माखनलाल चतुर्वेदी

माखनलाल चतुर्वेदी
कुंज कुटीरे यमुना तीरे
Posted on 22 Jul, 2013 12:14 PM
पगली तेरा ठाट! किया है रतनांबर परिधान,
अपने काबू नहीं, और यह सत्याचरण विधान!

उन्मादक मीठे सपने ये, ये न अधिक अब ठहरें,
साक्षी न हों, न्याय-मंदिर में कालिंदी की लहरें।

डोर खींच, मत शोर मचा, मत बहक, लगा मत जोर,
माँझी, थाह देखकर आ तू मानस तट की ओर।

कौन गा उठा? अरे! करे क्यों ये पुतलियाँ अधीर?
इसी कैद के बंदी हैं वे श्यामल-गौर-शरीर।
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