सोने से ज्यादा कीमती है पानी

सोने से ज्यादा कीमती है पानी,Pc-Wikipedia
सोने से ज्यादा कीमती है पानी,Pc-Wikipedia

क्या आप जानते हैं कि पानी सोने से भी ज्यादा मूल्यवान है? सोने के बगैर तो आप ताउम्र जिंदगी काट सकते हैं लेकिन पानी के बगैर शायद एक दिन भी नहीं। जो चीज इतनी अनिवार्य और कीमती है, क्या आप उसे व्यर्थ में बहा तो नहीं रहे?

यह तो आप और हम सभी जानते हैं कि गर्मी में जल संकट गहरा जाता है। यह स्थिति सारे देश में प्रत्येक गांव और शहर में उत्पन्न होती है, जहां लोग एक-एक बूंद पानी के लिए तरसते हैं तथा उसे पाने के लिए मीलों की दूरी तय करते हैं। विडम्बना है कि हम पानी के लिए सरकार या प्रशासन को कोसते हैं लेकिन अपने भीतर झांक कर नहीं देखते कि हम इस दुर्लभ वस्तु का कितना दुरूपयोग या अपव्यय करते हैं।काश, यदि हम अपनी जिम्मेदारी को समझें और पानी के इस्तेमाल में मितव्ययता बरतें तो इसकी काफी बचत हो सकती है। शायद आप नहीं जानते कि जाने-अनजाने में आप अपने ही घर-परिवार में कितना पानी बर्बाद कर देते हैं। 

'भूमिगत जलस्त्रोतों में आर्सेनिक, लेड, पारा, कैडमियम और फ्लोराइड जैसे सूक्ष्म तत्वों की मात्रा बढ़ रही है, जो कि हानिकारक हो सकती है। ये तत्व जब शरीर में जमा होने लगते हैं तो तरह-तरह की बीमारियां पैदा करते हैं। आर्सेनिक के कारण कैंसर की आशंका बढ़ जाती है, खासतौर पर गुर्दे, यकृत, आंत और त्वचा कैंसर की। इसी प्रकार फ्लोराइड की अधिकता से हड्डियां कमजोर होने लगती है तथा जोड़ों में दर्द की शिकायत हो सकती है। कैडमियम का प्रभाव गुर्दों पर पड़ता है जबकि पारे की अधिकता मस्तिष्क के केंद्रीय तंत्रिकातंत्र को प्रभावित करती है।'

आइए देखते हैं पानी कीबर्बादी को कैसे रोकें?

क्या आप जानते हैं कि घरों में लगे नल से मामूली लीकेज होने पर भी महीने भर में सैकड़ों लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। हर एक मिनट में एक नल से 50 बूंद पानी टपकता है। घर में नल खराब है या लीकेज है उसके हिसाब से पानी का अपव्यय होता है। अधिकांश घर-परिवारों में ब्रश करने के दौरान वॉश बेसिन का नल खुला रखा जाता है। यदि दो मिनट भी एक व्यक्ति को ब्रश करने में लगते हैं। तो चार लीटर पानी बह जाता है। यदि परिवार में पांच सदस्य हैं तो 20 लीटर पानी नष्ट हो जाता है। यदि रात्रि को सोने के पहले भी ब्रश करने की आदत है तो उसमें भी 20 लीटर पानी बर्बाद हो सकता है। यानि एक दिन में 40 लीटर पानी का अपव्यय। शुद्ध और सुरक्षित पेयजल के लिए आजकल घरों में आरओ मशीन लगाई जाने लगी है। क्या आपने कभी गौर किया है कि एक लीटर पानी पीने के लिए चार लीटर पानी व्यर्थ में वह जाता है। यह वह पानी है जिसका इस्तेमाल किसी अन्य कार्य में नहीं हो सकता। यदि आपके परिवार में 20 लीटर पानी की रोजाना खपत है तो 80 लीटर पानी की बर्बादी ।

