Posted on 06 Jan, 2014 11:37 AMदिल्ली जल बोर्ड मुख्यालय के आसपास के इलाकों में आम जनता को वर्षों से पानी की समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है। स्थिति ऐसी है कि यहां के लोगों को आज भी ठेलों के जरिए पानी की आपूर्ति होती है। पहाड़गंज क्षेत्र के कई इलाकों के लोगों को पेयजल की किल्लत झेलनी पड़ रही है। दिल्ली जल बोर्ड का मुख्यालय पहाड़गंज क्षेत्र में स्थित है। पहाड़गंज क्षेत्र के चीनोट बस्ती, लक्ष्मण पुरी, नई बस्ती, अमरपुरी, कृष्णा
Posted on 03 Jan, 2014 03:12 PMये नदियां बहती जाती हैं दिन रात अनवरत अनहद राग गूंजता रहता है फिर भी दिखती हैं शांत ... चलती रहती हैं अबला नारी सी लाज समेटे अपने ही में मग्न निर्द्वन्द्व निर्विकार कोई रोके तो लजाती सी चुपचाप मार्ग बदल निकल जाती हैं या फिर शांत हो रुक जाती हैं प्रतीक्षा करती हैं और गहन हो अबला से सबला
Posted on 03 Jan, 2014 02:19 PMमात्र चार साल में कर्नाटक के जुड़वा शहर हुबली-धारवाड़ में स्थानीय प्रशासन ने 40 करोड़ की लागत से करीब आठ बड़ी झीलें, तीन तालाब, 8
Posted on 03 Jan, 2014 11:37 AMदिल्ली में पानी के मामले में घमासान की स्थिति दिखाई पड़ रही है। पानी मुफ्त में सब्सिडी पर उपलब्ध होना महत्वपूर्ण सवाल नहीं है। महत्वपूर्ण बात तो यह है कि दिल्ली अपना पानी के बारे में कब सोचेगी?
Posted on 31 Dec, 2013 12:12 PMभारत में अनियोजित शहरीकरण ने नए तरह का संकट पैदा कर दिया है। रोजगार और जीविका की तलाश में गांवों की आबादी तेजी से पलायन कर रही है। नतीजतन शहरी जीवन प्रदूषण, गंदगी, जाम जैसी समस्याओं से बदरंग होता जा रहा है। क्या इसे रोका जा सकता है? जायजा ले रहे हैं प्रदीप सिंह।
Posted on 24 Dec, 2013 11:19 AMतकनीकी प्रगति ने जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन मानव ने जब-जब तकनीक को अपने निजी स्वार्थों और अति-लाभ के समीकरणों से जोड़कर देखा और उपयोग में लाना शुरू किया, तब-तब उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी। रेडिएशन से केवल मानव जीवन ही नहीं, बल्कि पूरी प्रकृति ही साइड-इफेक्ट झेलती दिखाई दे रही है। मोबाइल रेडिएशन के चलते गोरैया, तोता, मैना, कौआ, गाय, कुत्ते, उल्लू तथा उच्च हिमालयी पक
Posted on 21 Dec, 2013 01:45 PMपानी के बारे में कहीं भी कुछ भी लिखा जाता है तो उसका प्रारंभ प्रायः उसे जीवन का आधार बताने से होता है। “जल अमृत है, जल पवित्र है, समस्त जीवों का, वनस्पतियों का जीवन, विकास – सब कुछ जल पर टिका है।” ऐसे वाक्य केवल भावुकता के कारण नहीं लिखे जाते। यह एक वैज्ञानिक सच्चाई है कि पानी पर ही हमारे जीवन का, सारे जीवों का आधार टिका है। यह आधार प्रकृति ने सर्व सुलभ, यान