उद्देश्य-
विशेषकर स्कूली बच्चों के लिए सुनिश्चित करना कि गांव में पैदल चलते समय वे हमेशा चप्पल पहनें, और महिलाएं पेयजल को निथारने की अच्छी तकनीकें सीखें।
स्थिति-
भारत में वर्तमान स्वच्छता अभियान का प्रमुख लक्ष्य मनुष्यों द्वारा खुले में शौच करने की आदत को दूर करना है! इसके अतिरिक्त मनुष्यों एवं जानवरों के माध्यम से संचारित दुनियाभर में रोगजनित स्वास्थ्य समस्याओं का एक और पहलू है जिसकी अवहेलना की जा रही है। इसका एक विशेष उदाहरण जमीन के नीचे पनपने वाले कीड़े हैं जैसे हुकवार्म तथा टेपवार्म जो जमीनी प्रदूषण के माध्यम से मनुष्य के नंगे पैरों की त्वचा अथवा मुंह से होते हुए मनुष्य के शरीर में प्रवाहित हो जाते हैं। पानी में गंदगी जानवरों की अपशिष्ट के साथ-साथ बिखरे पड़े बालू, धूल और सब्जियों द्वारा भी उत्पन्न हो जाती है। इसे दूर करने का परंपरागत तरीका पानी संग्रहित करते समय उसे किसी कपड़े की एक परत से निथारना हो सकता है। यह तकनीक परजीवियो, रसौली और कृमियों को दूर नहीं करती है और इन्हें क्लोरीनीकरण से भी नहीं मारा जा सकता है।
सर्वोत्तम पद्धतियां:
जलगांव जिले के चालीसगांव तालुका के मालशेवगा गांव की जलस्वराज परियोजना के तहत समुदाय की गतिशीलता के परिणामस्वरूप परियोजना के उद्देश्यों को प्रोन्नत करने के लिए महिलाओं के समूह सक्रिय हो गए हैं। गांव की महिलाओं को बच्चों के लिए चप्पलों के लाभों के प्रति जागरूक किया जा रहा है और महिलाओं की सभाओं के दौरान पेयजल को निथारने वाली अच्छी विधियों के बारे में जलस्वराज परियोजना में उनकी जिम्मेदारियों और भूमिकाओं का वर्णन किया गया1 इसमें स्कूल के अध्यापकों तथा युवा समूह ने काफी सहयोग दिया है और अब इसे सभी परिवारों द्वारा संपूर्ण गांव में क्रियान्वित किया जा रहा है।
हालांकि व्यक्तिगत स्वच्छता से ऐसे रोगों की रोकथाम में मदद मिलेगी जिनमें कीड़े बच्चों की अंतडि़यों में प्रवेश कर जाते हैं। इसकी एक अच्छी विधि यह सुनिश्चित करना हो सकती है कि बच्चों को घर के बाहर हर समय चप्पल पहनने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। पानी में गंदगी को दूर करने और स्वास्थ्य प्रभाव हेतु कपड़े की चार परत बनाकर जल को निथारने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
विशेषकर स्कूली बच्चों के लिए सुनिश्चित करना कि गांव में पैदल चलते समय वे हमेशा चप्पल पहनें, और महिलाएं पेयजल को निथारने की अच्छी तकनीकें सीखें।
स्थिति-
भारत में वर्तमान स्वच्छता अभियान का प्रमुख लक्ष्य मनुष्यों द्वारा खुले में शौच करने की आदत को दूर करना है! इसके अतिरिक्त मनुष्यों एवं जानवरों के माध्यम से संचारित दुनियाभर में रोगजनित स्वास्थ्य समस्याओं का एक और पहलू है जिसकी अवहेलना की जा रही है। इसका एक विशेष उदाहरण जमीन के नीचे पनपने वाले कीड़े हैं जैसे हुकवार्म तथा टेपवार्म जो जमीनी प्रदूषण के माध्यम से मनुष्य के नंगे पैरों की त्वचा अथवा मुंह से होते हुए मनुष्य के शरीर में प्रवाहित हो जाते हैं। पानी में गंदगी जानवरों की अपशिष्ट के साथ-साथ बिखरे पड़े बालू, धूल और सब्जियों द्वारा भी उत्पन्न हो जाती है। इसे दूर करने का परंपरागत तरीका पानी संग्रहित करते समय उसे किसी कपड़े की एक परत से निथारना हो सकता है। यह तकनीक परजीवियो, रसौली और कृमियों को दूर नहीं करती है और इन्हें क्लोरीनीकरण से भी नहीं मारा जा सकता है।
सर्वोत्तम पद्धतियां:
जलगांव जिले के चालीसगांव तालुका के मालशेवगा गांव की जलस्वराज परियोजना के तहत समुदाय की गतिशीलता के परिणामस्वरूप परियोजना के उद्देश्यों को प्रोन्नत करने के लिए महिलाओं के समूह सक्रिय हो गए हैं। गांव की महिलाओं को बच्चों के लिए चप्पलों के लाभों के प्रति जागरूक किया जा रहा है और महिलाओं की सभाओं के दौरान पेयजल को निथारने वाली अच्छी विधियों के बारे में जलस्वराज परियोजना में उनकी जिम्मेदारियों और भूमिकाओं का वर्णन किया गया1 इसमें स्कूल के अध्यापकों तथा युवा समूह ने काफी सहयोग दिया है और अब इसे सभी परिवारों द्वारा संपूर्ण गांव में क्रियान्वित किया जा रहा है।
हालांकि व्यक्तिगत स्वच्छता से ऐसे रोगों की रोकथाम में मदद मिलेगी जिनमें कीड़े बच्चों की अंतडि़यों में प्रवेश कर जाते हैं। इसकी एक अच्छी विधि यह सुनिश्चित करना हो सकती है कि बच्चों को घर के बाहर हर समय चप्पल पहनने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। पानी में गंदगी को दूर करने और स्वास्थ्य प्रभाव हेतु कपड़े की चार परत बनाकर जल को निथारने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
Path Alias
/articles/savaasathaya-saurakasaa
Post By: admin