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मध्य प्रदेश
अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय द्वारा कृषि पाठ्यक्रम में प्रवेश प्रारम्भ
Posted on 28 Jul, 2017 03:30 PMविश्वविद्यालय का परिचय
मध्य प्रदेश शासन द्वारा अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय की स्थापना सन 2011 भोपाल में की गई है। इस विश्वविद्यालय की सर्वोच्च नीति-निर्धारक संस्था साधारण परिषद है जिसके अध्यक्ष प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय, भोपाल भारत सहित सम्पूर्ण विश्व का पहला विश्वविद्यालय है, जो ज्ञान विज्ञान की समस्त शाखाओं के शिक्षण-प्रशिक्षण, प्रकाशन-विस्तार तथा राष्ट्रीय लोक व्यवहार को हिन्दी भाषा में सम्भव तथा सम्पन्न करने के लिये संकल्पित है। हिंदी विश्वविद्यालय की परिकल्पना ऐसे विश्वस्तरीय मानकों के निर्माण करने की है, जिनके आधार पर हमारे शिक्षकों में भी गुणात्मक अध्ययन-अध्यापन एवं शोध की क्षमता में निरन्तर वृद्धि हो सके। यहाँ शिक्षण और प्रशिक्षण की ऐसी प्रविधियों की संरचना की गई है, जिससे गुरू-शिष्य परम्परा के आधार पर व्यावहारिक निपुणताओं को आगे बढ़ाया जा सके तथा योजनाबद्ध शिक्षण, प्रशिक्षण, प्रदर्शन की अत्याधुनिक प्रविधियों, संग्रहण, सर्वेक्षण, अभिलेखीकरण, श्रेष्ठ भाषाविदों के सानिध्य एवं सहयोग से मार्गदर्शन कर सके।
अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय द्वारा पत्रकारिता पाठ्यक्रम में प्रवेश प्रारम्भ
Posted on 28 Jul, 2017 03:25 PMविश्वविद्यालय का परिचय
संचार एक शाश्वत और अनवरत प्रक्रिया है। यह सर्वकालिक व सार्वभौमिक है। यह मानव समाज की अनिवार्य आवश्यकता है। संचारविहीन मानव जीवन की कल्पना भी सम्भव नहीं। संचार मानव विकास का माध्यम भी है और पैमाना भी। संचार का उपयोग वैयक्तिक स्तर, अन्तः वैयक्तिक, समूह और जन के स्तर पर अनेक कारणों से किया जाता है। संचार का उपयोग सन्देश प्रेषित करने, सूचना देने, सीखने-सिखाने, समझने-समझाने, प्रसन्न होने तथा प्रसन्न करने, प्रेरणा देने-लेने जैसे कार्यों के लिये किया जाता है। अटल बिहारी वायपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय की स्थापना मध्य प्रदेश राजपत्र (असाधारण) में दिनांक 19.12.2011 को मध्य प्रदेश अधिनियम क्रमांक 34 सन 2011 द्वारा मध्य प्रदेश की राजधानी, भोपाल में की है। इस विश्वविद्यालय की सर्वोच्च नीति-निर्धारक संस्था साधारण परिषद है, जिसके अध्यक्ष प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री हैं। इसके साथ ही सदस्य के रूप में इस परिषद में उच्च शिक्षा मंत्री, वित्त मंत्री एवं प्रदेश के लगभग सभी शासकीय विश्वविद्यालयों के माननीय कुलपतिगण शामिल हैं। परिषद में विश्वविद्यालय के कुलपति पदेन सदस्य सचिव हैं।
इस विश्वविद्यालय में हिन्दी भाषा के माध्यम से अध्यापन, प्रशिक्षण तथा ज्ञान की वृद्धि के लिये विज्ञान, साहित्य, कला, वाणिज्य, प्रबन्धन एवं अन्य विधाओं में शोध कार्य किया जा रहा है। हिन्दी भाषा के माध्यम से शिक्षा के विभिन्न अनुशासनों (विषयों) को शिक्षण, शोध व प्रशिक्षण के लिये यह देश व प्रदेश का प्रथम विश्वविद्यालय है।
भूजल स्तर के प्रभाव से दम तोड़ती कुआँ प्रणाली
Posted on 28 Jul, 2017 11:51 AMपानी दोहन पर नियंत्रण नहीं किया गया तो इस प्रणाली के दम तोड़
कुपोषण के कारण फैल रहा है बच्चों में फ्लोरोसिस
Posted on 20 Jul, 2017 04:41 PM
धार। जिले के ग्रामीण क्षेत्र में फ्लोराइड को लेकर जिस तरह की जागरुकता की आवश्यकता है, वह मैदानी स्तर पर नहीं दिख रही है।
दरअसल कुपोषण और फ्लोराइड दोनों का आपस में सम्बन्ध है। जिले में कुपोषण के कारण कई बच्चे इसका शिकार होते जा रहे हैं। वहीं अभी भी लड़के और लड़कियों में खानपान में भेदभाव किया जा रहा है। इसी वजह से फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्रों में जहाँ कुपोषण है, वहाँ पर बच्चों की स्थिति चिन्ताजनक है। माना जा रहा है कि कैल्शियम, विटामिन सी से लेकर अन्य कई जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पा रहे हैं इसीलिये इस तरह की स्थिति बनी है।
