मध्य प्रदेश

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जलविज्ञान के दृष्टिकोण से मध्य प्रदेश का संक्षिप्त परिचय
यह आलेख जलविज्ञान के दृष्टिकोण से मध्य प्रदेश का संक्षिप्त परिचय कराता है। Posted on 24 Aug, 2024 11:27 PM

प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण मध्य प्रदेश "भारत के हृदय के रुप में स्थित है। प्राचीन गुफांए तथा बौद्धकालीन स्तूप, वास्तुकला का विशिष्ठ नैसर्गिक सौंदर्य, धार्मिक एवं आध्यात्म की विशिष्टता, वन्य जीवों का बहुल्य तथा भारतीय इतिहास की अत्यन्त समृद्ध परम्पराएं इस राज्य को विरासत में मिली है, जिन्हें आज भी यह अपने आंचल में समेटे भविष्य की ओर अग्रसर है।

नर्मदा नदी (छवि स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स के माध्यम से जितेश उकानी)
मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन ने नल जल कनेक्शन प्रदान करके घरेलू जल सुरक्षा में सुधार किया
जाने कैसे मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन ने नल जल कनेक्शन प्रदान करके घरेलू जल सुरक्षा में सुधार किया है | Know about how Jal Jeevan Mission in Madhya Pradesh has improved household water security by providing tap water connections Posted on 07 Feb, 2024 04:11 PM

नर्मदा नदी के दक्षिण भाग में स्थित सतपुरा पहाडों की गोद में बसे बारवानी जिले में गर्मी के मौसम में ऊंची-नीची सूखी चट्टाने भरी होती हैं जो वर्षा ऋतु में फिर हरी-भरी घाटी बन जाती है। जल की उपलब्धता के बावजूद इस जिले को अर्ध-शुष्क क्षेत्र माना जाता है क्योंकि यहां का पानी बह जाता है तथा यहां जल संरक्षण तथा पुनर्भरण के उपायों की कमी है। गर्मियों में जिले की ज्यादातर आबादी को जल संकट का सामना करना प

मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन,Pc-जल जीवन संवाद
गायब हो रही है हरियाली  
भोपाल की सड़कों के बीच और किनारे में बनाए गए ग्रीन बेल्ट पर कब्जे हो गए हैं, जिससे यहां हरियाली खत्म होती जा रही है। जबकि करोड़ों रुपए खर्च कर सड़क के सेंट्रल व साइड वर्ज में पेड-पौधे लगाकर हरियाली विकसित की गई है। लेकिन रसूखदार और जिम्मेदार मिलकर इस ग्रीन बेल्ट को खत्म करते जा रहे है इसको लेकर राजधानी परियोजना प्रशासन (सीपीए) ने दो वर्ष पहले किए अतिक्रमणों को चिन्हित किया था, साथ ही इसको लेकर एनजीटी में याचिका भी दायर की गई है। इस मामले में पर्यावरणविद सुभाष सी पाडे ने एनजीटी में याचिका दायर की है। Posted on 27 Nov, 2023 04:42 PM

मध्यप्रदेश में हरियाली बढ़ाने के लिए हर साल पौधारोपण होता है और करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन उसके बाद भी हरियाली गायब हो रही है। खासकर प्रदेश के महानगरों में तो स्थिति विकट होती जा रही है। इंदौर में आसपास तो हरियाली है, लेकिन शहर के भीतर सूखे की स्थिति है। यह तब है, जब पांच साल में निगम ने पौधारोपण पर 10 करोड़ खर्च किए हैं। हालांकि 75 फीसदी रकम सजावटी पौधों पर खर्च को गई, जिसके कारण 20

