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पानी नहीं बचा तो तय बर्बादी
Posted on 16 Jun, 2011 10:02 AM

यदि हम पानी की बर्बादी को तत्काल नहीं रोकेंगे तो खुद बर्बाद हो जाएंगे क्योंकि देश के अधिसंख्य इलाकों में भूगर्भ जल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है, लिहाजा ग्राउण्ड वॉटर की समस्या खड़ी हो रही है। तमाम जगहों पर बढ़ते जल प्रदूषण से भी आम लोगों की दुश्वारियां बढ़ रही हैं। इसलिए चिंतन की आवश्यकता है कि पानी को कैसे बचाया जाए और पानी को बर्बाद होने से कैसे रोका जाए?

उम्मीदों का मौसम मानसून
Posted on 16 Jun, 2011 09:05 AM मानसून भारतीय कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए तो बेहद अहम है हीं, भारत के लोक जीवन से भी गहरे जुड़ा है। यह गर्मी की तपिश से निजात दिलाता है और लोगों में उत्साह व खुशी का संचार करता है। मानसून से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विश्लेषण।
दर्द की दो रेखाएं
Posted on 10 Jun, 2011 09:28 AM

हाल के दो सर्वेक्षण बताते हैं कि अब गंगा का पानी कई जगहों पर नहाने के लायक़ भी नहीं रह गया है और यमुना में ऑक्सीजन की मात्रा बेहद कम हो गयी है। बाक़ी नदियों का हाल भी बुरा है। काशी से तन-मन की शुद्धि की धारणा पर विश्वास करने वालों को सदमा लग सकता है कि काशी की डुबकी उन्हें बीमार कर सकती है। काशी ही नहीं, अब अधिकतर जगहों पर गंगा का पानी नहाने के लायक भी नहीं रह गया है। यह किसी गंगा-प्रेमी की चिं

मानसून पर निर्भर मुस्कान
Posted on 10 Jun, 2011 09:19 AM

महंगाई की मार झेल रही आम जनता और किसानों के लिए अच्छी खबर है। मौसम विभाग ने इस वर्ष के अपने पहले पूर्वानुमान में मानसून के सामान्य रहने की भविष्यवाणी की है। विभाग ने इस साल करीब 98 फ़ीसदी बारिश होने का अनुमान लगाया है। मानसून 31 मई तक केरल पहुंच जायेगा।

अब इ-कोलाइ के बैक्टीरिया का कहर
Posted on 10 Jun, 2011 08:58 AM

कुछ माह पहले सुपरबग ने पूरी दुनिया को नये खतरे का अहसास कराया था। अब इ-कोलाइ का नया बैक्टीरिया सामने आया है। यूरोप में इसका फ़ैलाव बड़ी चिंता का कारण बन रहा है। यह खीरे के माध्यम से फ़ैला है और लोगों के पाचन तंत्र को विषैला कर रहा है। इससे सबसे ज्यादा जर्मनी प्रभावित हुआ है, जहां 17 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और दो हजार से अधिक लोग संक्रमित हो गये हैं।

प्रदूषण की भेंट चढ़ती गंगा
Posted on 09 Jun, 2011 11:13 AM

पिछले कुछ वर्षों में गंगा को स्वच्छ बनाने हेतु अनेक परियोजनाएं लागू की गई हैं लेकिन इसका प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा हैं। गंगा के प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाई कोर्ट भी अनेक बार दिशा-निर्देश जारी कर चुके हैं लेकिन इस बाबत अभी तक नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा है। गौरतलब है कि गंगा के किनारे अनेक शहर, कस्बे और गांव स्थित हैं। प्रतिदिन इस आबादी का लगभग 1.3 बिलियन लीटर अपश

मानसून और मेघदूतों से टूटता रिश्ता
Posted on 09 Jun, 2011 10:45 AM

तीन पैसे में सौ लीटर पानी कंपनियों को प्राप्त हो रही हैं, और हमसे कंपनियां एक लीटर का 15 रुपए वसूल कर रहीं हैं। मुनाफे के इस कारोबार के खिलाफ कोई आवाज सुनाई नहीं देता

संस्कारित सजगता के संकल्प का दिन
Posted on 06 Jun, 2011 12:24 PM

जो जितना ताकतवर है वह दूसरे के हिस्से का पर्यावरण उतनी ही तेजी से निगलता है। दिल्ली यमुना का पानी तो पीती है लेकिन कम पड़ जाए तो गंगा को भी निचोड़ लाती है। इंदौर पहले अपनी छोटी सी खान नदी को मार देता है फिर पानी के लिए नर्मदा पर कब्जा जमाकर बैठ जाता है। भोपाल पहले अपने विशाल ताल को कचरे से भर देता है फिर 80 किलोमीटर दूर बह रही नर्मदा से पीने के पानी की योजना बनाने लगता है।

सरकारी कैलेंडर में देखें तो पर्यावरण पर बातचीत 1972 में हुए संयुक्त राष्ट्र संघ के स्टॉकहोम सम्मेलन से शुरू होती है। पश्चिम के देश चिंतित थे कि विकास का कुल्हाड़ी उनके जंगल काट रहा है, विकास की पताकानुमा उद्योग की ऊंची चिमनियां, संपन्नता के वाहन, मोटर-गाड़ियां आदि उनके शहरों का वातावरण खराब कर रही हैं, देवता सरीखे उद्योगों का निकल रहा चरणामृत वास्तव में ऐसा गंदा और जहरीला पानी है जिसने उनकी सुंदर नदियों, नीली झीलों को काला-पीला बना दिया। यह बहस हर साल 5 जून को चरम पर पहुंच जाती है, क्योंकि यह दिन पर्यावरण के समारोहों के समापन और शुरुआत दोनों का होता है।जो देश थोड़ा अपने आपको पिछड़ा मान रहे थे उन्होंने इस बहस में अपने को शामिल करते हुए कहा कि ठीक है
Anupam Mishra
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