स्वच्छता उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए लोगों की भागीदारी महत्वपूर्ण है

स्वच्छ भारत मिशन
स्वच्छ भारत मिशन

स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष के दौरान महात्मा गांधी ने या प्रसिद्ध उक्ति कही थी स्वच्छता स्वतंत्रता से अधिक महत्वपूर्ण है यह मानते हुए कि हमारे राष्ट्र के उज्जवल भविष्य की यात्रा हमारे परिवेश की स्वच्छता और हमारे लोगों के कल्याण के साथ शुरू होनी चाहिए।  

1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भारत में समृद्ध भविष्य के निर्माण की दिशा में अपनी ऊर्जा लगाते हुए एक असाधारण यात्रा शुरू की प्रगति की इस पद पर असंख्य चुनौतियों में से एक बड़ी चुनौती है स्वच्छता की चुनौती आर्थिक वृद्धि और सामाजिक विकास के लिए प्रयास करने के बावजूद खुले में शौच और अपर्याप्त स्वच्छता सुविधाओं की चुनौती देश के स्वास्थ्य और गरिमा पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है इस गंभीर मुद्दे के जवाब में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की या एक दूरदर्शी अभियान था जो राजनीतिक सीमाओं को पार कर गया और स्वच्छ तथा स्वस्थ भारत के लिए आशा की किरण बन गया पिछले एक दशक में इस मिशन के प्रति अच्छी प्रतिक्रिय मिली है।  जिससे उल्लेखनीय परिवर्तन आया है देश को व्यवस्थित कर देने वाली खुले में शौच की व्यापक समस्या को हाल ही में काफी हद तक काम कर दिया गया है व्यवहार परिवर्तन, लाखों शौचालयों के निर्माण और व्यापक सार्वजनिक भागीदारी पर जोर देने के साथ पूरे देश ने 2019 तक खुले में शौच से मुक्त होने की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली। भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग के सचिव सुश्री विनी महाजन ने रोजगार समाचार को दिए गए एक विशेष  साक्षात्कार में भारत में स्वच्छता की परिवर्तनकारी यात्रा और स्वच्छ तथा स्वस्थ भविष्य को सुरक्षित करने के लिए चल रहे मिशन पर बातचीत की। रोजगार समाचार की ओर से उनसे बात की प्रस्तुत मुख्य अंश।   

प्रश्न :- स्वच्छ भारत मिशन की स्थापना के नौ वर्ष पूरे होने के बाद पिछले एक दशक में इस मिशन के प्रति क्या प्रतिक्रिया रही है ? 

उत्तर:- स्वच्छता में कई आयाम शामिल है और एक महत्वपूर्ण पहलू खुले में शौच है जो 2014 तक भारत में जारी रहा वैश्विक स्तर पर खुले में शौच को स्वच्छता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मुद्दा माना गया है विश्व के सतत् विकास लक्ष्यों में से एक सार्वभौमिक रूप से सुरक्षित  पेयजल और स्वच्छता सुनिश्चित करना है जिससे माल कीचड़ प्रबंधन पर विशेष जोर दिया गया है एक दशक पहले ही अनुमान लगाया क्या था कि दुनिया भर में खुले में शौच के लगभग 60% मामले भारत में होते थे स्वच्छता आंतरिक रूप से स्वस्थ और आर्थिक कल्याण दोनों से जुड़ी हुई है महिलाओं के लिए या महज सुविधा से परे सम्मान और सुरक्षा का मामला बन गया है इस संदर्भ में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को कार्रवाई के लिए एक  स्पष्ट आवाहन जारी करने के लिए प्रेरित किया जिसमें राष्ट्र से स्वच्छता या सफाई को अपनाने का आग्रह किया गया। कार्रवाई के इस आवाहन में प्राथमिक चुनौतियों में से एक देश में खुले में शौच का उन्मूल्य था हालांकि यह एक विकट चुनौती थी क्योंकि 40% से भी काम ग्रामीण परिवारों के पास शौचालय की सुविधा थी जिसके कारण व्यवहार में बड़े  बदलाव की आवश्यकता थी इस पहल के परिणाम स्वरुप पूरे भारत में 10 करोड़ से अधिक शौचालय का निर्माण हुआ और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह  है कि  लोगों को इन सुविधाओं का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया गया 2019 तक पूरे देश ने खुले में शौच से मुक्त होने का मुकाम हासिल कर लिया था यह बहुत ही कम समय में एक उल्लेखनीय ने उपलब्धि है जिस पर पूरा देश गर्व कर सकता है  

प्रश्न:- इस वर्ष का स्वच्छता ही सेवा अभियान कचरा मुक्त भारत विषय पर केंद्रित है इस पहल की आकांक्षाएं क्या है ?