गायब हो रही है हरियाली  
सिंचाई के पानी की कमी से जूझता मध्यप्रदेश आज उठाए कदमों पर निर्भर है कल का भविष्य
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नई वर्ल्ड वाटर डेवलपमेंट रिपोर्ट 2023 में जारी आंकड़ों से पता चला है कि 2050 तक शहरों में पानी की मांग 80 फीसदी तक बढ़ जागी वही यदि मौजूदा आकड़ो पर गौर करे तो दुनियाभर में शहरो रहने वाले करीब 100 करोड़ लोग जल संकट से जूझ रहे है। वहीं अनुमान है कि अगले 27 वर्षों में यह आंकड़ा बढ़कर 240 करोड़ तक जा सकता है। इससे भारत सबसे ज्यादा प्रभावित होगा, जहां पानी को लेकर होने वाली खीचातानी कहीं ज्यादा गंभीर रूप ले लेगी। गौरतलब है कि भूजल के संकट से निपटने के लिए मोदी सरकार ने मार्च 2018 में अटल भूजल योजना का प्रस्ताव रखा था। जिसे विश्व बैंक की सहायता से 2018-19 से 2022-23 की पांच वर्ष की अवधि के लिए कार्यान्वित किया जाना है। इस योजना लक्ष्य गिरते भूजल का गंभीर संकट झेल रहे सात राज्यों गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश में संयुक्त भागीदारी से भूजल का उचित और बेहतर प्रबंधन करना है। भारत में गिरते भूजल की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने जलदूत नामक मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया हुई ।
Posted on 27 Nov, 2023 04:08 PM

मध्यप्रदेश  में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज म चुका है, इसलिए दोनों प्रमुख राष्ट्रीय दलों, भाजपा और कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में सिंचाई के पानी की कमी को एक राजनीतिक मुद्दा बना दिया है। राज्य के कई क्षेत्रों में गर्मियों के दौरान पीने के पानी की कमी के साथ-साथ किसानों को सिंचाई के लिए पानी आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाता है। हर घर में नल से पानी पहुंचाने के अभियान और कई सिंचाई परियोजनाओं के चलते राज्य

सिंचाई के पानी की कमी से जूझता मध्यप्रदेश
जेजेएम-महिलाओं का सशक्तिकरण,जीवन हुआ आसान
1988 में, गाँव में एक भूजल योजना का निर्माण किया गया था, जो केवल 29 घरों की ही व्यवस्था पूरा कर पाती थी। समय के साथ गांव की आबादी बढ़ती गई लेकिन उनके पास नल के पानी का कनेक्शन नहीं था। नए परिवार अपनी दैनिक घरेलू जरूरतों के लिए पूरी तरह से 29 हैंडपंपों और कुओं पर निर्भर थे। Posted on 13 Sep, 2023 04:57 PM

घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी ढोकर लाने का संघर्ष जीवन भर का संघर्ष रहा है। जब से मैं शादी के बाद इस गांव में आई हूं, सुबह जल्दी उठना, मटका लेकर बाहर निकलना और इसे लेकर चलना मेरी दिनचर्या रही है। मैं यह कार्य वर्षों से कर रही हूँ। मेरी जवानी के सभी दिन परिवार के सदस्यों की प्यास बुझाने के लिए पानी से भरे बर्तनों को घर लाने में बीते हैं। मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई कि यह अग्निपरीक्षा सम

पीएचईडी  की जांच के दौरान लीला बाई घर के नल से जल भरते हुए
भारतीय कृषि में सूक्ष्म सिंचाई की सार्थकता: प्रगति एवं प्रभाव विश्लेषण
अर्थव्यवस्था के विभिन्‍न क्षेत्र पानी के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, इससे कृषि क्षेत्र के लिए पानी की उपलब्धता में भारी कमी हो सकती है जोकि कृषि के सतत्‌ विकास के लिए समस्या खड़ी कर सकती है। यद्यपि, त्रिवार्षिकी 2014-15 में विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा भारत में सबसे अधिक शुद्ध सिंचित क्षेत्रफल (68.4 मिलियन हेक्टेयर) था फिर भी देश में शुद्ध बुवाई क्षेत्रफल का लगभग आधा हिस्सा (5.%) असिंचित है और इसके कारणों में प्रवाह विधि (Flood Method) से सिंचाई करना प्रमुख है। Posted on 15 May, 2023 04:33 PM

