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झारखंड
मेदिनीनगर में पानी का हाहाकार, कोयल नदी से चैनल काट की जा रही आपूर्ति
Posted on 13 May, 2019 04:05 PM
मेदिनीनगर,
भीषण गर्मी में पानी संकट गहरा गया है। इससे शहरवासी इन दिनों काफी परेशान हैं। कोयल नदी सूख चुकी है। पीएचइडी द्वारा बेलवाटिका पंपू कल में नदी में चैनल काटकर किसी तरह पानी की सप्लाई की जा रही है। वह भी अनियमित सप्लाई हो रही है।
झारखंड राज्य में मृदा स्वास्थ्य की स्थिति समस्या एवं निदान
Posted on 12 Aug, 2018 06:38 PM
झारखंड राज्य कृषि क्षेत्र में काफी पिछड़ा हुआ है। इस राज्य को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने हेतु वर्तमान उपज को बढ़ाकर दोगुना करना होगा। इसके लिये मृदा स्वास्थ्य की स्थिति एवं उनकी समस्याओं का जानकारी होना अतिआवश्यक है ताकि, प्रदेश के किसान कम लागत में अच्छी उपज प्राप्त कर सके।
उर्वरकों की क्षमता बढ़ाने के उपाय
Posted on 12 Aug, 2018 05:03 PM
झारखंड में 80 प्रतिशत लोग खेती में लगे हैं। अधिक फसल उत्पादन के लिये आधुनिक -कृषि तकनीक में उन्नत बीज, समय से फसल बुआई, कोड़ाई, पटवन, उर्वरक का उपयोग खरपतवार नियंत्रण, कीट व रोग नियंत्रण, समय से कटाई एवं फसल चक्र का उपयोग करने लगे हैं। इनमें सबसे महँगा उपादान उर्वरक है।
उर्वरकों का दीर्घकालीन प्रभाव एवं वैज्ञानिक अनुशंसायें
Posted on 12 Aug, 2018 03:25 PM
भारत सरकार के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा किसानों के लिये कई उपयोगी योजनाएँ चलाई जा रही है। इस कड़ी में झारखंड राज्य के अंतर्गत उर्वरक शोध परियोजना 1972-73 से सोयाबीन एवं गेहूँ फसल-चक्र पर चलाई जा रही है।
अन्न से जन पानी से धन
Posted on 16 Feb, 2016 12:59 PMसिमोन के गाँव समेत आस-पास के कई गाँवों के एक हजार एकड़ जमीनों पर जहाँ पानी के अभाव में साल में धान की एक खेती भी ठीक से नहीं हो पाती। अब धान के अलावा गेहूँ, सब्जियाँ, सरसों, मक्का इत्यादि की कई-कई फसलें होने लगी थीं। कुछ ही सालों में न केवल देसावाली, गायघाट, अम्बा झरिया नाम से तीन बाँध बनाए गए, बल्कि कई छोटे तालाब और दर्जनों कुएँ खोद डाले गए। सब-के-सब गाँव वालों के ही जमीन और पैसों से। बाद में रस्म अदायगी के तौर पर कुछ सरकारी मदद भी मिली। सिमोन उरांव का सपना साकार होने में उनके दृढ़ निश्चय और कठोर लगन के साथ-साथ गाँव-समाज के लोगों की सपरिवार पूरी भागीदारी रही।
अन्न है तो जन है, पानी है तो धन है’। ये किसी सरकारी प्रचार का नारा या किसी नेता का जुमला नहीं है। बल्कि 83 साल के उस आदिवासी किसान सिमोन उरांव की जिन्दगी का सच है। जिसे उन्होंने अपनी पूरी जिन्दगी लगाकर हासिल किया है। आज भी वे चुस्त-दुरुस्त और जिन्दादिल अन्दाज में कभी ग्रामीणों का जड़ी-बुटियों से इलाज करते हुए तो कभी खेतों में काम करते हुए या गाँव-समाज की बैठकों में लोगों की समस्याओं का निराकरण करते हुए देखे जा सकते हैं।उन्होंने अपने मजबूत इरादों और अकल्पनीय परिश्रम पराक्रम के बूते पहाड़ पर पानी पहुँचाकर सैकड़ों एकड़ बंजर भूमि को सचमुच में फसलों की हरियाली से भर दिया है। हर साल बरसात में पहाड़ से गिरकर व्यर्थ बह जाने वाले पानी को न सिर्फ बड़े जलाशयों में इकट्ठा किया, बल्कि अपने दिमागी कौशल से छोटी-छोटी नहरें बनाकर सैकड़ों फीट ऊपर पानी पहुँचाकर दर्जनों गाँव के किसानों को सालों खेती-किसानी का साधन उपलब्ध कराया।
बांस में आजीविका
Posted on 15 Feb, 2015 08:39 AM बांस के क्षेत्र में सक्रिय सामाजिक संगठन इवौन्जिकल सोशल एक्शन फोरममहिला मुखिया पथरीली जमीन पर कर रही हैं केले की खेती
Posted on 16 Aug, 2014 10:50 PMटपक सिंचाई योजना से प्रत्येक पौधे में पाइप के द्वारा पानी पहुंचाया जाता है। संपूर्ण क्षेत्र में पाइप बिछाकर प्वाइंट बनाया जाता है, जहां से पानी आपूर्ति की जाती। टपक सिंचाई योजना में आवश्यकतानुसार ही पानी खर्च कर फसल सिंचित कर सकते हैं।कौन कहता है कि पत्थर पर दूब नहीं उपज सकता। हां, पत्थर पर भी दूब उपज सकता है। बशर्ते उपजाने वालों में कुछ कर दिखाने की तमन्ना व जज्बा हो। ऐसा भी कहा गया है कि हौसल