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दिल्ली
गंगा के साथ सरकार का अन्याय
Posted on 29 Jun, 2012 11:42 AMगंगा नदी भारतीयों के लिए एक नदी नहीं बल्कि मोक्षदायिनी मां है। जिस गंगाजल की दो बूंद मरते हुए आदमी के मुंह में डाली जाती है उसी गंगा को लोग कहीं बांध तो कहीं नाले का पानी डालकर मार रहे हैं। गोमुख से गंगा सागर तक गंगा हमारे देश की लगभग आधी आबादी को पालती है। विश्व की कोई भी नदी ऐसी नहीं, जो इतनी बड़ी जनसंख्या की पालनहार हो फिर भी केंद्र सरकार गंगा के अविरल निर्मल प्रवाह पर ध्यान नहीं दे रही है।आस्था से खिलवाड़
Posted on 27 Jun, 2012 03:59 PMआज सत्ता पक्ष में जो लोग हैं, वे एक प्रकार के ‘नव संभ्रांतवादी’ मानसिकता से प्रभावित हैं। इसलिए वे आस्था, श्रद्ध
सफाई के बहाने अरबों रुपए बहाए
Posted on 27 Jun, 2012 01:38 PMसरकार ने गंगा नदी की सफाई के लिए जितना पैसा बहा चुकी है, उससे कहीं अधिक गंदगी गंगा के पानी में घुल गई है। गंगा स

पानी पीजिए जरा संभल कर
Posted on 27 Jun, 2012 10:08 AMजल है तो कल है, जीवन का हर पल है- यह बात उतनी ही अगम्य और अचूक है जितनी कि ईश्वर के प्रति हमारी आस्था, धार्मिकता और अटल विश्वास। प्रकृति प्रदत्त वरदानों में हवा के बाद जल की महत्ता सिद्ध है। जल पर हम जन्म से लेकर मृत्यु तक आश्रित हैं। वैदिक सास्त्रों के अनुसार जल हमें मोक्ष भी प्रदान करता है। कवि रहीम के शब्दों में जल महत्ता इन पंक्तियों से स्पष्ट है -
गंगा मुक्ति का यक्ष प्रश्न
Posted on 23 Jun, 2012 11:45 AMप्राधिकरण के सामने गंगा संकट की समग्र स्थिति आई। गंगा मुक्ति आंदोलनों, उनसे जुड़े अलग-अलग सत्याग्रहों, अनशनों, य
सामाजिक न्याय और पर्यावरण का नाता
Posted on 22 Jun, 2012 01:27 PMसंयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) ने हाल ही में सामाजिक न्याय और पर्यावरण स्थायित्व पर एक सम्मेलन आयोजित किया। इसका उद्देश्य सन् 2000 में न्यूयॉर्क में तय किए गए 8 सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों में से एक की प्राप्ति के बारे में गहन चर्चा करना था। इन 8 लक्ष्यों में से 7वां लक्ष्य था पर्यावरण की दिशा में स्थायित्व हासिल करना और इस क्रम में विकास, गरीबी और स्थायी विकास की एक दूसरे पर निर्

और अब हरा पूंजीवाद
Posted on 22 Jun, 2012 01:14 PMपानी नीला सोना है उसे बचाओ, पूरा पृथ्वी के पानी को अगर एक गैलन मान लिया जाए तो पीने योग्य पानी एक चम्मच भर बचा ह
गंगा मुक्ति के लिए लोक संग्राम
Posted on 21 Jun, 2012 10:02 AMगंगा प्रेमियों की इच्छा और मांग है कि गंगा मूल धारा के चारों तरफ कोई उद्योग न लगे। पूरा बेसिन प्रदूषित उद्योगों
ग्लोबल वार्मिंग और जन स्वास्थ्य
Posted on 20 Jun, 2012 12:18 PMडेंगू प्रसार के लिए जिम्मेदार मच्छर पहले समुद्रतल से 1000 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर नहीं पाये जाते थे, लेकिन वा