झारखंड

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झारखंड राज्य में मृदा स्वास्थ्य की स्थिति समस्या एवं निदान
Posted on 12 Aug, 2018 06:38 PM


झारखंड राज्य कृषि क्षेत्र में काफी पिछड़ा हुआ है। इस राज्य को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने हेतु वर्तमान उपज को बढ़ाकर दोगुना करना होगा। इसके लिये मृदा स्वास्थ्य की स्थिति एवं उनकी समस्याओं का जानकारी होना अतिआवश्यक है ताकि, प्रदेश के किसान कम लागत में अच्छी उपज प्राप्त कर सके।

Maize
उर्वरकों की क्षमता बढ़ाने के उपाय
Posted on 12 Aug, 2018 05:03 PM


झारखंड में 80 प्रतिशत लोग खेती में लगे हैं। अधिक फसल उत्पादन के लिये आधुनिक -कृषि तकनीक में उन्नत बीज, समय से फसल बुआई, कोड़ाई, पटवन, उर्वरक का उपयोग खरपतवार नियंत्रण, कीट व रोग नियंत्रण, समय से कटाई एवं फसल चक्र का उपयोग करने लगे हैं। इनमें सबसे महँगा उपादान उर्वरक है।

गेहूँ की खेती
उर्वरकों का दीर्घकालीन प्रभाव एवं वैज्ञानिक अनुशंसायें
Posted on 12 Aug, 2018 03:25 PM


ईख (गन्ने) की खेती भारत सरकार के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा किसानों के लिये कई उपयोगी योजनाएँ चलाई जा रही है। इस कड़ी में झारखंड राज्य के अंतर्गत उर्वरक शोध परियोजना 1972-73 से सोयाबीन एवं गेहूँ फसल-चक्र पर चलाई जा रही है।

ईख (गन्ने) की खेती
अन्न से जन पानी से धन
Posted on 16 Feb, 2016 12:59 PM

सिमोन के गाँव समेत आस-पास के कई गाँवों के एक हजार एकड़ जमीनों पर जहाँ पानी के अभाव में साल में धान की एक खेती भी ठीक से नहीं हो पाती। अब धान के अलावा गेहूँ, सब्जियाँ, सरसों, मक्का इत्यादि की कई-कई फसलें होने लगी थीं। कुछ ही सालों में न केवल देसावाली, गायघाट, अम्बा झरिया नाम से तीन बाँध बनाए गए, बल्कि कई छोटे तालाब और दर्जनों कुएँ खोद डाले गए। सब-के-सब गाँव वालों के ही जमीन और पैसों से। बाद में रस्म अदायगी के तौर पर कुछ सरकारी मदद भी मिली। सिमोन उरांव का सपना साकार होने में उनके दृढ़ निश्चय और कठोर लगन के साथ-साथ गाँव-समाज के लोगों की सपरिवार पूरी भागीदारी रही।

अन्न है तो जन है, पानी है तो धन है’। ये किसी सरकारी प्रचार का नारा या किसी नेता का जुमला नहीं है। बल्कि 83 साल के उस आदिवासी किसान सिमोन उरांव की जिन्दगी का सच है। जिसे उन्होंने अपनी पूरी जिन्दगी लगाकर हासिल किया है। आज भी वे चुस्त-दुरुस्त और जिन्दादिल अन्दाज में कभी ग्रामीणों का जड़ी-बुटियों से इलाज करते हुए तो कभी खेतों में काम करते हुए या गाँव-समाज की बैठकों में लोगों की समस्याओं का निराकरण करते हुए देखे जा सकते हैं।