टॉयलेट में पानी का अपव्यय बहुत होता है। एक बार फ्लश चालू करने में 20 लीटर पानी खर्च हो जाता है। यदि परिवार में पांच सदस्य हैं और 24 घंटे में दो बार भी शौच के लिए जाते हैं तो 200 लीटर पानी की बर्बादी फ्लश की बजाय बाल्टी से पानी देने से इस अपव्यय को कम किया जा सकता है। वॉशिंग मशीन ने आपका काम भले ही आसान कर दिया हो, लेकिन उसमें कपड़े धोने के लिए न्यूनतम 25 लीटर वॉश में तथा 50 लीटर स्पिन करने के दौरान खर्च होता है। यदि 2-2 कपड़ों के लिए मशीन लगाई जाए तो पानी की बर्बादी बहुत होती है। इसलिए जब वांछित मात्रा में कपड़े इकट्ठे हो जाएं, तब मशीन चालू करना चाहिए। शॉवर से नहाने में मजा जरूर आता है लेकिन पानी की बर्बादी भी खूब होती है क्योंकि जितना पानी शरीर पर गिरता है, उससे कहीं अधिक शरीर के चारों ओर गिरता है। इसकी बजाय बाल्टी से नहाने में 50 प्रतिशत पानी की बचत हो सकती है।

यदि आप नल के नीचे रखकर बर्तन मांजते, धोते या साफ करते हैं तो पानी बहुत नष्ट होता है। इसकी बजाय टब में पानी लेकर धोएं तो इसकी बर्बादी कम होगी। पुरुषों की आदत होती है कि वॉश बेसिन के सामने खड़े होकर शेविंग करते हैं और वह इस दौरान नल चालू कर देते हैं। यदि पांच मिनट भी उन्हें शेविंग में लगते हैं तो काफी मात्रा में पानी व्यर्थ में बह जाता है।घर में दो पहिया वाहन और चार पहिया वाहनों को धोने के लिए पाइप का इस्तेमाल किया जाता है। एक बार में एक कार को पाइप से धोने में कम से कम 150 लीटर पानी खर्च होता है। जबकि बाल्टी से धोने में 50 लीटर भी खर्च नहीं होता।  

ऐसे घर परिवार भी हैं जो नीचे के टैंक से ऊपर की टंकी भरने के लिए मोटर तो चलाते हैं लेकिन उसे बंद करना भूल जाते हैं। ऐसे में टंकी ओवरफ्लो होती रहती है और पानी व्यर्थ में बहता रहता है। यह भी देखा गया है कि घर के सदस्य, खासतौर पर बच्चे गिलास भर पानी तो लेते हैं लेकिन आधा पीकर आबा जूठा छोड़ देते हैं, जो फेंकने में जाता है। हर बार ऐसा होता है। ऐसे में कई लीटर पानी दिनभर में व्यर्थ चला जाता है। उतना ही पानी गिलास में भरें जितना पीना हो ।

'पानी मानव की मूल आवश्यकता है। इसकी सर्वाधिक महत्वपूर्ण जरूरत पीने के लिए है। भोजन के बगैर व्यक्ति एक हफ्ते जिंदा रह सकता है, लेकिन पानी के बगैर शायद एक दिन  जो पानी आपके लिए इतना जरूरी है, उसके बारे में कितने सचेत हैं आप? क्या वह पूर्णरूप से शुद्ध या निरापद है? अशुद्ध या प्रदूषित पानी असुरक्षित पानी की श्रेणी में आता है और उसके सेवन का मतलब है बीमारियों को दावत देना ।'

बाथ-टब में बैठकर नहाने से भी काफी मात्रा में पानी खर्च होता है। बाथ टब को भरने में जितना पानी लगता है उतने से पूरा परिवार नहा सकता है। घर में बगीचा हो या गमले में बागवानी की हो तो पाइप से पानी देने में पानी बहुत खर्च होता है। इसकी बजाय शॉवर से देने से पानी की बचत होती है। पानी एक राष्ट्रीय सम्पदा है जो असीमित नहीं है। उसकी बर्बादी रोकना हर नागरिक का कर्तव्य है। क्यों न इसकी शुरूआत हम अपने घर-परिवार से ही करें ?

