विश्वविद्यालय का परिचय
संचार एक शाश्वत और अनवरत प्रक्रिया है। यह सर्वकालिक व सार्वभौमिक है। यह मानव समाज की अनिवार्य आवश्यकता है। संचारविहीन मानव जीवन की कल्पना भी सम्भव नहीं। संचार मानव विकास का माध्यम भी है और पैमाना भी। संचार का उपयोग वैयक्तिक स्तर, अन्तः वैयक्तिक, समूह और जन के स्तर पर अनेक कारणों से किया जाता है। संचार का उपयोग सन्देश प्रेषित करने, सूचना देने, सीखने-सिखाने, समझने-समझाने, प्रसन्न होने तथा प्रसन्न करने, प्रेरणा देने-लेने जैसे कार्यों के लिये किया जाता है। अटल बिहारी वायपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय की स्थापना मध्य प्रदेश राजपत्र (असाधारण) में दिनांक 19.12.2011 को मध्य प्रदेश अधिनियम क्रमांक 34 सन 2011 द्वारा मध्य प्रदेश की राजधानी, भोपाल में की है। इस विश्वविद्यालय की सर्वोच्च नीति-निर्धारक संस्था साधारण परिषद है, जिसके अध्यक्ष प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री हैं। इसके साथ ही सदस्य के रूप में इस परिषद में उच्च शिक्षा मंत्री, वित्त मंत्री एवं प्रदेश के लगभग सभी शासकीय विश्वविद्यालयों के माननीय कुलपतिगण शामिल हैं। परिषद में विश्वविद्यालय के कुलपति पदेन सदस्य सचिव हैं।
इस विश्वविद्यालय में हिन्दी भाषा के माध्यम से अध्यापन, प्रशिक्षण तथा ज्ञान की वृद्धि के लिये विज्ञान, साहित्य, कला, वाणिज्य, प्रबन्धन एवं अन्य विधाओं में शोध कार्य किया जा रहा है। हिन्दी भाषा के माध्यम से शिक्षा के विभिन्न अनुशासनों (विषयों) को शिक्षण, शोध व प्रशिक्षण के लिये यह देश व प्रदेश का प्रथम विश्वविद्यालय है।
संचालित पाठ्यक्रम | ||
पाठ्यक्रम | वर्ष | शुल्क* |
# बी.ए. (जर्नलिज्म) | तीव वर्ष | 18,700/- |
# बी.ए. (ऑनर्स) | तीन वर्ष | 18,700/- |
# एम.ए. (जर्नलिज्म) | दो वर्ष | 19,400/- |
# स्नातकोत्तर पत्रोपाधि (पत्रकारिता एवं जनसंचार) | एक वर्ष | 14,000/- |
* शिक्षण एवं परीक्षा शुल्क सहित। प्रवेश हेतु आयु सीमा नहीं |
विभाग का परिचय
संचार एक शाश्वत और अनवरत प्रक्रिया है। यह सर्वकालिक व सार्वभौमिक है। यह मानव समाज की अनिवार्य आवश्यकता है। संचारविहीन मानव जीवन की कल्पना भी सम्भव नहीं। संचार मानव विकास का माध्यम भी है और पैमाना भी।
संचार का उपयोग वैयक्तिक स्तर, अन्तः वैयक्तिक, समूह और जन के स्तर पर अनेक कारणों से किया जाता है। संचार का उपयोग सन्देश प्रेषित करने, सूचना देने, सीखने-सिखाने, समझने-समझाने, प्रसन्न होने तथा प्रसन्न करने, प्रेरणा देने-लेने जैसे कार्यों के लिये किया जाता है। संचार प्रभाव, नियंत्रण एवं नवाचार का सक्षम माध्यम है। भाव, संवेदना, आवेग-संवेग, धारणा, विचार आदि को निर्मित करने, परिवर्तित करने में संचार की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। वर्तमान समय में विभिन्न संगठनों द्वारा युद्ध-शान्ति को नियंत्रित करने से लेकर साम्राज्य की स्थापना व विध्वंस तक में संचार का उपयोग किया जा रहा है।
अतः संचार क्षेत्र के महत्त्व को समझते हुए इसे जानने-समझने, इसके अध्ययन-अध्यापन, शोध-गवेषणा आदि के क्षेत्र में व्यापक एवं गुणवत्तापूर्ण योग्यता, दक्षता प्रदान करने हेतु विश्वविद्यालय में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की स्थापना की गई।
विभाग का उद्देश्य
1. विभिन्न पाठ्यक्रमों के माध्यम से योग्य, दक्ष एवं कुशल संचारकों का निर्माण है।
2. संचार की स्थिति, प्रक्रिया, आवश्यकता व महत्त्व से विद्यार्थियों को अवगत कराना।
3. संचार एवं पत्रकारिता की परम्परागत व वर्तमान विधाओं से विद्यार्थियों को परिचय कराना।
4. संचार एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में उच्च स्तरीय योग्यता एवं व्यावसायिक कौशल व दक्षता का विकास करना।
5. संचार एवं पत्रकारिता से सम्बन्धित विषयों में अभिरुचि विकसित करना, उच्च शिक्षा हेतु जिज्ञासा एवं लालसा पैदा करना तथा शोध एवं गवेषणा हेतु प्रेरित करना।
6. संचार के क्षेत्र में विद्यमान रोजगार के अवसरों की पहचान कर इसे प्राप्त करने हेतु विद्यार्थियों में आवश्यक योग्यता, दक्षता व क्षमता विकसित करना।
सम्पर्क – डॉ. अनिल सौमित्र, प्रभारी, एम.ए. (समाजशास्त्र, एम.ए. (जनसंचार), (पीएच.डी.) विद्यावारिधि
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Post By: Editorial Team