
मै कभी नहीं बदलता अपनी राय,
और पानी मे घुल जाता :
इतरा कर कहती शकर -
मै तो हूँ मीठी
मीठी ही रहूंगी हमेशा,
और पानी मे घुल जाती :
इसी तरह खट्टा,कडुवा,तीता,बकठा...
हर स्वाद अपनी –अपनी
अकड़ और ऐंठ लिए
घुल जाता पानी में ।
पानी कहता –मै हूँ जीवन,
हर स्वाद के लिए जगह है मुझमे,
माध्यमिक हैं मेरी क्षमताएं,
समास हूँ विभिन्नताओं के बीच,
रूप मॆं अरूप में अपरूप में
बहती हैं मेरी समावेशी संस्कृति की धाराएँ…
संकलन/प्रस्तुति-
नीलम श्रीवास्तवा,महोबा उत्तरप्रदेश
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Post By: pankajbagwan