यह तो आप और हम सभी जानते हैं कि जल ही जीवन है और जीवन के लिए जल अनिवार्य है। भोजन के बगैर भले ही हम कुछ दिन जी लें, लेकिन पानी के बगैर एक दिन निकालना भी दूभर हो जाता है। सच तो यह है कि पानी का सेवन शरीर को सामान्य रूप से गतिशील बनाने में मददगार होता है। पानी का सेवन न केवल हमें विभिन्न रोगों की चपेट में आने से बचाता है, अपितु कुछ रोगों की तो रामबाण दवा भी है।

आइये देखते हैं क्यों जरूरी है पानी का सेवन।

  • शरीर में पानी की कमी से कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है, जिससे हृदय को नुकसान पहुंच सकता है। उचित मात्रा में पानी पीने से यह समस्या नहीं होती।
  •  शरीर में पानी की कमी से ब्लैडर और किडनी से जुड़े रोग हो सकते हैं।
  •  जोड़ों का दर्द भी आमतौर पर उन लोगों को अधिक होता है जो पानी पीने में कंजूसी बरतते हैं। पानी पीते रहने से कॉर्टिलेज कमजोर नहीं होते।
  • शरीर में पानी की कमी रक्तचाप को बढ़ाती है जो जान लेवा भी हो सकता है। लेकिन प्रचुर मात्रा में पानी पीने से ब्लड प्रेशर सामान्य होने में मदद मिलती है।
  •  पानी की कमी से अनेक चर्म रोग हो सकते हैं, लेकिन पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन इससे बचाता है।
  • कम पानी पीने वालों को पाचन संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उन्हें कब्ज की शिकायत बनी रहती है। लेकिन अधिक मात्रा में पानी पीने वालों को कब्ज नहीं होती और मल आसानी से बाहर निकल आता है।  
  • यदि पैरों की पिंडलियां दर्द करती हों तो उन पर ठंडा पानी डालने पर राहत मिलती है।
  • यदि शरीर का कोई अंग आग से जल या झुलस गया हो तो प्राथमिक उपचार के तौर पर प्रभावित भाग पर शीतल जल तब तक डालते रहें जब तक कि जलन बंद न हो जाए।
  •  शरीर की त्वचा पर लगी तमाम धूल, गंदगी या अशुद्धियां पानी से स्नान करने से दूर हो जाती हैं।
  •  यदि किसी को बुखार आ जाए तो उसके माथे, हाथ पैर और पेट पर ठंडे पानी की पट्टियां रखने से लाभ होता है। आप चाहे तो रोगी को शीतल जल से स्नान भी करा सकते हैं। इससे बुखार उतर जाता है।
  • कटि स्नान करने से दर्द और सूजन से राहत मिलती है।
  • यदि किसी व्यक्ति को मूर्छा आ गई हो तो उसके चेहरे पर पानी के छींटे मारने से वह चेतन अवस्था में आ जाता है।
  •  पानी अधिक पीने से शरीर के विशाक्त पदार्थ मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं और व्यक्ति स्वस्थ तथा निरोगी बना रहता है।
  • गर्मियों में पसीना खूब निकलता है। ऐसे में डिहाइड्रेशन की शिकायत हो सकती है। यदि व्यक्ति इस मौसम में प्रचुर मात्रा में पानी का सेवन करे तो यह समस्या नहीं होगी।
  • उल्टी दस्त लगने पर शरीर से तेजी से पानी का क्षरण होता है और डिहाइड्रेशन की वजह से उसकी किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वह बेहोश भी हो सकता है और उसकी जान भी जा सकती है । इसलिए उल्टी-दस्त होने पर थोड़ा-थोड़ा करके पानी पीते रहना चाहिए।
  • नेत्रों में कचरा गिर जाने पर साफ शीतल जल से आंखें धोने से वह बाहर निकल जाता है। इससे आपको राहत मिलती है
  •  शरीर में पानी की कमी होने से सिरदर्द उत्पन्न हो सकता है तथा उसके पीते ही दर्द से राहत मिल जाती है
