झारखंड

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कोयला खानों की आग और मनुष्य पर मंडराते खतरे - एक वर्कशॉप
Posted on 21 Oct, 2009 02:53 PM झारखण्ड के सेंट्रल कोलफ़ील्डस लिमिटेड की कुज्जू कोयला खदान में लगी आग अब धीरे-धीरे समूचे इलाके के लिये एक बड़ा खतरा बनती जा रही है। एक तरफ़ जहाँ इस आग से पर्यावरण सम्बन्धी गम्भीर चिंताएं उठने लगी हैं, वहीं दूसरी ओर मानव आबादी और बसाहटों पर मंडराते खतरे के खिलाफ़ भी आवाज़ें उठने लगी हैं।
भयावह हैं आहरों को मिटाने के नतीजे!
Posted on 11 Oct, 2009 07:04 AM
झारखंड के लोक गीतों और लोक कथाओं में जहाँ जल स्त्रोंतों की स्तुति छलकती है वहीं सरकार द्वारा गठित विभिन्न आयोगों के रिपार्ट से इस बात की जानकारी मिलती है कि वहाँ कभी सिंचाई की बड़ी अच्छी व्यवस्था थी। उल्लेखनीय है कि 1860 ई0 में अंग्रजों ने भीषण अकाल के बाद ईस्ट इण्डिया इरीगेशन एण्ड कैनाल कम्पनी की स्थापना की थी। इसकी स्थापना के करीब 40 साल बाद एक सिंचाई आयोग अस्तित्व में आया जिसकी रिपोर्ट से पता च
हम पी रहे है मीठा जहर
Posted on 08 Oct, 2009 10:26 AM

गंगा के मैदानी इलाकों में बसा गंगाजल को अमृत मानने बाला समाज जल मेंव्याप्त इन हानिकारक तत्वों को लेकर बेहद हताश और चिंतित है। गंगा बेसिनके भूगर्भ में 60 से 200 मीटर तक आर्सेनिक की मात्रा थोडी कम है और 220मीटर के बाद आर्सेनिक की मात्रा सबसे कम पायी जा रही है। विशेषज्ञों केअनुसार गंगा के किनारे बसे पटना के हल्दीछपरा गांव में आर्सेनिक की मात्रा1.8 एमजी/एल है। वैशाली के बिदुपूर में विशेषज्ञों ने पानी की जांच की तोनदी से पांच किमी के दायरे के गांवों में पेयजल में आर्सेनिक की मात्रादेखकर वे दंग रह गये। हैंडपंप से प्राप्त जल में आर्सेनिक की मात्रा 7.5एमजी/एल थी ।

तटवर्तीय मैदानी इलाकों में बसे लोगों के लिए गंगा जीवनरेखा रही है। गंगा ने इलाकों की मिट्टी को सींचकर उपजाऊ बनाया। इन इलाकों में कृषक बस्तियां बसीं। धान की खेती आरंभ हुई। गंगा घाटी और छोटानागपुर पठार के पूर्वी किनारे पर धान उत्पादक गांव बसे। बिहार के 85 प्रतिशत हिस्सों को गंगा दो (1.उत्तरी एवं 2. दक्षिणी) हिस्सों में बांटती है। बिहार के चौसा,(बक्सर) में प्रवेश करने वाली गंगा 12 जिलों के 52 प्रखंडों के गांवो से होकर चार सौ किमी की दूरी तय करती है। गंगा के दोनों किनारों पर बसे गांवों के लोग पेयजल एवं कृषि कार्यों में भूमिगत जल का उपयोग करते है।


गंगा बेसिन में 60 मीटर गहराई तक जल आर्सेनिक से पूरी तरह प्रदूषित हो चुका है। गांव के लोग इसी जल को खेती के काम में भी लाते है जिससे उनके शरीर में भोजन के द्वारा आर्सेनिक की मात्रा शरीर में प्रवेश कर जाती है।

जल संरक्षण का संदेश दूर-दूर तक पहुंचाना है
Posted on 02 Sep, 2009 07:33 PM
रांची-झारखंड की राजधानी रांची से तकरीबन 35 किलोमीटर दूर अनगड़ा प्रखंड के गेतलसूद निवासी 25 वर्षीय सुरेश महतो की डैम के किनारे रहते-रहते कब पानी से दोस्ती हो गई पता नहीं चला। आज वह जलगीत गाता है। जल के बिना जीवन की परिकल्पना बेमानी है, लोगों को समझाता है, जल संरक्षण का गुर बताता है। यह सब करने के लिए वह घंटों जल क्रीड़ा करता है। 12-12 घंटे तक पानी में रहने का उसने रिकार्ड कायम किया है। उसका शौक ह
जिन ढूंढा तिन पाइंया
Posted on 19 Jan, 2003 01:27 PM पानी बचाने, पानी के संरक्षण के छोटे-बड़े प्रयास झारखंड के सौकड़ों ग
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