प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण मध्य प्रदेश "भारत के हृदय के रुप में स्थित है। प्राचीन गुफांए तथा बौद्धकालीन स्तूप, वास्तुकला का विशिष्ठ नैसर्गिक सौंदर्य, धार्मिक एवं आध्यात्म की विशिष्टता, वन्य जीवों का बहुल्य तथा भारतीय इतिहास की अत्यन्त समृद्ध परम्पराएं इस राज्य को विरासत में मिली है, जिन्हें आज भी यह अपने आंचल में समेटे भविष्य की ओर अग्रसर है।
आधुनिक मध्य प्रदेश का गठन 1 नवम्बर, 1956 को किया गया था। इसका विस्तार पूर्व से पश्चिम की ओर 1127 किमी. तथा उत्तर से दक्षिण की ओर 996 किमी. तक है। इसका क्षेत्रफल 4,43,446 वर्ग किमी. है जो कि भारत के सकल क्षेत्रफल का 8 फीसदी है है। ह सात राज्यों से जुड़ा है। भौगोलिक स्थिति में, इसके उत्तर में यमुना पार का जलोढ़ मैदान, पश्चिम में चम्बल के पार अरावली पर्वत श्रंखलाएं तथा दक्षिण में ताप्ती नदी को पार करते ही प्रायद्वीप का पठार प्रारम्भ हो जाता है। प्राकृतिक रुप से मध्य प्रदेश को 7 भागों में बांटा जाता है:
1. मालवा का पठार :
मालवा का पठार नर्मदा घाटी के उत्तर में विन्ध्य पर्वतमाला से प्रारम्भ होकर पूरब में गुना एवं मदसोर जिले से होकर सागर जिले तक विस्तृत है। यह पठार लावा मिट्टी से निर्मित है। द्विप्रा, काली सिन्धु चम्बल, बेतवा एवं पार्वती इस पठार की प्रमुख नदियां है। इस पठार में 39 से 87 प्रतिशत वन भूमि है।
2. मध्य भारत का पठार :
मध्य भारत का पठार चम्बल प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है। इसके पूर्वोत्तर में बुंदेलखण्ड, पश्चिम में अरावली पर्वतमाला एवं दक्षिण में मालवा के पठार स्थित है। इसका विस्तार भिन्ड, मुरैना, ग्वालियर तथा शिवपुरी जिलों तक है। यहां जलोढ़ एवं काली मिट्टी मिलती है और इसमें 20-27 प्रतिशत तक वन है। चम्बल इसकी मुख्य नदी है।
3. रीवा पन्ना का पठारः
इसे विन्ध्य का पठारी भू भाग भी कहते है जो कि मालवा के उत्तर पूर्व में स्थित है। सतना, रीवा, पन्ना और दमोह प्रमुख जिले है। यहां लाल और लाल-काली मिश्रित मिट्टी पाई जाती है। केन, सुनार, बेमी तथा रोम्स यहां की मुख्य नदियां है। चचाई और ककेरो प्रमुख जल प्रपात है।
4. बुन्देलखण्ड का पठारः
बुन्देलखण्ड का पठार मध्य भारत के पठार के पूर्व और रीवा पन्ना पठार के उत्तर में स्थित है। इस पठार में काली, लाल मिट्टी के मिश्रण से निर्मित बलवी दोमट मिट्टी मिलती है। इसका विस्तार छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, दतिया जिले से होकर उत्तर प्रदेश के झांसी, ललितपुर, बांदा तथा जालोन तक है। बेतवा, सिन्धु धसान एवं केन यहां की प्रमुख नदियां है। इस भू भाग में वर्षा कम होती है। खजुराहो, चंदेरी, ओरछा प्रमुख ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल है।
5. नर्मदा सोन घाटी क्षेत्रः
पूर्वी एवं पश्चिमी भाग में नर्मदा एवं सोन नदी के बीच का क्षेत्र नर्मदा सोन घाटी क्षेत्र कहलाता है। यह मध्य प्रदेश का सबसे तराई वाला एवं सबसे अधिक उपजाऊ क्षेत्र है। यहां काली मिटटी मुख्य रुप से पाई जाती है। मण्डला, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद आदि प्रमुख जिले है। अमरकरंक, भेडाघाट, कान्हा केसली मुख्य दर्शनीय स्थल है।
6. सतपुडा और मेकल पर्वतमालाः
सतपुड़ा से मैकल पर्वतमाला को राजपीपल, सतपुड़ा और मेकाल नामक 3 श्रेणियों में परिमाणित किया गया है जो कि भड़ोत के पश्चिम से शुरु होकर पूर्व में छत्तीसगढ़ के मैदान तक फैला है। खण्डवा, बैतूल, सिवनी, खरगोन, छिन्दवाड़ा और बालाघाट प्रमुख जिले है। इस क्षेत्र में उथली काली मिटटी होने से कपास, गेहूं एवं चना की पैदावार अधिक होती है। बेतवा, ताप्ती और तवा यहां की प्रमुख नदियां है।
7. बघेलखण्ड का पठारः
बघेलखण्ड पठार मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग में नर्मदा नदी के पूर्व में 1500 मीटर की ऊचाई पर स्थित है। सम्पूर्ण भू क्षेत्र सघन वनों से आच्छादित है। हंसदो और सोन इस क्षेत्र की प्रमुख नदियां है। सतना, रीवा, सीधी, शहडोल प्रमुख जिले है। यहां लाल बलुई मिट्टी मुख्यतः पाई जाती है।
नदी प्रणाली :