  • जो लोग पानी कम पीते हैं, उन्हें एनीमिया की शिकायत हो सकती है। इसलिए व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जरूरी है।
  • दिल की धड़कन तेज होने पर घूंट-घूंट कर पानी पीने से वह सामान्य होने लगती है।
  • कम मात्रा में पानी पीने से हाइपर एसीडिटी की शिकायत हो जाती है। कुछ को गैस बनने की समस्या हो जाती है। पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करने से ये समस्याएं नहीं होंगी।
  •  साइटिका होने पर सुबह शाम शीतल जल से स्नान करना चाहिए।
  • अस्थमा के रोगी को सुबह उठकर एक गिलास शीतल जल का सेवन करना चाहिए यह लाभदायक है।
  •  सूखा रोग से ग्रसित बच्चों के लिए रोजाना शीतल जल से स्नान करना लाभदायक होता है।
  • काली खांसी होने पर भी शीतल जल से स्नान करने से लाभ होता है।
  •  पीलिया रोग में पानी प्रचुर मात्रा में पीना चाहिए। इससे शरीर की अशुद्धियां बाहर निकल जाती हैं।
  • यदि पेट संबंधी रोग हो तो तांबे के बर्तन में रातभर रखा पानी पीने से लाभ होता है।
  • चिरयौवन के लिए अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए। इससे शरीर पर झुर्रियां और झाइयां कम पड़ती हैं और बुढ़ापा देर से आता है।
  • यदि नक्सीर फूटने की शिकायत हो तो रोगी के माथे पर ठंडे पानी की पट्टी रखें। इससे रक्त बहना बंद हो जाएगा।
  • यदि महिलाएं स्नान करते समय अपने स्तनों पर बारी-बारी से ठंडा और गर्म पानी डालें, तो इससे उनके स्तनों में कसाव आता है तथा वे पुष्ट होते हैं।
  •  गर्मियों में पानी लू के विरुद्ध सुरक्षा कवच बनता है। घर से जब भी बाहर निकलें, पानी पीकर ही निकलें।
  •  स्तनपान कराने वाली माताएं यदि पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं तो उनके दूध में वृद्धि होती है।
  • शरीर की नाड़ियों और मांसपेशियों के लिए जल का सेवन जरूरी है। इससे नाड़ियां उत्तेजित होती हैं और मांसपेशिया संकुचित ।
  • यदि पैरों में सूजन आ गई हो तो पानी में नमक डालकर पैरों पर डालने से सूजन उतर जाती है।
  • यदि ठंड के मौसम में कफ बनने की शिकायत हो तो सूर्य तापित जल का सेवन लाभदायक रहता है।
  •  गले में खराश, संक्रमण या टांसिल्स की शिकायत होने पर गुनगुने पानी में नमक मिलाकर गरारे करने से लाभ होता है।
  • यदि गठिया से पीडित हों तो गुनगुने पानी में नमक डालकर स्नान करने से राहत मिलती है।
  •  जो लोग पानी कम पीते हैं, उन्हें पथरी की शिकायत हो सकती है, लेकिन अधिक मात्रा में पानी पीने से वह मूत्र मार्ग से बाहर निकल सकती है।
  • पानी का अधिक सेवन करने से स्तन कैंसर, ब्लड कैंसर और बड़ी आंत के कैंसर की आशंका कम रहती है।
  • पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहने से शरीर की मेटाबोलिक क्रियाएं सामान्य रूप से चलती रहती हैं।
  • पानी पीते रहने से गला सूखता नहीं है और लार निरंतर बनती रहती है जो कि पाचन में सहायक होती है।
  •  पानी का सेवन हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इससे हम बीमारियों की चपेट में आने से बचे रहते हैं।
  • तांबे के पात्र में पानी रखने से उसके बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं तथा यह पानी रक्तचाप को नियंत्रित करने में मददगार होता है।
