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दुनिया
भारतीय कृषि में सूक्ष्म सिंचाई प्रगति, प्रभावशीलता एवं संभावित क्षेत्रफल के आच्छादन हेतु सांकेतिक लागत का आंकलन
Posted on 10 May, 2023 06:14 PMसारांश :
भारतीय कृषि क्षेत्र देश में कुल उपलब्ध जल का सर्वाधिक उपभोक्ता है। अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की बढ़ती मांग, घटली आपूर्ति एवं बदलते मौसम के कारण खेती में पानी के उपयोग को 50 प्रतिशत से नीचे लाने का सुझाव दिया जा रहा है और इसके लिए नवीन कृषि प्रौद्योगिकियों (सिंचाई विधियों और कम पानी चाहने वाली किस्मों) के अपनाने पर बल भी दिया जा रहा है। वर्तमान स
![भारतीय कृषि में सूक्ष्म सिंचाई प्रगति ,Pc IWP](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-05/33513402424_679c3a25c6_0.jpg?itok=UiBYbioF)
भविष्य धन शैवाल ईंधन
Posted on 10 May, 2023 03:24 PMदुनिया के सभी देशों में ईंधन का एक नया रूप विकसित करने की होड़ लगी हुई है। पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें आसमान छू रही हैं। ऐसे में पेट्रोलियम पर आधारित ईंधन के लिए विकल्प खोजने की आवश्यकता है। सौभाग्य से, वैज्ञानिक जैवईंधन (एक वैकल्पिक उत्पाद) बनाने में कार्यरत हैं। जैवइंधन बनाने के बहुत से विकल्प खोजे जा चुके हैं। जैसे-जेट्रोफा, सोयाबीन, वनस्पति तेल, सरसों आदि । परन्तु वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसा
![भविष्य धन शैवाल ईंधन, PC- Education Blog](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-05/%E0%A4%B6%E0%A5%88%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B2%20%28Algae%29%E0%A5%A4.jpg?itok=nSiUu-l_)
मानव- पर्यावरण संबंध का मानव स्वास्थ्य पर प्रभावः एक भौगोलिक अध्ययन
Posted on 06 May, 2023 05:34 PMसारांश-
मानव अपनी जीवन की उत्पत्ति से ही पर्यावरण से संबंधित रहा है। मानव पर्यावरण का संबंध मनुष्य के लिए अपेक्षाकृत अधिक लाभकारी रहा है। पिछली चार शताब्दियों में मानव की गतिविधियों के कारण पृथ्वी के मूल तत्वों हवा, पानी, मिट्टी तथा रासायनिक संगठन में परिवर्तन हुआ है, जिसके कारण पृथ्वी के भौतिक और रासायनिक विशेषताओं में तेजी से रूपांतरण हुआ है इस रूपांतरण के का
![मानव- पर्यावरण संबंध का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव,PC-H&F](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-05/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B5-%20%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A3%20%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%A7%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B5%20%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%20%E0%A4%AA%E0%A4%B0%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%83.png?itok=Ptdjwn9L)
मैक्रोफाइट्स के माध्यम से जल गुणवत्ता उन्नयन एक अध्ययन
Posted on 06 May, 2023 01:33 PMसारांश: भोपाल शहर मध्य प्रदेश में लोकप्रिय झीलों के शहर के रूप में जाना जाता है भोपाल शहर में अठारह से अधिक छोटे-बड़े तालाब जल स्रोत के रूप में विद्यमान हैं। कुछ प्रारंभिक उपचार के बाद पीने के पानी के स्रोत हैं। वर्तमान अध्ययन भोपाल शहर की दो यूट्रोफिक झीलों, शाहपुरा झील एवं लोअर लेक हैं जोकि केंद्रित सिंचाई मत्स्य पालन एवं मनोरंजक गतिविधियों के केंद्र हैं, पर किया गया है। शाहपुरा झील नए भोपाल
![मैक्रोफाइट्स के माध्यम से जल गुणवत्ता उन्नयन एक अध्ययन, Pc- webnode](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-05/Microplastic.jpg?itok=UvlpQ_35)
घटता भूजल स्तर : कारण और निवारण
Posted on 05 May, 2023 04:02 PMजल केवल मानव जाति के लिए ही नही बल्कि जीव-जन्तुओं और पेड़ पौधों के लिए भी आवश्यक है. पृथ्वी पर जल के बिना जीने की कल्पना नहीं की जा सकती है. समस्त जीव जगत का आधार ही जल है. हमारे शरीर के अंदर चलने वाली समस्त जैवरासायनिक प्रक्रियाएं तो जल के अभाव में पूर्णरूप से रुक ही जाएंगी. यदि हम जल ग्रहण करना बंद कर दें तो क्या हमने और आपने कभी सोचा था कि पानी एक दिन बोतलों में बिकेगा.
