1 अक्टूबर 2013 को ‘पर्यावरण मित्र -जल’ शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन पर्यावरण शिक्षण केन्द्र लखनऊ व भारत उदय एजूकेशन सोसाइटी मेरठ द्वारा मेरठ सेवा समाज संस्था के सभागार में आयोजित किया गया। कार्यशाला में मेरठ एवं मुजफ्फरनगर जिले के विभिन्न विद्यालयों से 36 शिक्षकों ने प्रतिभाग किया। इस कार्यशाला में अर्थियन कार्यक्रम के अन्तर्गत विद्यालयों को जल संरक्षण एवं गुणवत्ता के महत्व के बारे में बताया गया। कार्यशाला मे लखनऊ से आए प्रशिक्षकों ने विद्यालय में जल को संरक्षित करने के विभिन्न उपायों को बताया। कार्यशाला के बाद शिक्षक अपने विद्यालयों में बच्चों को सम्मिलित करके विद्यालय स्तर पर जल संरक्षण के लिए कार्य योजना बनाएगें।
पर्यावरण मित्र कार्यक्रम एक राष्ट्रीय पहल है जिसमें देशभर के स्कूलों से दो करोड़ युवा विधार्थियों का एक ऐसा नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। जिनमें उनके कार्य क्षेत्र में प्रभावित करने के लिए जागरूकता, ज्ञान, वचनबद्धता एवं पर्यावरणीय टिकाउपन की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता होगी। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत पांच विषयों जल एवं स्वच्छता, कचरा प्रबन्धन, ऊर्जा संरक्षण, जैव विविधता एवं हरियाली एवं संस्कृति व धरोहर पर प्रकाश डाला गया। शिक्षकों को पांच विषयों में से किन्हीं तीन विषयों को चुनकर विद्यालय स्तर पर कार्यवाही योजना को संचालित करने के लिए प्रशिक्षित किया गया। शिक्षकों ने समूह कार्य द्वारा अपने विद्यालय में होने वाले जल की खपत की मात्रा का अनुमान लगाया एवं विद्यालय में जल के बचत करने के लिए कार्ययोजना बनाई।
शिक्षकों को कार्यशाला में पर्यावरण शिक्षा के महत्व एवं इसे विद्यालयी पाठ्यक्रम से जोड़ कर पढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। साथ ही विभिन्न गतिविधियों एवं पर्यावरण पर आधारित फिल्म के माध्यम से शिक्षकों ने विद्यालय में कचरा प्रबंधन, ऊर्जा संरक्षण, जल एवं स्वच्छता, जैव विविधता एवं हरियाली और संस्कृति एवं धरोहर के संरक्षण के बारे में जाना।
कार्यशाला के उपरान्त शिक्षको ंको प्रमाण पत्र फादर जॉन चिमन के द्वारा वितरित किए गए।
पर्यावरण मित्र कार्यक्रम एक राष्ट्रीय पहल है जिसमें देशभर के स्कूलों से दो करोड़ युवा विधार्थियों का एक ऐसा नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। जिनमें उनके कार्य क्षेत्र में प्रभावित करने के लिए जागरूकता, ज्ञान, वचनबद्धता एवं पर्यावरणीय टिकाउपन की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता होगी। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत पांच विषयों जल एवं स्वच्छता, कचरा प्रबन्धन, ऊर्जा संरक्षण, जैव विविधता एवं हरियाली एवं संस्कृति व धरोहर पर प्रकाश डाला गया। शिक्षकों को पांच विषयों में से किन्हीं तीन विषयों को चुनकर विद्यालय स्तर पर कार्यवाही योजना को संचालित करने के लिए प्रशिक्षित किया गया। शिक्षकों ने समूह कार्य द्वारा अपने विद्यालय में होने वाले जल की खपत की मात्रा का अनुमान लगाया एवं विद्यालय में जल के बचत करने के लिए कार्ययोजना बनाई।
शिक्षकों को कार्यशाला में पर्यावरण शिक्षा के महत्व एवं इसे विद्यालयी पाठ्यक्रम से जोड़ कर पढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। साथ ही विभिन्न गतिविधियों एवं पर्यावरण पर आधारित फिल्म के माध्यम से शिक्षकों ने विद्यालय में कचरा प्रबंधन, ऊर्जा संरक्षण, जल एवं स्वच्छता, जैव विविधता एवं हरियाली और संस्कृति एवं धरोहर के संरक्षण के बारे में जाना।
कार्यशाला के उपरान्त शिक्षको ंको प्रमाण पत्र फादर जॉन चिमन के द्वारा वितरित किए गए।
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