  • पानी मानव की मूल आवश्यकता है। इसकी सर्वाधिक महत्वपूर्ण जरूरत पीने के लिए है। भोजन के बगैर व्यक्ति एक हफ्ते जिंदा रह सकता है, लेकिन पानी के बगैर शायद एक दिन जो पानी आपके लिए इतना जरूरी है, उसके बारे में कितने सचेत हैं आप? क्या वह पूर्णरूप से शुद्ध या निरापद है? अशुद्ध या प्रदूषित पानी असुरक्षित पानी की श्रेणी में आता है और उसके सेवन का मतलब है बीमारियों को दावत देना
  • बारिश के मौसम में सुरक्षित पानी पीना नितांत आवश्यक है, लेकिन विडम्बना यह है कि इस मौसम में शुद्ध पानी मिलना कठिन हो जाता है, परिणामस्वरूप बीमारियों की भरमार हो जाती है।
  • बारिश में टायफाइड होने की आशंका सर्वाधिक होती है, जिसका मुख्य कारण असुरक्षित पानी का सेवन करना है आपकी जरा सी चूक आपको टायफाइड की चपेट में ला देती है ।
  • बारिश में ही असुरक्षित पानी की वजह से कॉलरा का संक्रमण भी फैल सकता है। गौरतलब है कि पानी के जरिए अनेक बीमारियों के कीटाणु या विषाणु शरीर में पहुंचकर हमें रोगग्रस्त कर देते हैं।
  • उल्टी-दस्त होने का मुख्य कारण दूषित पानी का सेवन है। इससे शरीर में डिहाइड्रेशन यानी पानी की कमी की स्थिति निर्मित हो सकती है जो जानलेवा भी हो सकती है। बच्चों में डिहाइड्रेशन होना सर्वाधिक चिंता की बात है।
  • भूमिगत जलस्त्रोतों में आर्सेनिक, लेड, पारा, कैडमियम और फ्लोराइड जैसे सूक्ष्म तत्वों की मात्रा बढ़ रही है, जो कि हानिकारक हो सकती है।
  • ये तत्व जब शरीर में जमा होने लगते हैं तो तरह-तरह की बीमारियां पैदा करते हैं। आर्सेनिक के कारण कैंसर की आशंका बढ़ जाती है, खासतौर पर गुर्दे, यकृत, आंत और त्वचा कैंसर की। इसी प्रकार फ्लोराइड की अधिकता से हड्डियां कमजोर होने लगती है तथा जोड़ों में दर्द की शिकायत हो सकती है। कैडमियम का प्रभाव गुर्दों पर पड़ता है। जबकि पारे की अधिकता मस्तिष्क के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है ।
  • जब भी आप घर से बाहर निकलें अपने साथ घर से ही सुरक्षित पानी की बोतल रख लें। ताकि अन्यत्र पानी पीने की जरूरत न पड़े। लेकिन यदि आप ट्रेन या बस में सफर कर रहे हैं, तो फिर आपको बोतलबंद पानी ही खरीदकर सेवन करना चाहिए। बोतलबंद पानी की एक्सपायरी डेट देखकर ही उसे खरीदें।
  • सफर के दौरान सार्वजनिक प्याऊ से लेकर पानी पीना जोखिमभरा हो सकता है, क्योंकि वहां की साफ-सफाई के बारे में आप कुछ नहीं जानते।
  • इसी प्रकार सार्वजनिक समारोह में धर्मशाला का पानी पीने में सावधानी बरतने की आवश्यकता है, क्योंकि आमतौर पर वहां पानी को शुद्ध और कीटाणुनाशक करने के लिए कोई साधन उपकरण लगे नहीं होते किसी होटल, चाय के ठेले आदि स्थलों पर भी मिलने वाला पानी प्रदूषित हो सकता है। इसलिए सुनिश्चित करने के बाद ही उसका सेवन करें।
  • स्कूल-कॉलेजों की टंकी की धुलाई या साफ-सफाई महीनों नहीं होती। यदि वहां वाटर प्यूरीफायर नहीं लगा है, तो वह पानी भी आपको बीमार कर सकता है।
  • घर में जिस पानी का इस्तेमाल करना हो, उसे उबालकर छान लेना जरूरी है। सीधे टैपवाटर का सेवन निरापद नहीं है। ध्यान रहे, पानी को छान लेने मात्र से वह सुरक्षित नहीं हो जाता और उसमें मौजूद बैक्टीरिया, वायरस या टॉक्सिक पदार्थ नष्ट नहीं होते। पानी को दो से तीन मिनट उबालना चाहिए। उसे ठंडा करके बोतल या बर्तन में रखें। जिस बोतल, बर्तन में आप पानी भरकर रख रहे हैं, उसकी नियमित सफाई भी जरूरी है। गंदी बोतल या बर्तन में यदि साफ पानी भी रखा हो तो उसे संक्रमित होते देर नहीं लगती।
