क्या आपको पता है व्हेल संगीतप्रिय ही नहीं होती स्वयं गाती भी हैं और वह भी ऊंटपटांग सा नहीं बाकायदा उनकी अपनी सरगम के साथ। यदि आप बीच समुद्र में जाएं, तो आपको व्हेलों के गीत सुनने को मिल सकते हैं।
वैज्ञानिकों ने व्हेल के गीतों को रिकॉर्ड करके उनका बारीकी से अध्ययन किया और संगीतज्ञों को भी सुनवा कर उनकी राय ली। हमारे गीतों की ही तरह उनके गीतों में भी पद, पंक्तियां और पूरे-पूरे गीत होते हैं। माना कि सा रे गा मा चार स्वर हैं, जिन्हें मिला कर पद बनाए जाते हैं, पदों से पंक्तियां फिर उनसे गीत।
यही व्हेलों के संगीत में भी होता है, समुद्र के अलग-अलग हिस्सों में व्हेलों के गीतों में विविधता भी मिलती है। बरमूडा की व्हेलें पांच पंक्ति का गीत गाती हैं, जबकि हवाई के पास रहने वाली व्हेलें आठ पंक्तियों के गीत गाती हैं।
कुछ गीत पांच मिनट में खत्म हो जाते हैं, तो कुछ पूरे आधे घंटे तक चलते हैं। एक बार कैरेबियन के पास एक व्हेल 22 घंटों तक लगातार गाती रही। उसके गीत को रिकॉर्ड करने वाले शोधकर्ता भी थक कर चले गए, पर वह उनके जाने के बाद भी गाती रही।
व्हेलों के संसार में सबसे अच्छी गायिकाओं में हंपबैक व्हेल्स मानी गई है। उनके पास सरल और जटिल गीतों की कमी नहीं। जब आप जोश से गा रही व्हेल के आस-पास जाकर उसका गीत सुनेंगे, तो आप उसके बुलंद स्वरों से प्रभावित हुए बिना नहीं रहेंगे। उसकी आवाज के स्पंदन आपके मस्तिष्क तक पहुंचते हैं।
ध्वनि तरंगें आपके अंगों में प्रवाहित हो जाएंगी, आपको गीत सुनकर कम और ध्वनि तरंगों के शरीर में बहने से ज्यादा महसूस होगा। व्हेल अक्सर अकेले ही गाती है और साथ में धीमी गति में तैरती भी रहती है। व्हेल हमेशा एक ही गीत नहीं गाती, जब वे समुद्र में दूसरे हिस्सों में जाती हैं, तो वे आपस में सीखती-सिखाती भी हैं।
इस तरह हिंद महासागर की व्हेलें प्रशांत महासागर की व्हेलों को गीत सिखाती हैं और प्रशांत महासागर की व्हेलें हिंद महासागर की व्हेलों को गीत सिखाती हैं। इस तरह कुछ सालों में इनके गीत पूरे बदल जाते हैं।
इस तरह का परिवर्तन इस तरह सीखने-सिखाने से ही होता है। जैसा कि हमारे साथ होता है, हमारे संगीतकार पाश्चात्य संगीतकारों से प्रेरणा ले नई धुन बनाते हैं और पाश्चात्य हमारे संगीत को पसंद कर हमारे संगीत से कुछ सीख लेते हैं। है न अद्भुत बात!
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