मेरठ जिला

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स्कूली बच्चों से सीखें जल की बचत करना
Posted on 06 Dec, 2013 03:13 PM

जल के विभिन्न स्रोतों के जरिए हम उनका सदुपयोग करें जिससे हमारा समाज आर्थिक तरक्की कर सके। अब तो

बच्चों ने किया विद्यालय में जल का ऑडिट
Posted on 06 Dec, 2013 01:15 PM प्रकृति के साथ मनुष्य की बेहूदा छेड़छाड़ के चलते सदियों से चरेवतिः
जैव विविधता एवं जल प्रबंधन का पाठ पढ़ाता एक विद्यालय
Posted on 09 Nov, 2013 04:11 PM
बुढ़ाना- कांधला मार्ग पर स्थित एक सरकारी स्कूल पूर्व माध्यमिक विद्यालय राजपुर-छाजपुर जैव विविधता एवं जल प्रबंधन को लेकर बहुत ही सजग है। इस विद्यालय में कक्षा 6 से कक्षा 8 तक 306 बच्चे पढ़ते हैं। यह विद्यालय 22 बीघे ज़मीन पर बना है। जिसमें आम व अमरूद का बाग भी हैं। इस विद्यालय में 12 अध्यापक हैं जो बच्चों को पढ़ाने में बहुत रूचि रखते हैं। यह विद्यालय जनपदीय परिषदीय विद्यालयों के खेलों में भी पुरस्कार जीतकर अपनी धाक जमाता रहा है। शिक्षक इन गतिविधियों के प्रमुख संचालक हैं। वें विद्यार्थियों को ऐसे गुणों को विकसित करने में सहयोग व दिशा निर्देशन देते हैं। जिससे वे पौधों, जीव-जंतुओं के मित्र बन जाएं। विद्यार्थियों को निरीक्षण एवं कार्य से जोड़कर तथा ज्ञान, कौशल एवं मूल्यों के विकास को बढ़ावा देकर पाठ्यक्रम सहगामी गतिविधियों के द्वारा उनके लक्ष्यों को प्राप्त करते हैं। भारत में जल संचय के प्रमाण प्राचीनतम लेखों, शिलालेखों और स्थानीय रस्म-रिवाजों तथा पुरातात्विक अवशेषों में मिलते हैं। पूर्वजों ने तालाब कुएँ, पोखर और बावड़ियों का निर्माण कर पानी से बने समाज की रचना की।
पेंटिंग के जरिए बच्चों ने ली पर्यावरण शिक्षा
Posted on 26 Oct, 2013 09:17 AM पेंटिंग के द्वारा पर्यावरण शिक्षाभारत उदय एजुकेशन सोसाइटी एवं पर्यावरण शिक्षण केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में पेट्रोलियम कन्जर्वेशन रिसर्च एसोसिएशन के स
पर्यावरण एवं जल संरक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम
Posted on 02 Oct, 2013 04:07 PM पर्यावरण और जल संरक्षण प्रशिक्षण1 अक्टूबर 2013 को ‘पर्यावरण मित्र -जल’ शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन पर्यावरण शिक्षण केन्द्र लखनऊ व भारत उदय एजूकेशन
जीर्ण-शीर्ण स्थिति में खरड गांव का महाभारत कालीन तालाब
Posted on 20 May, 2013 12:07 PM प्राचीन काल से ही तालाबों, पोखरों, जोहड़, नदियां आदि प्रकृति की देन है। सृष्टि के आरम्भ में लोग कृषि एवं जीवनयापन के लिए इन्हीं के किनारे बसते थे। जिससे जीवनयापन आसान हो सके। लेकिन अब प्रदूषण, कब्ज़ा, कूड़ा-करकट भराव आदि विकृति समाज में आ गई है। जिससे इन प्राकृतिक धरोहरों को जैसे मानव ने नष्ट करने के लिए ठान लिया है। जिसका दुष्परिणाम आने वाली पीढ़ियाँ अवश्य भुगतेंगी। इसी प्रकार मेरठ- करनाल सड़क मा
बदहाल स्थिति में है खेड़ामस्तान गांव का प्राचीन कुआं
Posted on 13 May, 2013 03:58 PM प्राचीन काल में जल का कार्य सबसे पवित्र एवं धर्मयुक्त समझा जाता था। पहले राहगीरों के लिए लोग रास्ते
आदर्श बनेगा मेरठ का पूठी गांव
Posted on 10 May, 2013 01:06 PM

नीर फाउंडेशन और प्रशासन ने मिलकर किए प्रयास

हिण्डन की व्यथा
Posted on 21 Apr, 2013 10:17 AM हिण्डन नदी का उदगम् सहारनपुर जिले के गांव पुर का टांका गांव से हुआ। हिण्डन शब्द का उद्भव हिण्ड शब्द से हुआ जिसका अर्थ है इधर-उधर घूमना फिरना या जाना होता है। इस प्रकार यह नदी टेढ़े- मेढ़े रास्ते से होती हुई आगे बढ़ती है। आज से 35-40 वर्ष पहले तक हिण्डन नदी कल-कल की आवाज़ करती हुई निर्मल जल से होकर बहती थी। कई जिलों के खेतों को सींचती हुई अपने गन्त्वय की ओर बढ़ती थी। हिंडन नदी के बारे में गरिमा ने
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