झारखंड

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चटकपुर : जहां के सभी लोग करते हैं शौचालय का उपयोग
Posted on 16 Jun, 2014 04:55 PM खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड की हूसिर पंचायत का चटकपुर गांव ग्राम स्वच्छता का मॉडल बन गया है। इस गांव के सभी लोग शौचालय का उपयोग करते हैं। गांव में निर्मल भारत अभियान के तहत 97 घरों में शौचालय का निर्माण किया गया है। यहां के शौचालय की गुणवत्ता भी अन्य जगहों से बेहतर है। पूर्व में इस गांव के लोग शौच के लिए बाहर जाते थे, जिससे गंदगी फैल रही थी। गांव में शौचालय बन जाने के बाद शौचालय के उपयोग के लिए
पंचायतों को ही करना है अब सारा काम
Posted on 16 Jun, 2014 04:25 PM झारखंड सरकार का पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, भारत सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय का एक हिस्सा है। इसका मुख्य काम राज्य के नागरिकों खासकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराना और साफ-सफाई की व्यवस्था बनाए रखना है। इसके लिए कई योजनाएं हैं। वैसे तो विभाग का पूरा प्रशासनिक एवं वित्तीय नियंत्रण राज्य सरकार के पास है। लेकिन, योजनाओं का कार्यान्वयन भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत ह
ग्रामीण जलापूर्ति योजना के लिए पंचायत ही करें पहल
Posted on 16 Jun, 2014 03:40 PM मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एक मार्च को राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में पंचायत प्रतिनिधियों के राज्य स्तरीय सम्मेलन को संबोधित करने के दौरान खासे उत्साहित थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 तक वे राज्य के गांव-गांव में जलापूर्ति व्यवस्था कर देंगे। मुख्यमंत्री का कहना था कि आम लोगों में 80 प्रतिशत बीमारियां प्रदूषित पानी पीने की वजह से होती है। अगर हम स्वच्छ पानी पियेंगे तो कम बीमार होंगे। लेकिन इस लक
धान की खेती में पानी की खपत करें कम
Posted on 15 Jun, 2014 04:42 PM

सूखा प्रतिरोधी धान की खेती करना अब मुमकिन हो गया है। शुक्र है कि गेहूं की तरह अब चावल उगाने के लिए तकनीक उपलब्ध हो गई है। इसका मतलब यह हुआ कि धान के खेत को हमेशा पानी से भरा हुआ रखे बिना भी इसकी खेती की जा सकती है। नई तकनीक से धान की फसल के लिए पानी की जरूरत में 40 से 50 फीसदी तक कम करने में मदद मिलेगी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) और फिलिपींस स्थित अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (

