डॉ. शारदा प्रसाद

डॉ. शारदा प्रसाद
पर्यावरण और मानव कल्याण
Posted on 29 Mar, 2014 11:16 AM
मैं पर्यावरण पर चर्चा करने से पहले प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंद पंत की पंक्तियां उद्धृत करना चाहूंगी, जो आज के संदर्भ में बिल्कुल फिट बैठती है-

छोड़ द्रुभों की मृदु छाया
तोड़ प्रकृति से भी माया,
बालेवेर बाल जाल में
कैसे उलझा दूं लोचन
भूल अभी से इस जग को।

- सुमित्रानंदन पंत
×