![घटता भूजल स्तर : कारण और निवारण, Pc-News18](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-05/%E0%A4%98%E0%A4%9F%E0%A4%A4%E0%A4%BE%20%E0%A4%AD%E0%A5%82%E0%A4%9C%E0%A4%B2%20%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%B0%20.jpg?itok=tuSPX7Y-)
जल संरक्षण एक राष्ट्रीय दायित्व
Posted on 25 Apr, 2023 05:30 PMआज समूची दुनिया के जल संसाधन गहरे संकट में हैं। भारत भी जल संकट का सामना कर रहा है। देश के बहुत बड़े भूभाग पर जल संकट की छाया मंडरा रही है। देश के जल स्रोत सिमटते जा रहे हैं। नदियों तथा झीलों में जल की मात्रा कम होती जा रही है। जो जल शेष है, वह भी प्रदूषण की चपेट में है। शहरों में भूजल स्तर लगातार नीचे को खिसकता जा रहा है। पारंपरिक जल संरक्षण के व्यावहारिक उपायों को हमने आधुनिकता के दबाव में त्
![जल संरक्षण एक राष्ट्रीय दायित्व,Pc-DB](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-04/0521_water_conservation.jpg?itok=b7FsV5W9)
समुद्री शैवाल की खेती और प्रसंस्करण क्षेत्र असंख्य संभावनाएं
Posted on 24 Apr, 2023 11:00 AMसमुद्री शैवाल खारे पानी में पाया जाने वाला एक वृहद शैवाल है विविध वंशावली के अंतर्गत इन्हें मूलतः तीन वर्गों जैसे क्लोरोफाइटा, फियोफाइटा और रोडोफाइटा में विभाजित किया गया है। आगार, कैरेजेनन और एल्गिनेट प्राथमिक हाइड्रोकार्बन हैं जिनकी उत्पत्ति समुद्री शैवाल से ही होती है। इन हाइड्रोकार्बन में उच्च व्यावसायिक क्षमता होती है, जिनका उपयोग दैनिक जरूरतों के उत्पादों में नियमित रूप से किया जाता है।
![समुद्री शैवाल की खेती,Pc-Forbes india](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-04/seaweeds.jpg?itok=gUS4Ugh9)
सीसा प्रदूषण का अर्थ, कारण और निवारण (Meaning, causes and prevention of lead pollution in Hindi)
Posted on 22 Apr, 2023 01:18 PM
आज से लगभग 4000 से 5000 वर्ष पूर्व के मानव की अपेक्षा आज के मानव में सीसे की मात्रा लगभग दस से सौ गुना अधिक हो गई है और विकसित तथा विकासशील देशों के लिए पर्यावरण में सीसे का बढ़ता प्रदूषण चिंता का विषय बन गया है।
![सीसा प्रदूषण का अर्थ, कारण और निवारण (Meaning, causes and prevention of lead pollution in Hindi)](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-04/sesa.png?itok=rOQJpqCa)
एक जिंदगी वृक्षों के नाम प्रकृति सहचरी वंगारी मथाई
Posted on 22 Apr, 2023 11:15 AMनोबल पुरस्कारों के साथ एक विसंगति है। वर्ष 1901 से आरंभ नोबेल पुरस्कार भौतिकी रसायन, कार्यिकी (चिकित्सा) के निमित्त तो हैं लेकिन नोवल प्रतिष्ठान गणित को कोई श्रेय नहीं देता है। यह अपने आप में विस्मयकारी है क्योंकि गणित विद्या तो सारे विज्ञानों की पटरानी है। गणित विद्या न होती तो आज न राकेट होते, न मिसाइलें, न कम्प्यूटर और न ही संचार क्रांति का पदार्पण होता। बहरहाल, नोयन पुरस्कार चयन समिति अर्थ
![एक जिंदगी वृक्षों के नाम प्रकृति सहचरी वंगारी मथाई,Pc-one earth](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-04/%E0%A4%8F%E0%A4%95%20%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%97%E0%A5%80%20%E0%A4%B5%E0%A5%83%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%8B%E0%A4%82%20%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AE%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A4%BF%20%E0%A4%B8%E0%A4%B9%E0%A4%9A%E0%A4%B0%E0%A5%80%20%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%20%E0%A4%AE%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%88.jpg?itok=ZRtK3sZ8)
इकोलॉजी यानी पारिस्थितिकी अध्ययन की संकल्पना
Posted on 19 Apr, 2023 05:18 PMइकोलॉजी और पर्यावरण आज बहुचर्चित एवं बहु प्रचलित शब्द हैं। पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और ओजोन क्षरण जैसी समस्याओं ने विश्व भर में गंभीर चिंताओं को जन्म दिया है। असल में, पर्यावरण शब्द ‘परि’ और ‘आवरण’ के मेल से बना है। ‘परि’ का अर्थ होता है चारों ओर तथा ‘आवरण’ का अर्थ होता है ढका हुआ। यानी पर्यावरण वह सब कुछ है जो हमें चारों ओर से ढके हुए है। यही हमारे दिनोंदिन के जीवन को प्रभावित करता
![इकोलॉजी यानी पारिस्थितिकी अध्ययन की संकल्पना,PC-dreamstime](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-04/%E0%A4%87%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A5%89%E0%A4%9C%E0%A5%80%20%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80%20%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%80.jpg?itok=UOGOo-ZV)