  • जहां तक संभव हो पानी की बोतल या वर्तन को ढककर रखें। यदि बर्तन या बोतल में नल लगा हो तो बेहतर। इससे बार-बार आपको हाथ पानी में नहीं डालना पड़ेगा। अन्यथा बिना धोए हाथ से पानी लेने से हाथ में लगी गंदगी / कीटाणु पानी को दूषित कर देंगे।
  • घरों में सुरक्षित पानी के प्रबंध के लिए वॉटर प्यूरीफायर लगवाना सर्वोत्तम उपाय है। इसे इस्तेमाल करना भी आसान है। लेकिन इसे लगवाकर निश्चित हो जाना भी ठीक नहीं है। समय-समय पर इसकी सफाई करवाना भी जरूरी है। मार्केट में तरह-तरह के वॉटर प्यूरीफायर मिलते हैं जो भी आपकी आवश्यकता और बजट के अनुकूल हो, उसे लगवा लें।
  • सार्वजनिक प्याऊ पर वहां रखे ग्लास से पानी पीने की बजाय अपने हाथों की 'ओक' बनाकर उससे पानी पीएं। लेकिन पहले हाथ अच्छे से धो लें ।
  • घरों में जिस टंकी या वर्तन का इस्तेमाल आप पानी संग्रह के लिए करते हैं, उसकी भी समय-समय पर सफाई होना जरूरी है। यदि जमीन के भीतर बनी हौज में आप पानी संग्रह करते हैं तो उसका ढका होना जरूरी है।..अन्यथा धूल, मिट्टी, गंदगी उसमें चली जाएगी।
  • अधिकांश लोग बाजार से एक बार किसी कंपनी की बोतलबंद पानी  की एक बॉटल खरीदकर उसके खाली होने पर उसमें महीनों तक सामान्य पानी भरते रहते हैं जो सही नहीं है। बोतलबंद पानी की बोतल एक बार के इस्तेमाल के लिए ही होती है। उसके बाद उसे नष्ट कर देना चाहिए।
  • इसी प्रकार कुछ लोग बाजार से फ्रूट जूस या तरल पदार्थों की बोतल भी खरीदकर उसके खाली होने पर उसका इस्तेमाल पानी भरने के लिए करते हैं, जो सही नहीं है।  साधारण प्लास्टिक की बोतलें लंबे समय तक के इस्तेमाल के लिए निरापद नहीं क्योंकि इन्हें धोने के बावजूद भी बैक्टीरिया पनप सकते हैं।
  • कुछ लोगों की धारणा है कि बोरवेल का पानी सुरक्षित या प्रदूषणरहित होता है लेकिन ऐसा है या नहीं, खुदाई के बाद उसके पानी की लेबोरेटरी में जांच करा लेना चाहिए ताकि पता चल सके कि वह पीने योग्य है या नहीं? कहीं उसमें कोई हानिकारक तत्व तो मौजूद नहीं? उसका टीडीएस भी चैक कराते रहना चाहिए।
  • झील, बहती नदी या तालाब का पानी सीधे पीने योग्य नहीं होता। वैसे भी देश की सभी नदियां प्रदूषित हो चुकी हैं और अपने पानी की गुणवत्ता खो चुकी हैं। स्थानीय निकाय जैसे नगर पंचायत, नगरपालिका, नगर निगम, आदि द्वारा टेंकरों से प्रदाय किए जाने वाले पानी की शुद्धता की कोई गारंटी नहीं होती। ये टैंकर नियमित रूप से साफ नहीं होते। कई टैंकरों में ऊपर ढक्कन ही लगा नहीं होता। जिन पाइपों के जरिए ये पानी प्रदाय करते हैं वे भी दूषित हो सकते हैं। इसलिए सतर्कतापूर्वक ही ऐसे पानी का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • पानी मानव की मूल आवश्यकता है और उसके बगैर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। जो पानी जीवनदाता है वह यदि सुरक्षित न हो तो जानलेवा भी बन सकता है। यही कारण है कि लोग साधारण पानी की बजाय बोतलबंद पानी को सुरक्षित समझकर उसका इस्तेमाल करने लगे हैं और इस तरह बोतलबंद पानी एक उद्योग बन गया है। देश में अनेक कंपनियां बोतलबंद पानी को बेच रही हैं। क्या बोतलबंद पानी उतना भरोसेमंद है जिस विश्वास के साथ उपभोक्ता उसे खरीदता है?
