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परमाणु सुरक्षा
Posted on 31 Mar, 2014 11:11 AM जापान में जो कुछ हुआ है उसके बाद से चिंता और भी बढ़ गई है कि परमाण
संकट में खेती-किसानी
Posted on 31 Mar, 2014 10:29 AM सरकार की गलत नीतियों के कारण सिंचाई, घरेलू उद्योग, दस्तकारी और ग्रा
मुलाकात मौत के साथ
Posted on 30 Mar, 2014 04:06 PM परमाणु उद्योगों ने लोगों के सामने दुर्घटना के नतीजे को बखूबी न्यूनत
हमने ही आमंत्रित की है यह बाढ़
Posted on 30 Mar, 2014 03:48 PM बाढ़ की मार बढ़ने के तीन प्रमुख कारण हैं। पहला, हमारा नदी तट से बढ
आधुनिक शिक्षा में पर्यावरण : वर्तमान संदर्भ
Posted on 30 Mar, 2014 03:35 PM इस दुनिया को सुंदर बनाने व भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए हमें आज स
environment education
बढ़ता जल संकट मानवता के लिए चेतावनी
Posted on 30 Mar, 2014 09:45 AM

जल संकट नई बात नहीं है। यह लगातार बढ़ता जा रहा है। विकास के चाहे जितने बड़े-बड़े दावें किए जा रहे हों पर अब भी भारत के ही विभिन्न इलाकों में पानी का विकराल संकट है। लोगों को कई किलोमीटर दूर जाकर वहां से पीने के लिए पानी ले आना पड़ता है। कई इलाकों में जल स्तर इतना नीचे चला जा रहा है कि उसे खोज पाना मुश्किल होता जा रहा है। जहां पानी मिल भी जा रहा है वह इतना खराब होता है कि उससे कपड़े तक नहीं धोए जा सकते, पीने लायक तो वह कतई होता ही नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र की एक ताजा रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि आने वाले समय में जल संकट गहरा जाएगा। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सन 2025 तक दुनिया की करीब 3.4 अरब जनसंख्या गंभीर जल संकट से जुझ रही होगी। यह संकट अगले 25 सालों में और भी गहरा हो जाएगा। यह इतना गहरा हो जाएगा कि पानी के लिए लोग एक दूसरे की जान के दुश्मन हो जाएंगे। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जल संकट का सबसे खराब असर दक्षिण एशिया खासकर भारत पर पड़ सकता है। ऐसा यहां की भौगोलिक स्थितियों के कारण होगा।

वैसे तो यह रिपोर्ट जल दिवस के विशेष संदर्भ में तैयार और जारी की गई है लेकिन इसके कालातीत महत्व को समझने की आवश्यकता है।
चीन्हे-अनचीन्हे : दुश्मन कणों से लड़ाई
Posted on 29 Mar, 2014 01:20 PM

जागरुक और विज्ञानी लोग हमें यह जानकारी देकर डराते रहते हैं कि विश्व के ये भाग, ये देश, ये पहाड़

प्राकृतिक संसाधन : विकास की सीढ़ी
Posted on 29 Mar, 2014 12:24 PM देश की बढ़ती जनसंख्या के कारण कोयला, पेट्रोल एवं अन्य संसाधन निरंत
नई सदी में प्राकृतिक आपदाएं एवं चुनौतियां
Posted on 29 Mar, 2014 11:51 AM समय रहते हम अगर इन चुनौतियों को काबू में नहीं कर पाते हैं तो पूरी म
पर्यावरण और मानव कल्याण
Posted on 29 Mar, 2014 11:16 AM मैं पर्यावरण पर चर्चा करने से पहले प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंद पंत की पंक्तियां उद्धृत करना चाहूंगी, जो आज के संदर्भ में बिल्कुल फिट बैठती है-

छोड़ द्रुभों की मृदु छाया
तोड़ प्रकृति से भी माया,
बालेवेर बाल जाल में
कैसे उलझा दूं लोचन
भूल अभी से इस जग को।

- सुमित्रानंदन पंत
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