फ्लोराइड की मात्रा पानी में अधिक होने के कारण बच्चे दन्तीय फ्लोरोसिस से प्रभावित हो रहे हैं। इस तरह के हालात में कहीं-न-कहीं बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।
पानी के टाइगर को बचाने की जुगत अब जरूरी
Posted on 20 Jul, 2017 10:43 AM
‘पानी के टाइगर’ नाम से पहचाने जाने वाली राज्य मत्स्य महाशीर के संरक्षण के लिये विविध प्रयासों की आवश्यकता है। मध्य प्रदेश में इन दिनों नर्मदा सेवा मिशन के तहत नदी संरक्षण के उपाय किये गए हैं। ऐसे में समाज और सरकार ने महाशीर के संरक्षण के प्रयास भी और तेज कर देना चाहिए।
मध्य प्रदेश में 193 गाँवों को डूबाने की तैयारी
Posted on 18 Jul, 2017 01:33 PMसुप्रीम कोर्ट ने नर्मदा बचाओ आन्दोलन द्वारा लगाई गई याचिका पर
आमंत्रण - ग्यारहवाँ राष्ट्रीय मीडिया संवाद
Posted on 15 Jul, 2017 11:05 AMविषय - मीडिया, बच्चे और असहिष्णुता
दिनांक - 18-19-20 अगस्त, 2017
स्थान - ओरछा, मध्य प्रदेश
मीडिया के साथियों के साथ बैठकर कुछ महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर नया जानने, आपसी समझ बनाने, एक-दूसरे के विचारों को समझने, अपने रोजाना के काम-काज से हटकर मैदानी इलाकों के आम लोगों की जिन्दगी में झाँकने और विकास के तमाम आयामों पर एक बेहतर संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से पिछले दस सालों से यह कोशिश जारी है। हर बार समाज को मथने वाला कोई विषय होता है, जिस पर हम गहराई से संवाद करने का प्रयास करते हैं।आपको विकास संवाद राष्ट्रीय मीडिया संवाद के ग्यारहवें साल का आमंत्रण सौंपते हुए बेहद खुशी हो रही है। आपके संग-साथ से ही यह सफर निरन्तर जारी है और हम सब मिलकर इसे और बेहतर बनाकर इसकी सार्थकता को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
मीडिया के साथियों के साथ बैठकर कुछ महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर नया जानने, आपसी समझ बनाने, एक-दूसरे के विचारों को समझने, अपने रोजाना के काम-काज से हटकर मैदानी इलाकों के आम लोगों की जिन्दगी में झाँकने और विकास के तमाम आयामों पर एक बेहतर संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से पिछले दस सालों से यह कोशिश जारी है। हर बार समाज को मथने वाला कोई विषय होता है, जिस पर हम गहराई से संवाद करने का प्रयास करते हैं।
रास नहीं आया पुनर्वास
Posted on 09 Jul, 2017 04:19 PMनर्मदा नदी पर बन रहे सरदार सरोवर बाँध के पूर्ण होने पर सरकार भले ही जश्न मना रही हो लेकिन इससे उन लोगों के माथे पर फिर से चिन्ता की लकीरें दिखाई दे रही हैं, जो इसकी जद में आ रहे हैं। बाँध को पूर्ण क्षमता (138.68 मीटर) में भरने से बहुत से गाँव और घर जलमग्न हो जाएँगे।
2 जुलाई - मध्य प्रदेश में वृक्षारोपण और पर्यावरण के महापर्व को कारगर बनाने का अवसर
Posted on 03 Jul, 2017 10:17 AM
नर्मदा सेवा यात्रा के बाद 2 जुलाई 2017 को मध्य प्रदेश में एक बार फिर इतिहास रचा गया है। इस इतिहास के केन्द्र में हैं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का वह संकल्प जो नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान उनके द्वारा बारम्बार दुहराया गया था। वह संकल्प जिसके मार्फत नर्मदा क्षेत्र और उसके आसपास के समूचे समाज को वृक्षारोपण और पर्यावरण बचाने की कोशिश से जोड़ने का पुरजोर प्रयास किया गया था।
प्राकृतिक संसाधनों की बदहाली से विचलित सोनांचल विकास मंच
Posted on 13 Jun, 2017 11:48 AM
मध्य प्रदेश राज्य के पूर्व में छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा से सटे अनूपपुर, उमरिया और शहडोल जिलों को मिलाकर शहडोल संभाग बना है। इस संभाग की कुल आबादी लगभग 24.60 लाख है। संभाग प्राकृतिक संसाधनों से सम्पन्न है। अच्छी खासी बरसात होती है। इस क्षेत्र में कोयले की बहुत सी खदानें हैं। उन खदानों के कारण पूरे देश में इस इलाके की पहचान मुख्य कोयला उत्पादक क्षेत्र के रूप में है। कोयले के अलावा इस इलाके में घने जंगल हैं। इस इलाके की मुख्य नदी सोन है। संभाग की पहचान अपेक्षाकृत पिछड़े इलाके के रूप में है। इस संभाग में अनेक जनजातियाँ निवास करती हैं।