स्‍थानीय सहकारिता और शौचालय निर्माण

पूर्व शर्तें :
यहां के गरीब लोग शौचालय निर्माण के लिए पैसे की कठिनाई का समाना कर रहे थे। जलापूर्ति के साथ-साथ जलस्‍वराज परियोजना के अंतर्गत शौचालयों का निर्माण और स्‍वच्‍छ गांव का निर्माण एक प्रमुख कार्य था।

परिवर्तन की प्रक्रिया: :
रिठारे हरनाक्‍शा गांव में महिलाओं का एसएचजी संपूर्ण रूप से अपना कार्य कर रहा है। एसएचजी के सदस्‍य बहुत सक्रिय हैं और गांव की विभिन्‍न विकासात्‍मक गतिविधियों में संलिप्‍त हैं। अब एसएचजी आंतरिक ऋण देने में भी सक्षम हो गए हैं और आरएसएम जैसी अन्‍य गतिविधियों को भी चला रहे हैं। जलस्‍वराज परियोजना की शुरूआत से ही समिति के सभी सदस्‍यों ने 100 प्रतिशत शौचालय निर्माण के कार्य में सतत् प्रयास किए हैं।

शौचालय निर्माण के लिए जो ग्रामीण पर्याप्‍त राशि नहीं जुटा पाए थे उनके लिए एसएचजी और एक स्‍थानीय सहकारी साख समिति एक वरदान लेकर आई। प्रियदर्शनी पट संस्‍था (सहकारी साख समिति) ने शौचालय निर्माण के लिए 12 प्रतिशत ब्‍याज दर से 70 ऋण प्रस्‍तावों को मंजूरी दी। इन सभी 70 मामलों में एसएचजी अपने सदस्‍यों का जमानती बना। एसएचजी के सहयोग के कारण सदस्‍यों को ऋण प्राप्‍त हुआ। इस प्रकार स्‍थानीय साख समिति और एसएचजी जो दोनों ही ग्रामीणों द्वारा चलाई जा रही हैं, ने अपने साथी ग्रामीणों के लिए वित्त प्रदान करने का एक उदाहरण प्रस्‍तुत किया है। रिठारे हरनाक्‍श अपने ग्रामीणों के बीच ऐसे सहयोग और सहकारिता के कारण आने वाले समय में अपने गांव को खुले में शौच मुक्‍त गांव बनाने के लिए तेजी से कार्य कर रहा है। वास्‍तव में दूसरे गांवों तथा ग्राम स्‍तरीय साख समितियों को इससे सीख लेनी चाहिए।

भाव: :
ज्‍यादातर ग्रामीण शौचालय निर्माण के प्रति जागरूक हैं और उन्‍हें वित्त संबंधी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा था। गांव में इस समस्‍या का हल एसएचजी ने कर दिया था1 एसएचजी ने इन ग्रामीणों की जिम्‍मेदारियों को आगे बढ़कर अपने हाथों में लिया और शौचालय निर्माण के लिए ऋण की सुविधा उपलब्‍ध कराई। इनके संयुक्‍त प्रयास फलदायी सिद्ध हुए और अब रिठारे हरनाक्‍शा आने वाले समय में अपने गांव में 100 प्रतिशत शौचालय निर्माण के लक्ष्‍य को पूरा करने के निकट ही है।

जलापूर्ति एवं स्‍वच्‍छता विभाग, महाराष्‍ट्र सरकार

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