उन्होंने अपने मजबूत इरादों और अकल्पनीय परिश्रम पराक्रम के बूते पहाड़ पर पानी पहुँचाकर सैकड़ों एकड़ बंजर भूमि को सचमुच में फसलों की हरियाली से भर दिया है। हर साल बरसात में पहाड़ से गिरकर व्यर्थ बह जाने वाले पानी को न सिर्फ बड़े जलाशयों में इकट्ठा किया, बल्कि अपने दिमागी कौशल से छोटी-छोटी नहरें बनाकर सैकड़ों फीट ऊपर पानी पहुँचाकर दर्जनों गाँव के किसानों को सालों खेती-किसानी का साधन उपलब्ध कराया।
बांस में आजीविका
Posted on 15 Feb, 2015 08:39 AM बांस के क्षेत्र में सक्रिय सामाजिक संगठन इवौन्जिकल सोशल एक्शन फोरम
महिला मुखिया पथरीली जमीन पर कर रही हैं केले की खेती
Posted on 16 Aug, 2014 10:50 PM

टपक सिंचाई योजना से प्रत्येक पौधे में पाइप के द्वारा पानी पहुंचाया जाता है। संपूर्ण क्षेत्र में पाइप बिछाकर प्वाइंट बनाया जाता है, जहां से पानी आपूर्ति की जाती। टपक सिंचाई योजना में आवश्यकतानुसार ही पानी खर्च कर फसल सिंचित कर सकते हैं।कौन कहता है कि पत्थर पर दूब नहीं उपज सकता। हां, पत्थर पर भी दूब उपज सकता है। बशर्ते उपजाने वालों में कुछ कर दिखाने की तमन्ना व जज्बा हो। ऐसा भी कहा गया है कि हौसल

Banana Grower
अपने गांव को स्वच्छ बनाने 15 अगस्त को करें विशेष ग्रामसभा
Posted on 16 Aug, 2014 10:44 PM 15 अगस्त 2014 अथवा इस माह के ही किसी भी दिन निर्मल भारत अभियान के अंतर्गत स्वच्छता पर विशेष ग्रामसभा आयोजित करने का आग्रह पेयजल एवं स्वच्छता विभाग तथा पंचायती राज विभाग, झारखंड सरकार की ओर से किया गया है।
मछली पालें, पैसा कमाएं, इनाम भी पाएं
Posted on 16 Aug, 2014 10:23 PM संवाददाता- बिहार और झारखंड राज्य में मत्स्य पालन को लेकर काफी संभावनाएं हैं। मत्स्य पालन को रोजगार के रूप में अपना कर बेहतर आय अर्जित की जा सकती है। पिछले कुछ दशकों से मत्स्य पालन ने खेती का रूप ले लिया है और एक सफल आर्थिक कार्यकलाप के रूप में देखा जाता है।
खुले में शौच के खिलाफ बड़ा अभियान
Posted on 17 Jun, 2014 01:05 PM खुले में शौच और स्वच्छता को लेकर आइआइटी दिल्ली एवं यूनिसेफ द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर एक दिवसीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया गया। नयी दिल्ली के आइआइटी कैंपस में आयोजित इस सम्मेलन में केंद्र सरकार, स्वच्छता क्षेत्र की विभिन्न एजेंसियों, ग्रास रूट पर काम कर रही स्वयं सेवी संस्थाओं, तकनीकी संस्थानों, मीडिया और बुद्धिजीवी वर्ग के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन में निर्मल भारत के लक्ष्य को प्राप्त
पर्यावरण बचाने के लिए बचाइए पानी
Posted on 17 Jun, 2014 11:15 AM वैज्ञानिकों द्वारा अनेक शोध के बाद जो निष्कर्ष निकाले गए हैं, उनसे साबित हो गया है कि प्राकृतिक वातावरण को बेहतर बनाए रखते हुए ही मानव जीवन का आनंद लिया जा सकता है। प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाने का मानव जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस सर्वमान्य तथ्य का ज्ञान होने के बाद भी मानव जीवन में सुख-सुविधाओं के प्रति बढ़ते मोह ने नए-नए आविष्कारों को जन्म दिया। ऐसे आविष्कार प्रकृति एवं पर्यावरण के
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