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मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन ने नल जल कनेक्शन प्रदान करके घरेलू जल सुरक्षा में सुधार किया
Posted on 07 Feb, 2024 04:11 PMनर्मदा नदी के दक्षिण भाग में स्थित सतपुरा पहाडों की गोद में बसे बारवानी जिले में गर्मी के मौसम में ऊंची-नीची सूखी चट्टाने भरी होती हैं जो वर्षा ऋतु में फिर हरी-भरी घाटी बन जाती है। जल की उपलब्धता के बावजूद इस जिले को अर्ध-शुष्क क्षेत्र माना जाता है क्योंकि यहां का पानी बह जाता है तथा यहां जल संरक्षण तथा पुनर्भरण के उपायों की कमी है। गर्मियों में जिले की ज्यादातर आबादी को जल संकट का सामना करना प
गायब हो रही है हरियाली
Posted on 27 Nov, 2023 04:42 PMमध्यप्रदेश में हरियाली बढ़ाने के लिए हर साल पौधारोपण होता है और करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन उसके बाद भी हरियाली गायब हो रही है। खासकर प्रदेश के महानगरों में तो स्थिति विकट होती जा रही है। इंदौर में आसपास तो हरियाली है, लेकिन शहर के भीतर सूखे की स्थिति है। यह तब है, जब पांच साल में निगम ने पौधारोपण पर 10 करोड़ खर्च किए हैं। हालांकि 75 फीसदी रकम सजावटी पौधों पर खर्च को गई, जिसके कारण 20
सिंचाई के पानी की कमी से जूझता मध्यप्रदेश आज उठाए कदमों पर निर्भर है कल का भविष्य
Posted on 27 Nov, 2023 04:08 PMमध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज म चुका है, इसलिए दोनों प्रमुख राष्ट्रीय दलों, भाजपा और कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में सिंचाई के पानी की कमी को एक राजनीतिक मुद्दा बना दिया है। राज्य के कई क्षेत्रों में गर्मियों के दौरान पीने के पानी की कमी के साथ-साथ किसानों को सिंचाई के लिए पानी आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाता है। हर घर में नल से पानी पहुंचाने के अभियान और कई सिंचाई परियोजनाओं के चलते राज्य
जेजेएम-महिलाओं का सशक्तिकरण,जीवन हुआ आसान
Posted on 13 Sep, 2023 04:57 PMघरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी ढोकर लाने का संघर्ष जीवन भर का संघर्ष रहा है। जब से मैं शादी के बाद इस गांव में आई हूं, सुबह जल्दी उठना, मटका लेकर बाहर निकलना और इसे लेकर चलना मेरी दिनचर्या रही है। मैं यह कार्य वर्षों से कर रही हूँ। मेरी जवानी के सभी दिन परिवार के सदस्यों की प्यास बुझाने के लिए पानी से भरे बर्तनों को घर लाने में बीते हैं। मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई कि यह अग्निपरीक्षा सम
भारतीय कृषि में सूक्ष्म सिंचाई की सार्थकता: प्रगति एवं प्रभाव विश्लेषण
Posted on 15 May, 2023 04:33 PMभारत में शुद्ध कृषित क्षेत्रफल का लगभग 48.9% हिस्सा ही सिंचित है एवं शेष क्षेत्रफल वर्षाजल पर आधारित है। देश में अभी तक उपलब्ध परियोजनागत सिंचाई क्षमता का उपयोग नहीं किया जा सका है और कृषि में माँग के अनुरूप सिंचाई सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसलिए ई की नवीन तकनीक “सूक्ष्म सिंचाई” को व्यापक स्तर पर अपनाने की आवश्यकता है। सरकार “प्रति बूँद अधिक फ़सल” मिशन के तहत फव्वारा तथा बूँद-बूँद विधियों को बढ़ाव
नर्मदा को निगलती 'विकास' परियोजनाएं
Posted on 28 Mar, 2023 12:32 PMआधुनिक विकास को विनाश में तब्दील होते देखना हो तो देश के ठीक बीच से प्रवाहित नर्मदा नदी के साथ किया जाने वाला दुर्व्यवहार देख लेना चाहिए। यह जानना सचमुच बेहद दुखदायी है कि कोई सत्ता और समाज कैसे अपनी सदानीरा, पुण्यसलिला, जीवन दायिनी कहलाने वाली नदी को अपनी हवस के चलते ताबड़तोड़ समाप्त करता है। वन विभाग के 2020-21 के वार्षिक प्रतिवेदन के अनुसार मध्यप्रदेश में 1980 से 2020 तक 1163 विकास परियोजनाओ
मिलेट्स का ग्लोबल हब ही नहीं, लोकल हब भी बनाना पड़ेगा
Posted on 17 Feb, 2023 02:15 PMइस साल 2023 को ख़ास तौर पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत के आग्रह पर इंटरनेशनल मिलेट्स इयर (वर्ष ) घोषित किया है. इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिलेट्स का उत्पादन बढ़ाने, उपयोगी प्रसंस्करण और बेहतर फसल चक्र के साथ खाद्य सुरक्षा को बल मिलेगा. इस दिशा में केंद्र सरकार ने शुरुआती कई कदम उठाए हैं.
हमारी आर्थिक स्थिति अत्यंत कमजोर है, हम शौचालय कैसे बनायेगें
Posted on 28 Feb, 2011 03:52 PMप्रश्न 19 हमारी आर्थिक स्थिति अत्यंत कमजोर है, हम शौचालय कैसे बनायेगें ?
उत्तर अब शौचालय बनाना बहुत ही आसान एवं सस्ता हो गया है। सोख्ता गङ्ढा वाले शौचालय बहुत कम राषि में भी बनाये जा सकते है साथ ही शौचालय निर्माण और नियमित उपयोग सुनिष्चित होने के बाद बी0पी0एल0 परिवारों को शासन द्वारा रूपये 2200/- की प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है।
शौचालय निर्माण तथा अन्य जानकारी के लिए कहाँ संपर्क करें
Posted on 28 Feb, 2011 11:55 AMप्रश्न 37 शौचालय निर्माण तथा अन्य जानकारी के लिए कहाँ संपर्क करें ?
स्वजलधारा कार्यक्रम के अंतर्गत वर्तमान में क्या प्राथमिकताएं हैं
Posted on 28 Feb, 2011 11:53 AMप्रश्न 36 स्वजलधारा कार्यक्रम के अंतर्गत वर्तमान में क्या प्राथमिकताएं हैं?
उत्तरः- स्वजलधारा के अंतर्गत स्वीकृत योजनाओं मे लागत का 10 प्रतिशत सामुदायिक अंषदान समाप्त किया गया है अब संपूर्ण राषि भारत शासन द्वारा वहन की जाती है।