मध्य प्रदेश

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मालवा की जल चौपाल
Posted on 03 Jul, 2014 11:53 AM
‘जल चौपाल’ नाम की एक पुस्तक का पांचवां अध्याय है मालवा की जल चौपाल। सप्रे संग्रहालय और राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी परिषद के सामूहिक सहयोग से जल चौपाल पुस्तक तैयार की गई है।
river bank
भुखमरी के आलम में प्रेरणा का एक शिविर
Posted on 30 Jun, 2014 03:19 PM खोरा, ठीकरिया, भंडारिया आदि गांवों की तथा पंप लगा देने पर भूरी घाट
शेर-शेरनी या हम
Posted on 29 Jun, 2014 01:24 PM दिल्ली से निकलने वाले उस समय के एक प्रसिद्ध अंग्रेजी अखबार में एक दिन पहले पन्ने पर खबर छपी थी- मध्य प्रदेश के एक बहुत ही दुर्गम इलाके पातालकोट में एक शेर नरभक्षी हो गया है और उसने अब तक छह लोगों को मार डाला है। बड़ा आतंक फैल गया है वहां। अखबार तो प्रसिद्ध था ही, उसके भोपाल स्थित ये संवाददाता भी बड़े प्रसिद्ध थे। अपनी-अपनी सुंदर जगहों को लोग कुछ तो अपनेपन से, और कुछ घमंड से भी दुनिया का स्वर्ग बताते ही हैं। अक्सर इसके लिए कुछ पहाड़ की, कुछ ऊंचाई की भी जरूरत होती है पर अपनी किसी जगह को पाताल बताने के लिए एक खास तरह की गहराई चाहिए।

हमारा परिवार मध्य प्रदेश का है, पर कोई पच्चीस बरस का हो जाने तक भी मुझे पता नहीं था कि मध्य प्रदेश में एक जगह सचमुच पाताल जैसी गहरी है। इसका नाम ही है पातालकोट। छिंदवाड़ा जिले में। इसकी जानकारी और फिर इस पाताल में उतरने का संजोग भी एक विचित्र घटना से मिला था। वे दिन आपात्काल लगने के आसपास के थे। महीना वगैरह तो अब याद नहीं।

दिल्ली से निकलने वाले उस समय के एक प्रसिद्ध अंग्रेजी अखबार में एक दिन पहले पन्ने पर खबर छपी थी- मध्य प्रदेश के एक बहुत ही दुर्गम इलाके पातालकोट में एक शेर नरभक्षी हो गया है और उसने अब तक छह लोगों को मार डाला है।
environment
आदिम भारिया और आधुनिक कृषि
Posted on 28 Jun, 2014 10:26 AM हरित क्रांति के दौर में तो परंपरागत खेती पूरी तौर पर प्रतिबंधित कर
मप्र की नर्मदा-मालवा-गंभीर लिंक परियोजना को मंजूरी
Posted on 14 Jun, 2014 09:13 AM नर्मदा नियंत्रण मंडल ने 2143 करोड़ रुपए लागत की नर्मदा-मालवा-गंभीर लिंक परियोजना को प्रशासकीय मंजूरी दे दी है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में नर्मदा नियंत्रण मंडल की बैठक में लिए गए फैसले के अनुसार इस योजना के तहत इंदौर और उज्जैन जिले की सात तहसीलों के 158 गांवों में पेयजल के साथ 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
हरसूद का संकल्प मेला; अस्वीकृति में उठे हजारों हाथ
Posted on 06 Jun, 2014 11:53 AM जहां तक विकल्प का सवाल है उसकी चर्चा यहां संभव नहीं है, लेकिन एक ह
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नर्मदा जल से संभव नहीं मंदाकिनी का उद्धार
Posted on 01 Jun, 2014 09:41 AM ग्रीन ट्रिब्यूनल के सामने जल संसाधन के इंजीनियर इन चीफ ने स्वीकारा 120 करोड़ के खर्चे का अनुमान। वाटर लिफ्टिंग पर खर्च होगी 6 मेगावाट बिजली 11 किलोमीटर लंबी नई नहर भी बनानी पड़ेगी।
नदी सूखने से रोजी पर संकट
Posted on 24 May, 2014 11:45 AM सदानीरा दुधी विगत कुछ बरसों से बरसाती नदी बन गई है। गरमी आते ही जवाब देने लगती है। इस साल अभी दुधी की पतली धार चल रही है। पलिया पिपरिया में यह दिखती है लेकिन नीचे परसवाड़ा में कुछ जगह डबरे भरे हैं, धार टूट गई है। इस नदी के किनारे रहने वाले रज्झर अब इन डबरों और कीचड़ में मछली पकड़ते हुए दिखाई देते हैं। इस नदी में पहले मछलियां मिलती थी और रज्झर समुदाय के लोगों का यह पोषण का मुख्य स्रोत हुआ करती थी। अब जब नदी सूख गई है, बहुत मुश्किल है। “पहले हम दुधी नदी में मच्छी पकड़ते थे, अब नदी सूख गई। खकरा और माहुल के पत्तों से दोना-पत्तल बनाते थे, अब उनका चलन कम हो गया। जंगलों से महुआ-गुल्ली, तेंदू, अचार लाते थे, वे अब नहीं मिलते। ऐसे में हमारा रोजी-रोटी का संकट बढ़ रहा है।” यह कहना है पलिया पिपरिया के रज्झर समुदाय के लोगों का।

होशंगाबाद जिले की बनखेड़ी तहसील के पलिया पिपरिया गांव में नदी किनारे रज्झर मोहल्ला है। इस मोहल्ला के ज्यादातर बुजुर्ग और बच्चे करीब 20 साल पहले तक दुधी नदी में मछली पकड़ते थे।

सदानीरा दुधी विगत कुछ बरसों से बरसाती नदी बन गई है। गरमी आते ही जवाब देने लगती है। इस साल अभी दुधी की पतली धार चल रही है। पलिया पिपरिया में यह दिखती है लेकिन नीचे परसवाड़ा में कुछ जगह डबरे भरे हैं, धार टूट गई है। इस नदी के किनारे रहने वाले रज्झर अब इन डबरों और कीचड़ में मछली पकड़ते हुए दिखाई देते हैं।
dry river
सुनील भाई का जाना
Posted on 23 May, 2014 02:29 PM सुनील और राजनारायण ने आदिवासियों के साथ मिलकर 1985 में किसान आदिवास
Sunil bhai
स्वच्छ पेयजल के अधिकार से वंचित किशनपुरा के सहरिया
Posted on 19 May, 2014 09:41 AM किशनपुरा का स्कूलवाला हैण्डपम्प जिसको आर्सेनिक के कारण बंद कर दिया गया था।कराहल, श्योपुर। आजादी के 65 साल बाद भी
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