Posted on 01 Feb, 2014 11:23 AMझाबुआ : जिले के प्रशासनिक अमले ने फ्लोराइड प्रभावित ग्राम जसोदा खुमजी, जसोदा हिरजी विकासखंड रामा का भ्रमण किया। ग्रामीणों को इकट्ठा कर ग्रामों में डॉ. शंखवार एवं उनकी मेडिकल टीम ने ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण किया।
Posted on 31 Jan, 2014 09:48 AMमध्य प्रदेश के ग्वालियर में बना विवेकानंद नीड़म बताता है कि जीवन और प्रकृति के बीच सामंजस्य कितना सुंदर हो सकता है।
प्रदूषित नदियों और सूखते जल-स्रोतों के बीच आए दिन पानी की किल्लत झेल रहे शहरों और गाँवों के लोगों को सहजीवन का रास्ता दिखाते हुए वे कहते हैं, 'अगर फ़ैक्टरियों के कचरे को बायोडाइजेस्टर से ट्रीट करके नदियों में डाला जाएं तो काफी हद तक नुकसान को कम किया जा सकता है। साथ ही आम लोग भी अपने-अपने घरों में छोटे-छोटे बायोडाइजेस्टर लगवाकर भूजल स्तर को बनाए रखने के प्रयास कर सकते हैं।' उम्मीद का रंग शायद हरा होता होगा। सूखती नदियों और लगातार दूषित हो रहे पर्यावरण की चिंताओं वाले दौर में विवेकानंद नीड़म को देखकर पहला ख्याल यही आता है। चंबल के सूखे बीहड़ों में बने इस हरे-भरे ‘आश्रम’ को सहजीवन की उस धारणा के आधार पर बनाया गया है जहां जीवन और प्रकृति के बीच दो तरफा संबंध हैं। प्रकृति से जो लिया जाता है, उस रूप में वापस होता है जिसे वह आसानी से स्वीकार कर सके।
जल संरक्षण के अलग-अलग तरीकों, दैनिक कचरे की रिसाइकलिंग और गृह-निर्माण की पर्यावरण अनुकूल पद्धतियों को अपनाकर निर्मित किया गया विवेकानंद नीड़म इसी वैकल्पिक जीवनशैली का एक केंद्र है।
ग्वालियर जिले की एक वीरान पहाड़ी पर इस आश्रम की परिकल्पना करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अनिल सरोदे इसकी स्थापना से जुड़े अनुभव हमें बताते हैं, ‘हमने 1995 में ग्वालियर के आसपास बसे सहरिया आदिवासियों के बीच काम करना शुरू किया था।
Posted on 26 Dec, 2013 03:01 PMजल संरक्षण को अपने जीवन का ध्येय बना चुके मध्य प्रदेश कैडर के आइ.ए.एस. उमाकांत उमराव ने जल संरक्षण का मॉडल खड़ा कर देवास जिले को सूखे से निजात दिलाने में सफलता हासिल की। उनके इस कार्य को मॉडल मानते हुए यू.एन.