हिमाचल प्रदेश

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जब बन रहा था भाखड़ा नंगल बाँध
Posted on 22 May, 2016 12:16 PM
शिवालिक की पहाड़ियों में रुपहली गोटे की पट्टी-जैसी जगमगाती ह
मुसीबत में एक नदी
Posted on 20 Feb, 2016 11:46 AM
हिमाचल प्रदेश में औद्योगीकरण के अपने फायदे और नुकसान हैं। हालांकि इससे कुछ रोज़गार तो खड़े हुए किन्तु नदियों और वायु प्रदूषण के रूप में हमें भारी कीमत भी चुकानी पड़ी है। जो रोज़गार खड़े भी हुए उसमें ज़्यादातर अकुशल मजदूरी के अस्थायी रोज़गार ही हिमाचल के हिस्से आये। ऊपर से 70 प्रतिशत रोज़गार हिमाचलियों को देने का वादा भी पूरा नहीं हो सका।
हिमाचल के सेब पर ग्लोबल वार्मिंग का खतरा
Posted on 16 Feb, 2016 03:23 PM
जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाले बदलाव से सेब बागवानी प्रभाव
पौंग बाँध वेटलैंड
Posted on 31 Jan, 2016 10:46 AM

विश्व आर्द्रभूमि दिवस, 2 फरवरी 2016 पर विशेष

 

लोगों को मौत की सौगात बाँटती एक सुरंग
Posted on 13 Jan, 2016 02:01 PM ज़हरीली हुई लारजी यातायात सुरंग की हवा
सुरंग की दीवारों पर जमी दो इंच कार्बन की परत

विश्व धरोहर एरिया में अभी भी बसते हैं तीन गाँव
Posted on 02 Jan, 2016 01:11 PM

हिमाचल प्रदेश में कुल्लू जिला के बंजार उपमण्डल में स्थापित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क को पिछले दिन दोहा कतर में हुई यूनेस्को की एक महत्त्वपूर्ण बैठक में विश्व धरोहर का दर्जा दे दिया गया है। इस पार्क को धरोहर का दर्जा मिलने से देश में विश्व धरोहरों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है।

परियोजना निर्माण से खोखले हुए कुल्लू के पहाड़
Posted on 29 Dec, 2015 11:10 AM

अंधाधुंध जल विद्युत परियोजना निर्माण से बिगड़े घाटी के पर्यावरण के चलते यहाँ हुई बादल फटने की घ

ग्लोबल वार्मिंग की जद में हिमालयी ग्लेशियर
Posted on 29 Dec, 2015 10:14 AM ग्लेशियरों का आकार सिमटने से बढ़ी पर्यावरण वैज्ञानिकों की चिन्ता
हिमालय नीति अभियान की प्रदेश-व्यापी स्वराज अभियान यात्रा
Posted on 16 Nov, 2015 12:14 PM सहभागी लोकतंत्र के विस्तार, विकास नियोजन में जन भागीदारी, विकास नीचे तक पहुँचने तथा भ्रष्टाचार से मुक्ति के रूप में एक महत्त्वपूर्ण पहल के तौर पर देखा जा रहा था। आज दो दशक बाद ये स्थानीय स्वशासन की संवैधानिक इकाइयाँ ऊपर की सरकारों की योजनाओं के निहित कार्यों के निष्पादन की व्यवस्था बनकर रह गई हैं। इसीलिये स्थानीय स्वशासन की निकाय, पंचायती राज तथा विकेन्द्रीकरण पर फिर से आम जनता में चर्चा किये जाने की जरूरत हो गई है। हिमाचल प्रदेश में अभी पंचायत व शहरी निकायों के चुनाव 2015-16 होने जा रहे हैं। इन चुनावों में हम किन-किन मुद्दों को अपने प्रतिनिधि चुनने के लिये सामने रखें, इसे लेकर हिमालय नीति अभियान प्रदेश व्यापी अभियान चलाकर आप तक इस बहस को ले जा रहा है।

नई पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के बाद पिछले 20 वर्षों के अनुभव और परिणामों को देखते हुए आज हमें इस व्यवस्था पर पुनर्विचार तथा चर्चा करनी चाहिए। हमारे देश में पंचायत की व्यवस्था सदियों पुरानी है। अंग्रेजी राज में 1885 में पहली बार स्थानीय निकाय अधिनियम लागू हुआ। इसके पीछे अंग्रेजी राज का मकसद भारत में निचले स्तर पर शासन की पकड़ को सुदृढ़ करना था।

आजादी के आन्दोलन के दौर में महात्मा गाँधी ने ग्राम स्वराज का नारा दिया और एक स्वशासी तथा स्वावलम्बी गाँवों की कल्पना की। गाँधी की कल्पना का ग्राम स्वराज तो स्थापित नहीं हो सका परन्तु 1992 में 73वें संविधान संशोधन ने पंचायत को स्थानीय स्वशासन की संवैधानिक इकाई का दर्जा दिया।
people in himalaya
हिमालय के प्राकृतिक जलस्रोतों की अनदेखी घातक
Posted on 10 Nov, 2015 04:07 PM

हिमालय की तेज ढलानों में बर्फ और वनों के कारण पानी ज़मीन के अन्दर जमा होता रहता है और जहाँ भी ढलान में पानी को बाहर निकलने की जगह मिलती है, यह बाहर फूट पड़ता है। ऐसे स्थानों पर लकड़ी, धातु या पत्थर के पाइप लगाकर पानी भरने का स्थान बना लिया जाता है।

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