दिल्ली

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औद्योगिक गतिविधियों के कारण जल प्रदूषण (Water pollution due to industrial activities)
Posted on 20 Jun, 2017 04:59 PM
जल प्रदूषण का प्रमुख कारण औद्योगिक निस्राव है। सभी औद्योगिक इकाइयों में कम या अधिक मात्रा में जल की खपत होती है। इसी अनुपात में दूषित जल उत्पन्न होता है। दूषित जल की प्रकृति औद्योगिक प्रक्रिया में जल, कच्चे माल के उपयोग, उत्पाद एवं उत्पादन प्रक्रिया पर निर्भर करती है। उद्योगों से निकलने वाले दूषित जल में मुख्य रूप से 2 प्रकार के प्रदूषक होते हैं :-
कृषि क्षेत्र की समस्याएं
Posted on 19 Jun, 2017 10:03 AM
उत्पादक अर्थव्यवस्था का आधार होने के नाते किसान के लिये 60 वर
हॉर्शू क्रैब की रहस्यमयी दुनिया
Posted on 17 Jun, 2017 04:19 PM
हॉर्शू क्रैब्स में छिपी अद्भुत महाशक्ति क्या उन्हें इतना खास बनाती है? इसका नीला रक्त 10 आँखें, मकड़ी, बिच्छुओं से सम्बंध और 450 मिलियन वर्ष पुराना अस्तित्व क्यों उन्हें इतना विशेष बनाता है। इन सभी संदर्भों में छिपा है इसके विशिष्ट होने का सच यह समुद्री पारिस्थितिकी प्रणालियों में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कृषि संकट : ठोस नीतिगत प्रयास की दरकार
Posted on 17 Jun, 2017 01:53 PM
किसानों के लिये बीमा सम्बंधी नीतियाँ ऐसी बनें कि उन्हें होने
वॉटर हार्वेस्टिंग : कृषि विकास की पूँजी
Posted on 17 Jun, 2017 01:43 PM
पानी की बर्बादी नहीं होने देने का संकल्प और पानी का संचयन कर
जय किसान की दयनीय दशा
Posted on 17 Jun, 2017 01:36 PM
यूपीए और एनडीए ने कृषि की कर्ज माफी को अपना चुनावी नारा बना ल
farmer
खेती-किसानी को कैसे मिले राहत
Posted on 17 Jun, 2017 01:26 PM
किसान हमारे नीति-निर्माताओं की उतनी तवज्जो कभी नहीं पा सके जितनी के वे हकदार हैं। यही कारण है कि उत्पादन-अतिरेक की स्थिति में उन्हें अपनी उपज औने-पौने दाम में बेचने तक के लाले पड़ जाते हैं। किसी प्राकृतिक आपदा के चलते उनकी फसल मारी जाती है, तो उन्हें हुए खासे आर्थिक नुकसान की संतोषजनक तरीके से भरपाई सरकार की तरफ से नहीं हो पाती। जो कर्ज उन्होंने लिया होता है, उसे वह चुका नहीं पाते। किस
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में मनमानी नियुक्ति पर नकेल
Posted on 17 Jun, 2017 12:08 PM
एनजीटी को पता है कि वह सीमित संसाधनों में पूरे देश में पर्याव
प्रकृति के मानव प्रहरी
Posted on 17 Jun, 2017 09:33 AM
प्रकृति और पर्यावरण को उनकी मूल नैसर्गिक अवस्था में बनाए रखने में वन, आर्दभूमि, पहाड़, समुद्र, मैंग्रोव जैसे पर्यावरण प्रहरी अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। यह स्थिति बने रहना समूची पृथ्वी और इसके बाशिंदों (जिसमें वन्यजीव, पशु-पक्षी, मनुष्य सूक्ष्मजीव आदि सभी आते हैं) के अस्तित्व के लिये अनिवार्य है। हमें यह बात गाँठ बाँध लेनी चाहिये। कुछ संवेदनशील व्यक्तियों ने ऐसा ही किया। प्रकृति और इनके अमूल
जैविक खाद एवं इसका उपयोग
Posted on 15 Jun, 2017 12:38 PM
खलियों में उपस्थित पोषक तत्व जैविक यौगिकों के रूप में रहते है
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