Term Path Alias
/regions/india
/regions/india
नव उदार आर्थिक नीतियों और तंत्र के सहारे गंगा की सफाई की चाहे जितनी भी योजनाएं चलाई जाएंगी, उसक
ये विकास है या विनाश है,
सोच रही इक नारी।
संगमरमरी फर्श की खातिर,
खुद गई खानें भारी।
उजड़ गई हरियाली सारी,
पड़ गई चूनड़ काली।
खुशहाली पे भारी पड़ गई
होती धरती खाली।
ये विकास है या....
विस्फोटों से घायल जीवन,
ठूंठ हो गये कितने तन-मन।
तिल-तिल मरते देखा बचपन,
हुए अपाहिज इनके सपने।
मालिक से मजदूर बन गये,
हाय! समय ये कैसा आया,
मोल बिका कुदरत का पानी।
विज्ञान चन्द्रमा पर जा पहुंचा,
धरा पे प्यासे पशु-नर-नारी।
समय बेढंगा, अब तो चेतो,
मार रहा क्यों पैर कुल्हाड़ी?
गर रुक न सकी, बारिश की बूंदें,
रुक जाएगी जीवन नाड़ी।
रीत गए जो कुंए-पोखर,
सिकुड़ गईं गर नदियां सारी।
नहीं गर्भिणी होगी धरती,
बांझ मरेगी महल-अटारी।