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पर्यावरण एवं सूचना तकनीक
Posted on 11 Apr, 2014 10:42 AM जीवन को निर्मित करने में पर्यावरण मानव अहम् भूमिका निभाता है। पर्या
सामाजिक-आर्थिक पर्यावरण संवर्धन विकास का आधार
Posted on 11 Apr, 2014 10:18 AM

पर्यावरण को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से क्षति पहुंचाने वाला एक अन्य महत्वपूर्ण कारक है-आवास।

विश्व तापमान में वृद्धि : समस्या और समाधान
Posted on 11 Apr, 2014 09:59 AM ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए यह भी एक कारण है, जो क्लोरीन और कार्बन के
seal
भारत में जलवायु परिवर्तन
Posted on 11 Apr, 2014 09:39 AM जी-20 सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए पश्चिमी देश स्वच
घोषणापत्रों में अर्थाभास और पर्यावास
Posted on 09 Apr, 2014 03:49 PM दरअसल, प्राकृतिक संसाधनों का व्यवसायीकरण रोकना, अंधाधुंध कारपोरेट
water pipeline
प्लास्टिक की उपयोगिता एवं पर्यावरणीय प्रभाव
Posted on 09 Apr, 2014 11:38 AM तमाम खूबियों वाला यही प्लास्टिक जब उपयोग के बाद फेंक दिया जाता है त
मानवीय भावों का उद्दीपक : पर्यावरण
Posted on 09 Apr, 2014 11:22 AM

पर्यावरण मनुष्य के जीवन को संतुलित एवं नियंत्रित रखता है। प्रकृति प्रदत्त समस्त उपादानों के साथ

पर्यावरण : व्यक्तिगत और पारिवारिक उत्तरदायित्व
Posted on 09 Apr, 2014 10:36 AM पर्यावरण को प्रदूषण रहित बनाने के लिए भारत सरकार भरसक प्रयास कर रही है। अनेक स्वयंसेवी संस्थाएं भी इस समस्या को दूर करने में प्रयासरत हैं। लेकिन इन सबसे अधिक पर्यावरण के प्रति हम सबकी ज़िम्मेदारी है। पर्यावरण की इस दुर्दशा के हम और हमारी बढ़ती जनसंख्या उत्तरदायी है, फलतः इसे बेहतर बनाना भी हमारा कर्तव्य है। यहां कुछ ऐसे उपाय सुझाए गए हैं, जिन पर आचरण करना हम सब नागरिकों का परम कर्तव्य है। इन उपायो
नदी और आदमी
Posted on 08 Apr, 2014 03:50 PM
नदी निश्चल बहती है
इसका अर्थ
यह तो नहीं कि वह कुछ नहीं कहती।
बहुत कुछ कहती है तब
जब जानलेवा गरमी में
प्यास से बदहाल
हम निहारते हैं उसे।
स्वाद लेते हैं उसके
ममतामयी शीतल नीर का।
वह कहती है तब भी
जब हम चखते हैं
उसके अमृत से सिंचित
पेड़ के मीठे सुस्वादु फल को।
चलाना हो कल-कारखाने
या विपुल विद्युत उत्पादन
नदियां हमें बचानी होंगी
Posted on 08 Apr, 2014 03:49 PM
देखों नदियां धधक रही हैं,
हमको आगे आना होगा।
तालाब कुएं सब सूख रहे हैं
इनको हमें बचाना होगा।
निर्मल-निर्मल पानी है देखो,
हमकों क्या-क्या नहीं देते हैं
इनसे ही जीवन है अपना,
अमृत रस ये देते हैं,
गंदगी का है परचम भारी
हमें इसे मिटाना होगा।
देखों नदियां धधक रही हैं,
हमको आगे आना होगा।
नदियों से ही पानी मिलता,
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