अशोक सिंह
एनवायरनमेंटल साइंसेज खोल रहा अवसर के नए द्वार (Job opportunities in environmental science)
Posted on 30 Apr, 2018 03:38 PM
औद्योगिक और विकास सम्बन्धी गतिविधियों के चलते प्राकृतिक संसाधन कम पड़ गए हैं और पर्यावरण का लगातार क्षरण हो रहा है। अब ऐसी तकनीक चाहिए, जिसमें प्रकृति का नुकसान कम-से-कम हो। एनवायरनमेंटल साइंसेज से जुड़े लोग ऐसे ही महत्त्वपूर्ण काम अंजाम देते हैं। बता रहे हैं सीनियर करियल कंसल्टेंट अशोक सिंह
कृषि आय बढ़ाने वाली कम लागत की तकनीकें
Posted on 03 Mar, 2018 12:45 PMकृषि क्षेत्र में भी ऐसी सम्भावनाओं की कमी नहीं है जिनसे सम्मानजनक आय की प्राप्ति की जा सकती है। केन्द्र और राज्य सरकारों की ओर से भी ऐसी योजनाओं और कार्यक्रमों का आयोजन समय-समय पर किया जाता है जिनका उद्देश्य कृषक समुदाय को आधुनिक कृषि तकनीकें अपनाने के लिये प्रेरित करना है। सीमान्त, छोटे और मझोले किसानों के लिये कृषि को लाभदायी बनाने, कम लागत की खेतीबाड़ी की तकनीकों, समेकित कृषि प्रणाली, खेती के साथ पशुपालन, शूकर पालन, मात्स्यिकी, मधुमक्खी पालन, रेशम उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, जैविक खेती, वैज्ञानिक खेती के विभिन्न आयामों आदि पर आधारित तमाम कृषि प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों एवं तकनीकों का विकास किया गया है।
इस वास्तविकता से इनकार नहीं किया जा सकता है कि आज भी हमारे देश में बहुसंख्यक किसान सीमान्त या लघु कृषकों की श्रेणी में आते हैं। मोटे तौर पर ऐसे कृषकों से आशय है एक हेक्टेयर से कम भूमि जोत वाले कृषक। इनमें से अधिकांश किसानों की पैदावार अपने परिवार के लिये गुजर-बसर करने लायक खाद्यान्न के उत्पादन तक ही सिमटी हुई है। सरप्लस उपज तो बहुत दूर की बात है- बाढ़, सूखा या अन्य विपदाओं के कारण किसानों के लिये कभी-कभी तो खेती की लागत भी निकालनी मुश्किल पड़ जाती है। अच्छी उपज मिल भी जाये तो उचित मूल्य मिलना मुश्किल होता है।फलों-सब्जियों जैसी शीघ्र खराब होने वाली फसलों को भी उन्हें मजबूरी में स्थानीय खरीददारों के हाथों में औने-पौने दामों में बेचना पड़ जाता है। ऐसे ही तमाम कारणों के कारण वर्तमान में किसान परिवार के बच्चे खेती को आय अर्जन का आधार बनाने से कतराते हैं और रोजगार की तलाश में शहरों की तरफ पलायन करने को कहीं बेहतर विकल्प समझते हैं।
विनाश से प्रभावित जीवन
Posted on 24 Jul, 2015 04:43 PMगाँव के लोग चाहते हैं कि जंगल के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिये ग्राग्रामीणों ने रची नई मिसाल
Posted on 04 Apr, 2015 02:33 PMएक तरफ जहाँ सन्थाल परगना में वन माफियों की बढ़ती सक्रियता से साल दर साल वन क्षेत्र कम पड़ते जा र