मध्य प्रदेश की प्रमुख नदियों की संक्षिप्त जानकारी निम्नानुसार हैः
1. नर्मदा नदीः
नर्मदा नदी को मध्य प्रदेश की "जीवन रेखा" कहा जाता है। भारत की 7 पवित्रतम् नदियों में से यह एक है। नर्मदा नदी का उद्गम मेकाल पर्वतमाला की अमरकंटक नामक पहाड़ी से होता है जो कि शहडोल जिले में है। इसकी कुल लम्बाई 1304 किमी. है। यह मध्य प्रदेश के शहडोल, मंडला, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, पूर्वी एवं पश्चिमी निमाड़ जिलों के क्षेत्र में बहती हुई गुजरात प्रान्त में मर्चेन्ड के समीप अरब सागर में गिरती है।
2. ताप्ती नदीः ताप्ती नदी मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के मुल्लाई नामक स्थल से निकलती है और मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं गुजरात प्रान्तों से होकर 752 किमी. की दूरी तय करती हुई अरब सागर में विलीन होती है। पूर्वा, गिरना, वोरी, पाछरा, बाघुड़ और शिवा-ताप्ती इसकी सहायक नदियों है।
3. सोन नदीः मध्य प्रदेश के पिन्ड्रा रेलवे स्टेशन से 9 किमी. दूर स्थित "सोनकुंड" सोन नदी का उद्गम स्थल है। यह मध्य प्रदेश में बहती हुई 780 किमी. का लम्बा रास्ता तय करती है तथा पटना के समीप दानापुर नामक स्थान पर गंगा नदी में मिल जाती है।
4. चम्बल नदीः चम्बल नदी इन्दौर जिले की मऊ तहसील के समीप मानापाव नामक पहाड़ी से निकलती हुई उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में यमुना में मिलती है। यह पश्चिमी मध्य प्रदेश की प्रमुख नदी है। इसकी कुल लम्बाई 1040 किमी है एवं छिप्रा, काली सिंधु, वतना, वनास और पार्वती इसकी सहायक नदियां है।
5. बेतवाः बेतवा नदी मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के कुमार नामक गांव से निकलती है। प्राचीन काल में इसे वेत्रवती नदी कहा जाता था। बेतवा नदी मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में बहने के पश्चात उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जनपद में यमुना में मिल जाती है। इसका बहाव उत्तर की ओर है। केन, बीना, धसान और यामिनी इसकी सहायक नदियां है।
6. क्षिप्रा नदीः
क्षिप्रा नदी मध्य प्रदेश के इन्दौर जिले के समीप काकरी बाड़ी नामक पहाड़ी से निकलती है। यह 195 किमी. लम्बी है तथा 93 किमी. तक मध्य प्रदेश के उज्जैन जिला में प्रवाहित होती हुई पुनः रतलाम और मन्दसौर जिले में बहती हुई चम्बल नदी में मिल जाती है। खान और गंभीर इसकी सहायक नदियां है।
7. काली सिंध नदीः काली सिंध नदी देवास के समीप बागली नामक गांव से निकल कर चम्बल नदी में मिल जाती है।
8. तवा नदीः तवा नदी पंचमढ़ी के महादेव पर्वत से निकलकर नर्मदा नदी में मिलती है। तवा नदी पर होशंगाबाद जिले में तवा बांध द्वारा सिंचाई प्रमुखता से की जाती है।
9. बैन गंगाः यह सिवनी जिले से निकलती है एवं सिवनी, छिन्दबाड़ा जिले में प्रवाहित होती हुई महाराष्ट्र में वर्धा नदी में मिलती है। इस संगम को "प्राणदिता" के नाम से पूजा जाता है।
10. केन नदीः केन नदी जबलपुर जिले की कुटनी तहसील से उद्गमित होती है। इसकी कुल लम्बाई 160 किमी. है तथा यह बांदा जिले (उत्तर प्रदेश) में यमुना में मिलती है।
11. टोन्स नदीः टोन्स नदी मध्य प्रदेश के सतना जनपद की मैहर तहसील के झुलेरी रेलवे स्टेशन के समीप कैमूर की पहाड़ियों से निकलती है। यह उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद की मेजा तहसील में सिरसा नामक गांव में गंगा नदी में मिल जाती है। इसकी सहायक नदी वेलन नदी है।
मृदा संपदाः
मध्य प्रदेश में काली, लाल और पीली जलोढ़ और कछारी मिट्टी मिलती है। पुनः काली को गहरी-काली मिट्टी, साधारण काली मिट्टी और उथली-काली मिट्टी के रूप में वर्गीकृत किया जाता है जो क्रमशः 3.5%, 7.1% एवं 7.2% भागों में पाई गई है। उथली-काली मिट्टी का क्षेत्र बेतूल, छिंदवाड़ा और सिवनी जिला है। 36.5% भाग में लाल और पीली मिट्टी बघेलखंड, छत्तीसगढ़ और बस्तर भूभाग में पाई जाती है। मालवा क्षेत्र में गहरी काली मिट्टी और पूर्वी एवं पश्चिमी निमाड़ में साधारण-काली मिट्टी पाई जाती है।
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