भारत में शुद्ध कृषित क्षेत्रफल का लगभग 48.9% हिस्सा ही सिंचित है एवं शेष क्षेत्रफल वर्षाजल पर आधारित है। देश में अभी तक उपलब्ध परियोजनागत सिंचाई क्षमता का उपयोग नहीं किया जा सका है और कृषि में माँग के अनुरूप सिंचाई सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसलिए ई की नवीन तकनीक “सूक्ष्म सिंचाई” को व्यापक स्तर पर अपनाने की आवश्यकता है। सरकार “प्रति बूँद अधिक फ़सल” मिशन के तहत फव्वारा तथा बूँद-बूँद विधियों को बढ़ाव

भारतीय कृषि में सूक्ष्म सिंचाई की सार्थकता: प्रगति एवं प्रभाव विश्लेषण, PC- Home Depot
नर्मदा को निगलती 'विकास' परियोजनाएं
1980 से 2020 तक 1163 विकास परियोजनाओं के लिए 2,84, 131 हेक्टेयर वनभूमि को गैर वनीकरण कार्य के लिए परिवर्तित किया गया है। इसमें से 279 सिंचाई परियोजनाओं के लिए 83,842 हेक्टेयर वन भूमि का इस्तेमाल हुआ है।
Posted on 28 Mar, 2023 12:32 PM

आधुनिक विकास को विनाश में तब्दील होते देखना हो तो देश के ठीक बीच से प्रवाहित नर्मदा नदी के साथ किया जाने वाला दुर्व्यवहार देख लेना चाहिए। यह जानना सचमुच बेहद दुखदायी है कि कोई सत्ता और समाज कैसे अपनी सदानीरा, पुण्यसलिला, जीवन दायिनी कहलाने वाली नदी को अपनी हवस के चलते ताबड़तोड़ समाप्त करता है। वन विभाग के 2020-21 के वार्षिक प्रतिवेदन के अनुसार मध्यप्रदेश में 1980 से 2020 तक 1163 विकास परियोजनाओ

नर्मदा को निगलती 'विकास' परियोजनाएं
मिलेट्स का ग्लोबल हब ही नहीं, लोकल हब भी बनाना पड़ेगा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-24 के केन्द्रीय बजट में मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ‘श्री अन्न योजना लांच करने का ऐलान लिया है. इसके तहत बाजरा, ज्वार, रागी जैसे मिलेट्स का उत्पादन करने वाले किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा. Posted on 17 Feb, 2023 02:15 PM

इस साल 2023 को ख़ास तौर पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत के आग्रह पर इंटरनेशनल मिलेट्स इयर (वर्ष ) घोषित किया है. इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिलेट्स का उत्पादन बढ़ाने, उपयोगी प्रसंस्करण और बेहतर फसल चक्र के साथ खाद्य सुरक्षा को बल मिलेगा. इस दिशा में केंद्र सरकार ने शुरुआती कई कदम उठाए हैं.

मोटे अनाज, फोटो साभार - https://www.dreamstime.com/
हमारी आर्थिक स्थिति अत्यंत कमजोर है, हम शौचालय कैसे बनायेगें
Posted on 28 Feb, 2011 03:52 PM

प्रश्न 19 हमारी आर्थिक स्थिति अत्यंत कमजोर है, हम शौचालय कैसे बनायेगें ?



उत्तर अब शौचालय बनाना बहुत ही आसान एवं सस्ता हो गया है। सोख्ता गङ्ढा वाले शौचालय बहुत कम राषि में भी बनाये जा सकते है साथ ही शौचालय निर्माण और नियमित उपयोग सुनिष्चित होने के बाद बी0पी0एल0 परिवारों को शासन द्वारा रूपये 2200/- की प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है।
शौचालय निर्माण तथा अन्य जानकारी के लिए कहाँ संपर्क करें
Posted on 28 Feb, 2011 11:55 AM

प्रश्न 37 शौचालय निर्माण तथा अन्य जानकारी के लिए कहाँ संपर्क करें ?


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