भोपाल जिला

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नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल
Posted on 02 May, 2010 11:53 AM तमाम तरह के प्रदूषण से जूझ रहे लोगों को अब शीघ्र ही शिकायत का मंच मिल जाएगा। नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल का बिल आ चुका है। और लोकसभा ने उसको पास भी कर दिया है। अब इसको कानून के बन जाने के बाद लोग प्रदूषण संबंधी शिकायतों के लिए इस ट्राइब्यूनल का दरवाजा खटखटा सकेंगे।

सभी मामलों को लेकर जन सुनवाई का प्रावधान


बजट सत्र के पहले चरण के अंतिम दिन इस ट्राइब्यूनल से संबंधित विधेयक पर चर्चा शुरू हो गई थी। इस विधेयक में जल, वायु, ध्वनि प्रदूषण के साथ ही वन कानूनों के उल्लंघन के सभी मामलों को लेकर जन सुनवाई का प्रावधान है। मसलन, प्रदूषण की वजह से यदि किसी क्षेत्र में पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, लोगों को बीमारियां हो रही हैं तो इसकी शिकायत भी ट्राइब्यूनल से की जा सकेगी।
जल की मिथकीय अवधारणा
Posted on 25 Jan, 2010 09:40 AM
जब कुछ भी नहीं था, तब क्या था, यह प्रश्न हर किसी के मन में कौंध सकता है। तब शून्य था, कुछ भी नहीं था। अकाल था। न मिट्टी, न पानी, न हवा, न आकाश, न प्रकाश और न अंधकार तब स्थिति कैसी थी?
जल संवर्धन के लिए ऋण योजना
Posted on 31 Dec, 2009 07:11 PM

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने मध्य प्रदेश के किसानों को निजी भूमि में जल संवर्धन के कार्यों के लिए बैंकों द्वारा ऋण दिलाने की योजना बनाई है।

Handpump
पानी रोकने का सरल और सस्ता उपाय
Posted on 31 Dec, 2009 07:01 PM

अगर बरसात के बाद नदी-नालों से बहने वाले पानी का प्रभावी तरीके से संग्रहण किया जाय तो पानी कई गुना और ज्यादा मिलने लगेगा।

rainwater harvesting
निर्भर नहीं, आत्मनिर्भर !
Posted on 27 Dec, 2009 07:11 PM सामाजिक पुनरुत्थान का काम करने वालों या लोक सेवकों के बगैर नरेगा को एक ऐसी योजना में तब्दील करना मुश्किल है, जहां मांग के अनुरूप कार्य हो। वरना अभी जो ऊपर से थोपी गई कार्यप्रणाली चल रही है, वही बिना किसी जांच-परख के चलती रहेगी। पंचायत राज संस्थाओं को तकनीकी रूप से मजबूत बनाए बगैर ठेकेदारों को पिछले दरवाजे से घुसने से रोका नहीं जा सकेगा।राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) क्रांतिकारी जनपक्षधर विकास कार्यक्रमों का वायदा करती है। ग्राम सभा और ग्राम पंचायतों द्वारा उसकी योजना, क्रियान्वयन और जांच-परख से हजारों स्थायी रोजगार पैदा हो सकते हैं। लेकिन नरेगा की लड़ाई बरसों से चले आ रहे एक बुरे अतीत के साथ है। पिछले साठ सालों से ग्रामीण विकास की योजनाएं राज्य की इच्छा और सदाशयता पर ही निर्भर रही हैं। श्रमिकों को दरकिनार करने वाली मशीनों और ठेकेदारों को काम पर लगाते हुए इन योजनाओं को ऊपर से नीचे के क्रम में लागू किया गया, जो बुनियादी मानवाधिकारों का भी उल्लंघन था।

इन सबको बदलने के लिए ही नरेगा की शुरुआत हुई और इसमें कोई शक नहीं है कि नरेगा के वायदों ने भारत के गांवों में रहने वाले निर्धन लोगों के हृदय और दिमागों को बहुत सारी उम्मीद और अपेक्षाओं से रोशन किया है। लेकिन इस योजना के शुरू के तीन वर्षो से
मर रही हैं नदियां
Posted on 06 Nov, 2009 06:01 PM

‘विकास अप्सरा’ के चाहत में नर्मदा जल भोपाल पहुंचाने के लिए लंबी पाईपलाइन योजना और बिजली उत्पादन के नाम पर 183 बांधों की योजना पर काम चल रहा है। यह सब हो रहा है, प्रदेश की चंद बड़ी नदियों के दम पर। लेकिन क्या इन नदियों का पानी बचा रह पायेगा?

क्षिप्रा : सिमट रही आस्था
भोपाल: उपेक्षित बावडिय़ां
Posted on 03 Sep, 2009 09:51 AM

भोपाल। भोपाल की ऐतिहासिक विरासत, बावड़ियां बदहाल हो रही हैं। इन जलस्त्रोतों की सुध लेने वाला कोई नहीं। सरकार और स्थानीय प्रशासन राजधानी में पेयजल के लिए इधर-उधर हाथ-पैर मार रहे हैं लेकिन नाक के नीचे इन धरोहरों को अनदेखा किया जा रहा है।

जलवायु परिवर्तन और मध्यप्रदेश
Posted on 04 Jul, 2009 12:46 PM

क्या धरती बन रही है चिता?


मध्यप्रदेश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का सीधा असर देखा और महसूस किया जा सकता है। यह एक अहम अनाज उत्पादक इलाका रहा है पर यहां पिछले सात सालों में इसके चलते किसानों व पान उत्पादकों का जिंदगी बदल कर रख दी है। जलवायु परिवर्तन ने यहां कृषि आधारित आजीविका और खाद्यान्न उत्पादन पर खासा असर डाला है। मध्यप्रदेश के उत्तर-पूर्वी जिलों में पिछले 9 सालों में खाद्यान्न उत्पादन में 58 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। पिछले चार-पांच सालों में बेहद कम पानी बरसने या कई क्षेत्रों में सूखा पड़ने के चलते इस क्षेत्र के तकरीबन सभी कुएं सूख चुके हैं।
पानी के लिए युद्घ ?
Posted on 23 Jun, 2009 06:08 PM
वोट के पूरा हो जाने के बाद अब सूबा मध्यप्रदेश अलग तरह की समरभूमि बना हुआ है, जिसके केन्द्र में आम जन है और यह संघर्ष पानी की भारी कमी के चलते पनपा है । भोपाल के नजदीक के गांव कंसया में सरपंच गोकुल सिंह एवं उसके सहयोगियों के हमले में हुई एक युवक की मौत इसका ताजा उदाहरण बनी है । अकेले भोपाल जिले में लोगो के बीच ऐसे हिंसक झड़पों में चार लोग मारे गए है । और अगर पूरे सूबे के आंकडो को देखें तो विभिन्न प
शहरी गरीबों के लिए पानी और स्वच्छता पर राष्ट्रीय कार्यशाला
Posted on 12 Mar, 2009 08:24 PM

वाटर एड, यूएन हैबिटाट और मध्य प्रदेश सरकार संयुक्त रूप से शहरी गरीबों के लिए जल और स्वच्छता पर, एक तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला भोपाल में 5 से 7 मार्च 2009 को आयोजित की।

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