उत्तर:-  लोगों के लिए प्राथमिक चिंता कूड़े के बड़े ढेरों की उपस्थिति है परिणाम स्वरूप इस वर्ष हमारा ध्यान भारत को कचरा मुक्त बनाने की दिशा में आगे बढ़ने पर है इस लक्ष्य को प्राप्त करने में नागरिक सहभागिता महत्वपूर्ण है  लोगों को स्रोत पर अपशिष्ट पृथक्करण के महत्व और कचरे को धन को परिवर्तित करने की अवधारणा को समझने की आवश्यकता है यह व्यावहारिक और प्राप्त करने योग्य उद्देश्य है।  

प्रश्न:-  क्या आप स्वच्छता ही सेवा पहल में जन आंदोलन और श्रमदान की अवधारणा को स्पष्ट कर सकती हैं ?

उतर:-  स्वच्छता ही सेवा पहल प्रधानमंत्री के स्वच्छता के दृष्टिकोण से उपजी है या उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि स्वच्छता केवल सरकार द्वारा संचालित प्रयास नहीं होने चाहिए बल्कि एक जन आंदोलन लोगों का आंदोलन होना चाहिए हमारे स्वच्छता उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए लोगों की भागीदारी महत्वपूर्ण है स्वच्छता ही सेवा पहल महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि के रूप में कार्य करती है कई मंत्रालय और विभाग वर्ष के दौरान किसी भी समय दो सप्ताह स्वच्छता पखवाड़ा के रूप में निर्धारित करते हैं हालांकि व्यापक सार्वजनिक भागीदारी वाला प्राथमिक कार्यक्रम सितंबर के दूसरे भाग में होता है जिसे  स्वच्छता पखवाड़ा के नाम से जाना जाता है।  

इस अवधि के दौरान लोगों का श्रमदान में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए शायरी और ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रयास किए जाते हैं जिसमें सार्वजनिक स्थानों  जल निकायों , समुद्र तटों की सफाई और कई अन्य गतिविधियों शामिल होती हैं इसके अतिरिक्त स्वच्छता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए रैलियों  और प्रतिज्ञाओं जैसे विभिन्न जन अभियान और गतिविधियां आयोजित की जाती है यह सभी प्रयास स्वैच्छिक है जिनका उद्देश्य लोगों को इस प्रयास में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करना है।  

प्रश्न:-  स्वच्छता ही सेवा पूरे रूप से विशेष फोकस पखवाड़े पर क्या प्रतिक्रिया रही है

उतर:- पखवाड़े में महत्वपूर्ण परिणाम देखने को मिले इस वर्ष यह  1 अक्टूबर 1 घंटे के आसाधारण प्रयास के रूप पर संपन्न हुआ जहां प्रधानमंत्री ने प्रत्येक नागरिक से सुबह 10 से 11:00 तक किसी सार्वजनिक स्थान पर सफाई गतिविधियों में शामिल होने के लिए स्वेच्छा से एक घंटा समर्पित करने का आह्वान किया सभी राज्य और केंद्र प्रशासित प्रदेशों ने इसमें पूरे दिल से भाग लिया या सुनिश्चित करते हुए  प्रत्येक गतिविधि को सार्वजनिक रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए एक समर्पित पोर्टल पर प्रलेखित किया गया था 02 अक्टूबर को समाप्त होने वाला इस पखवाड़े के दौरान 100 करोड़ से अधिक लोगों ने भागीदारी की प्रतिदिन औसतन 6 करोड़ से अधिक प्रतिभागी स्वच्छता संबंधित गतिविधियों में शामिल हुए जिनमें से लगभग आधे लोग वास्तविक सफाई में लगे रहे और शेष ने जागरूकता सृजन पर ध्यान केंद्रित किया।  

प्रश्न:-  पर्यटन के आर्थिक महत्व के ध्यान में रखते हुए पर्यटन स्थलों की स्वच्छता सूचित करने के लिए कोई विशेष विशिष्ट कार्यक्रम है ?

उत्तर:-  पेयजल और स्वच्छता विभाग कई वर्षों से प्रतिष्ठित स्थानों  के रूप में संदर्भित पर्यटन स्थलों की पहचान करने और  उनके रखरखाव के लिए पर्यटन मंत्रालय और सांस्कृतिक मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय संगठनों के साथ उनकी कॉर्पोरेट  सामाजिक जिम्मेदारी पल के तहत साझेदारी स्थापित की गई है पर्यटन स्थलों पर सुरक्षित स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए विश्व पर्यटन दिवस 27 सितंबर को एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की गई थी हम वर्तमान में ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के आकलन पर ध्यान केंद्रित करते हुए विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों और देश के अन्य हिस्सों में होटल और रिसॉर्ट के लिए दिशा निर्देश विकसित कर रहे हैं

प्रश्न:- खुले में शौच मुक्त ओडीएफ  (ODF ) राष्ट्रव्यापी पहल सिर्फ एक दशक पहले शुरू की गई थी आपके अनुसार पिछले दशकों में इस मुद्दे को प्राथमिकता न दिए जाने में किन कारकों का योगदान रहा ? 

