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अरी वरुणा की शांत कछार!
तपस्वी के विराग की प्यार।
सतत व्याकुलता के विश्राम, अरे ऋषियों के कानन-कुंज
जगत-नश्वरता के लघु त्राण, लता, पादप, सुमनों के पुंज।
तुम्हारी कुटियों में चुपचाप, चल रहा था उज्जवल व्यापार।
स्वर्ग की वसुधा से शुचि संधि, गूँजता था जिस से संसार।
अरी वरुणा की शांत कछार।
तपस्वी के विराग की प्यार।