paddy cultivation
श्रीविधि से लक्ष्य को पाने में झारखंड फेल
Posted on 14 Jun, 2014 10:14 PM झारखंड श्रीविधि (एसआरआइ) से खेती करने के लक्ष्य से काफी पीछे है। पिछले खरीफ मौसम 2013-14 में झारखंड ने पांच लाख हेक्टेयर भूमि पर श्रीविधि से खेती करने का लक्ष्य रखा था। लेकिन इसके बनिस्पत राज्य मात्र 67804.842 हेक्टेयर भूमि पर श्रीविधि से खेती कर सका। यानी लक्ष्य का मात्र 14 ही राज्य हासिल कर सका।
नई प्रणाली अपना कर बना रहे हैं धान उत्पादन का रिकॉर्ड
Posted on 14 Jun, 2014 07:19 PM अक्सर यह देखा जाता है कि जब मॉनसून का मौसम आता है किसान एक ओर तो प्रसन्नता जाहिर करते हैं लेकिन उनके मन में मॉनसून फेल होने का डर भी बना रहता है। उनकी उम्मीद और आशाएं भगवान पर टिकी होती हैं। पर, धान की प्रमुखता से खेती करने वाले कई किसानों के मन से यह भय खत्म हो गया है। वे अब परंपरागत रूप से धान की खेती से दूर हट कर आधुनिक व वैज्ञानिक विधि से धान की खेती कर रहे हैं।
पर्यावरण संरक्षण में पंचायती राज का हो सकता है अहम योगदान
Posted on 14 Jun, 2014 09:13 AM भारतीय संविधान के 73वें संशोधन के उपरांत ग्यारहवीं अनुसूची के अंतर्गत पंचायती राज सहकारिता विषय निम्न प्रकार है :
कल्याणकारी (प्राकृतिक) खाद द्वारा कृषि विकास
जल संग्रहण विकास
सामाजिक वानिकी
लघु वन उत्पाद
जल निकायों का निकर्षण एवं साफ–सफाई
व्यर्थ जल संग्रहण एवं निष्कासन
सामुदायिक बायोगैस प्लांटों की स्थापना
र्इंधन व चारा विकास
गरीबी दूर करने सहेजें पानी
Posted on 11 Jun, 2014 01:44 PM भले ही आज भारत जल संसाधन की दृष्टि से दुनिया के शीर्ष संपन्न देशों में शुमार हो, लेकिन आने वाले दिनों के लिए यहां व्यापक पैमाने पर जल प्रबंधन की जरूरत पड़ेगी। खास कर ग्रामीण इलाके के लोगों व स्थानीय निकायों को जलछाजन व वर्षाजल संचय आदि जैसे प्रयोग करने होंगे। आइये, इस पर्यावरण दिवस पर इस दिशा में पहल करने का संकल्प लिया जाये।
पर्यावरण के लिए बंजर भूमि के उपयोग पर सोचना होगा : एके मिश्र
Posted on 10 Jun, 2014 04:40 PM अजय कुमार मिश्र (एके मिश्र) भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं। वे राज्य के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पद पर कार्य कर चुके हैं। पिछले कुछ महीनों से वे झारखंड राज्य प्रदूषण बोर्ड के अध्यक्ष हैं। एके मिश्र उन अधिकारियों से अलग हैं, जो सिर्फ सरकारी फाइलें को निबटाते हैं और अपने मातहतों को निर्देश देने में अपनी ड्यूटी पूरी मान लेते हैं। वे अधिकारियों, पर्यावरण में रुचि रखने वालों व आम ग्राम
मछली पालन कला है और खेल भी
Posted on 02 Jul, 2013 12:45 PM डोकाद गांव में अब खेती और जंगल के अलावा मछली पालन भी अहम रोजगार का रूप धारण कर चुका है। जिसके कारण गांव में लोगों की न सिर्फ आमदनी बढ़ी है बल्कि रोजगार के नाम पर होने वाला पलायन भी रुक गया है। अब नौजवान परदेस जाकर कमाने की बजाय विजय ठाकुर की तरह गांव में ही मछली पालन में रोजगार ढ़ूढ़ंने लगे हैं। यहां किसान कर्ज लेने के एक साल में ब्याज समेत चुका देता है। किसी भी इलाके के विकास के लिए केवल सरकार की योजनाएं ही काफी नहीं है। यदि समुदाय चाहे तो सरकारी योजनाओं का इंतजार किए बगैर मिसाल कायम कर सकता है। रांची से 35 किलोमीटर दूर जोन्हा पंचायत इसका उदाहरण है। जिसने विगत 6 सालों से मछली पालन से समृद्धि तो की है साथ ही गांव के विकास और पानी के श्रोत तथा मलेरिया जैसे बीमारियों पर भी काबू पा लिया। अनगड़ा प्रखंड का डोकाद गांव के विजय ठाकुर कभी अखबार से जुड़े हुए थे। लेकिन गांव के विकास और सामाजिक काम करने के प्रति उनकी इच्छाशक्ति के आगे उन्होंने इस काम को छोड़ दिया और गांव में ही रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के लिए प्रयास करने लगे।
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