उत्तर:-  प्राथमिकता  निर्धारण को ऐतिहासिक कमी को कई कारकों ने योगदान दिया पहले के समय में जब जनसंख्या घनत्व कम था खुले में शौच की समस्या को उतनी गंभीरता से नहीं देखा गया जितना कि समकालीन समय में है आर्थिक बाधाओं ने भी व्यक्तियों और समुदायों को इसे कम प्राथमिकता देने के लिए मजबूर किया होगा इसके अतिरिक्त सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थितियों ने जागरूकता  और कार्रवाई  में बाधा डालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हल के  के दिनों में प्रधानमंत्री द्वारा प्रदान किया गया पर्याप्त प्रोत्साहन निसंदेह इतने कम समय में हमने जो तीव्र प्रगति की है उसके लिए एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक है।

प्रश्न :-  खुले में शौच के संबंध में आवश्यक व्यवहार परिवर्तन को प्रेरित करने में ODF अभियान कितना प्रभावी है

उत्तर:-  2014 और 2019 के बीच बड़े पैमाने पर प्रयास किया गया जिसके परिणाम स्वरुप देश के  हर गांव कस्बे और शहर ने खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया। नए मकान और प्रवसन जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए इस उपलब्धि को कायम रखना आवश्यक है यह सुरक्षित करना प्रति आवश्यक है कि हर घर जिसमें नए घर भी शामिल है में शौचालय है और वह इसका उपयोग करते हैं और व्यवहार में परिवर्तन बना रहता है यह एक सतत्  प्रयास है और हमें अपनी उपलब्धियां पर गर्व है हम लगातार राज्यों के साथ जुड़े रहते हैं और किसी भी खामी को रोकने के लिए सतर्कता रखना का आग्रह करते हैं सतर्क- सतर्कता आवश्यक है।  

प्रश्न:-  ओडीएफ और ओडीएफ प्लस मॉडल क्या है?

उत्तर:-  किसी गांव को ओडीएफ तब घोषित किया जाता है जब हर घर स्कूल आंगनबाड़ी आदि में शौचालय का उपयोग होता है और खुले में शौच समाप्त हो जाता है अगले चरण में पूर्ण स्वच्छता शामिल है जिसे ओडीएफ प्लस यात्रा के रूप में जाना जाता है इस चरण में ठोस और तरल दोनों तरह के कचरे का उचित पृथक्करण और निपटान शामिल है जैविक कचरे से खाद बनाई जाती है और प्लास्टिक का पुनर्चक्रण किया जाता है यह अत्यंत एक मॉडल ओडीएफ  प्लस गांव बनता है

प्रश्न:-  क्या सफाई मित्रों स्वच्छता कार्यकर्ताओं के लिए अतिरिक्त कल्याणकारी उपाय है ? 

उत्तर:- सरकार सफाई कर्मचारियों और सफाई मित्रों के स्वास्थ्य और कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है शहरी क्षेत्र में जब सीवर अवरोध हो जाते हैं तो सीवर कर्मचारियों को कभी-कभी सीवर में प्रवेश करना पड़ता है जो जोखिमपूर्ण होता है अतीत में इससे कई मौतें भी हुई है या सुरक्षित करने के लिए व्यापक प्रयास किया जा रहे हैं कि सीवरों का रख-रखाव किया जाये।  जिससे मानव प्रवेश की आवश्यकता काम हो जब मरम्मत या रखरखाव के लिए सीवर के भीतर प्रवेश आवश्यक हो तो श्रमिकों  को इसके खतरों से बचने के लिए उचित रूप से प्रशिक्षित और सुरक्षा गियर से सुसज्जित सूचित किया जाना चाहिए।

प्रश्न:-  इन सभी पहलुओं के लिए दीर्घकालिक स्थिरता की आवश्यकता है आप इन कार्यक्रमों की स्थिरता सुनिश्चित करने की योजना कैसे बनाते हैं खासकर वित्तीय दृष्टिकोण से ? 

उत्तर :- निश्चित रूप से वाहनों संसाधनो और  पुनः प्राप्ति केंद्रों आरआरसी के लिए वित्त पोषण सहित पूंजीगत व्यय की आवश्यकता है 15 में वित्त आयोग ने पानी और और स्वच्छता के लिए ग्रामीण स्थानीय निकायों को 60% धनराशि आवंटित की है।  पिछले तीन-चार वर्षो में स्वच्छता संबंधी गतिविधियों के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लगभग 1 लाख करोड रुपए वितरित किये गए है। स्थिरता सुनिश्चित  करने के लिए हमारा लक्ष्य स्वच्छता प्रक्रिया में एक आवश्यक हित  धारा के रूप में महिला स्वयं सहायता समूह को शामिल करना है सरकारी फंडिंग के अलावा उपयोगकर्ता शुल्क इन पहलों को बनाए रखने के लिए एक व्यावहारिक तरीका हो सकता है।  

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स्रोत : - रोजगार समाचार    

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Post By: Shivendra
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