कुल्लू जिला (हिमाचल प्रदेश)

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मानसून 2024 : लापरवाही और आपदा
कई अध्ययनों से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन से दुनिया भर के कई क्षेत्रों में बादल फटने की आवृति और तीव्रता में वृद्धि हुई है। हिमालयी क्षेत्र में बादल फटने की सबसे अधिक घटनाएँ देखी जा रही हैं, क्योंकि हिमालयी क्षेत्र में 'दशकीय तापमान वृद्धि' 'वैश्विक तापमान वृद्धि' की दर से अधिक है। हाल ही में किए गए एक मॉडलिंग अध्ययन से भी पता चला है कि भारत के पूर्वोत्तर में हवा में 'ब्लैक-कार्बन' की बढ़ती मात्रा बारिश बढ़ा रही है। एक्सट्रीम रेनफाल अब न्यू नार्मल घटना हो गई है। लापरवाही और आपदा लेख में हम जानते हैं कि क्या करना होगा? Posted on 14 Aug, 2024 01:51 PM

मानसून आते ही बादल फटना आजकल आम है। भारी मात्रा में कम समय की ये तेज वर्षा बाढ़, भू-स्खलन और बिजली गिरने की वजह बनती है। विडम्बना यह है कि आसमानी पानी के ये करतब इंसानी कारनामों के नतीजे में होते हैं। आखिर क्यों होती हैं, ऐसी प्राकृतिक आपदाएं ?

वर्षा के पानी का यदि संचयन हो तो बाढ़ से मुक्ति मिले (स्रोत: लिज जिनराज, विकिमीडिया कॉमन्स)
पार्वती की नगरी मणिकर्ण
Posted on 19 Nov, 2018 12:44 PM

एक ऐसी जगह, जहाँ सैकड़ों गर्म पानी के चश्मे हैं और उनमें अनाज पकाने का रिवाज है। कहीं शान्ति तो कहीं कोलाहल से भरी पार्वती नदी है, कई प्राचीन शिव मन्दिर हैं। प्रकृति का यह विस्मित कर देने वाला रूप देखने को मिलता है कुल्लू के मणिकर्ण में। यहाँ के बारे में बता रही हैं डॉ. कविता विकास
Hot springs at Manikaran
द्वितीय ग्लोबल ग्रीन मीट (हिमालय 2010)
Posted on 23 Oct, 2009 06:34 PM

(12-05-2010 to14-05-2010)



विषय : हिमालय क्षेत्र में हो रहे जलवायु और जैव विविधता परिवर्तन, विश्व के पर्यावरण के लिये घातक

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