  • बोतलबंद पानी भी पीने योग्य नहीं है। भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बीएआरसी) के हालिया शोध में पता चला है कि यहां पानी की बोतल में भी विषाक्त तत्व कार्किनोजेंस भारी मात्रा में पाया जाता है।
  • बीएआरसी की चार वैज्ञानिकों की टीम ने मुंबई में पानी की बोतलों की बिक्री करने वाले 18 ब्रॉड के करीब 90 सैंपलों का परीक्षण किया। इनमें से 27 प्रतिशत सैंपल में विश्व स्वास्थ्य संगठन के तय मानकों का उल्लंघन होता पाया गया।
  • इन 27 प्रतिशत सैंपलों में ब्रोमेट्स नाम का तत्व घुला पाया गया, जिसकी मात्रा डब्ल्यूएचओ के तय मानक से कहीं ज्यादा थी। अंतर्राष्ट्रीय कैंसरशोध एजेंसी (आईएआरसी) के मुताबिक, ब्रोमेट्स टाइप-2बी के कार्किनोजेंस की तरह काम करता है, जो कैंसर जैसे घातक रोग का भी कारण बन सकता है। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि यह समस्या अभी इतनी नहीं बढ़ी है कि काबू न किया जा सके। कई सैंपल खतरे से बाहर भी पाए गए हैं।
  • डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, पेयजल में ब्रोमेट्स की अधिकतम मात्रा 10 माइक्रोग्राम प्रति लीटर निर्धारित है। परीक्षण किए गए सैंपलों में इसकी मात्रा चार गुना तक ज्यादा पाई गई। भारत में पानी के ब्रोमेट्स लेवल को लेकर कोई मानक नहीं है।
  • भारत में अधिकतर बोतलबंद पानी भी भूमिगत माध्यमों से प्राप्त किया जाता है, जिसमें भारी मात्रा में विभिन्न तत्व पाए जाते हैं। इनसे हाइपरटेंशन और दिल संबंधी कई बीमारियां हो सकती हैं।
  • बोतल में भरा पानी लाख सुरक्षित हो, लेकिन प्लास्टिक की जिस बोतल का इस्तेमाल किया जाता है वह असुरक्षित बना देती है। इसका कारण यह है कि बोतल निर्माण में खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल होता है। कंपनियां बोतलों पर इसके जानलेवा असर के आधार पर, ग्रेड भी डालती है, किन्तु उसका नंबर बोतल के नीचे होता है। इससे उस पर किसी का ध्यान नहीं जाता और यदि चले भी जाए तो उपभोक्ता इस नंबर का अर्थ नहीं समझता। विशेषज्ञों के अनुसार, बोतल पर अगर एक, तीन, छह या सात ग्रेड हो तो इसका उपयोग घातक हो सकता है। वहीं दो, चार, पांच ग्रेड सुरक्षित माना जाता है।

गौरतलब है कि प्लास्टिक में पाए जाने वाले रसायन सेहत के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदायक होते हैं। इसमें एंडोक्राइनल डिज़ीज जैसे ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, पॉलिसिस्टिक ओवरी के साथ कैंसर और हार्ट की बीमारी तक हो सकती है। बोतलबंद पानी की भी एक्सपायरी डेट होती है। अतः उसे खरीदते समय इसका ध्यान रखना चाहिए। एक्सपायरी डेट निकल चुकी हो तो उसे किसी भी कीमत पर नहीं खरीदें ।

संपर्क करें:
डॉ. विनोद गुप्ता 43 / 2, सुदामानगर, रामटेकरी, मन्दसौर (म.प्र.) 458001 मो. न.: 9826042811 ईमेल:
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स्त्रोत-जल चेतना खण्ड 8 अंक 1 जनवरी 2019

 

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Post By: Shivendra
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