कुल्लू जिला (हिमाचल प्रदेश)

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विश्व धरोहर एरिया में अभी भी बसते हैं तीन गाँव
Posted on 02 Jan, 2016 01:11 PM

हिमाचल प्रदेश में कुल्लू जिला के बंजार उपमण्डल में स्थापित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क को पिछले दिन दोहा कतर में हुई यूनेस्को की एक महत्त्वपूर्ण बैठक में विश्व धरोहर का दर्जा दे दिया गया है। इस पार्क को धरोहर का दर्जा मिलने से देश में विश्व धरोहरों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है।

परियोजना निर्माण से खोखले हुए कुल्लू के पहाड़
Posted on 29 Dec, 2015 11:10 AM

अंधाधुंध जल विद्युत परियोजना निर्माण से बिगड़े घाटी के पर्यावरण के चलते यहाँ हुई बादल फटने की घ

ग्लोबल वार्मिंग की जद में हिमालयी ग्लेशियर
Posted on 29 Dec, 2015 10:14 AM ग्लेशियरों का आकार सिमटने से बढ़ी पर्यावरण वैज्ञानिकों की चिन्ता
हिमालय नीति अभियान की प्रदेश-व्यापी स्वराज अभियान यात्रा
Posted on 16 Nov, 2015 12:14 PM सहभागी लोकतंत्र के विस्तार, विकास नियोजन में जन भागीदारी, विकास नीचे तक पहुँचने तथा भ्रष्टाचार से मुक्ति के रूप में एक महत्त्वपूर्ण पहल के तौर पर देखा जा रहा था। आज दो दशक बाद ये स्थानीय स्वशासन की संवैधानिक इकाइयाँ ऊपर की सरकारों की योजनाओं के निहित कार्यों के निष्पादन की व्यवस्था बनकर रह गई हैं। इसीलिये स्थानीय स्वशासन की निकाय, पंचायती राज तथा विकेन्द्रीकरण पर फिर से आम जनता में चर्चा किये जाने की जरूरत हो गई है। हिमाचल प्रदेश में अभी पंचायत व शहरी निकायों के चुनाव 2015-16 होने जा रहे हैं। इन चुनावों में हम किन-किन मुद्दों को अपने प्रतिनिधि चुनने के लिये सामने रखें, इसे लेकर हिमालय नीति अभियान प्रदेश व्यापी अभियान चलाकर आप तक इस बहस को ले जा रहा है।

नई पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के बाद पिछले 20 वर्षों के अनुभव और परिणामों को देखते हुए आज हमें इस व्यवस्था पर पुनर्विचार तथा चर्चा करनी चाहिए। हमारे देश में पंचायत की व्यवस्था सदियों पुरानी है। अंग्रेजी राज में 1885 में पहली बार स्थानीय निकाय अधिनियम लागू हुआ। इसके पीछे अंग्रेजी राज का मकसद भारत में निचले स्तर पर शासन की पकड़ को सुदृढ़ करना था।

आजादी के आन्दोलन के दौर में महात्मा गाँधी ने ग्राम स्वराज का नारा दिया और एक स्वशासी तथा स्वावलम्बी गाँवों की कल्पना की। गाँधी की कल्पना का ग्राम स्वराज तो स्थापित नहीं हो सका परन्तु 1992 में 73वें संविधान संशोधन ने पंचायत को स्थानीय स्वशासन की संवैधानिक इकाई का दर्जा दिया।
people in himalaya
एन जी टी के आदेश से स्थानीय बाशिंदे होंगे विस्थापित
Posted on 20 Jul, 2015 11:57 AM इस से पहले के आदेश में एन जी टी ने सरकार को वशिष्ठ से रोहतांग दर्रे
NGT
परियोजनाओं की भेंट न चढ़ जाएं प्रदेश के सुंदर नजारे
Posted on 15 Jul, 2011 02:32 PM

यदि तीर्थन नदी पर पनविद्युत परियोजना को मंजूरी दी गई, तो ट्राउट मछली संरक्षण समाप्त होगा व साथ

national park
कुल्लू घाटी में ट्राउट मछली का अवैध शिकार
Posted on 14 Jul, 2011 04:36 PM

इस समय ट्राउट के सबसे बडे़ दुश्मन अवैध शिकार करने वाले हैं, जो जाल, बिजली का करंट और कहीं ब्लीचिंग पाउडर पानी में डाल कर इनका वंश खत्म करने लगे हैं। पहले कहा जाता था कि कुल्लू घाटी ब्राउन ट्राउट मछली का स्वर्ग है, परंतु अब यह मछली इस घाटी में अपना वजूद खोने के कगार पर खड़ी है। बंजार घाटी की तीर्थन खड्ड तो इस मछली का एक आदर्श ठिकाना है। यह वही ट्राउट मछली है, जिसे 1909 में एक ब्रिटिश अधिकारी ने

ट्राउट मछली का वंश संकट में
मंच से खदेड़े गए अफसर
Posted on 09 May, 2011 10:55 AM

रामपुर बुशहर। सतलुज नदी पर प्रस्तावित 775 मेगावाट क्षमता की लूहरी परियोजना के लिए मंडी के परलोग गांव में आयोजित जन सुनवाई शनिवार को जन विरोध के चलते रद्द करनी पड़ी। जन सुनवाई में करीब 500 स्थानीय लोग परियोजना के विरोध में नारे लगाते हुए पहुंचे। महिलाओं ने अधिकारियों को मंच से उतरवा कर विरोध किया। इसके चलते, तीन घंटे की जद्दोजहद के बाद अधिकारियों को आखिर सुनवाई रद्द करनी ही पड़ी। हिमाचल प्रदेश प

तीरथन जलधारा पर बिजली परियोजना का विरोध
Posted on 27 Apr, 2011 01:58 PM

एक ओर जहां पीने के पानी की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है वहीं तीरथन जलधारा आज भी इतनी

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