भूमिगत जल में रेडॉन का जहर

भारत के बेंगलुरु, मध्य प्रदेश के किओलारी नैनपुर, पंजाब के भटिंडा एवं गुरदासपुर, उत्तराखंड का गढ़वाल, हिमाचल प्रदेश एवं दून घाटी के भूमिगत जल में रेडॉन-222 के मिलने की वैज्ञानिक पुष्टि हुई है।

बेंगलुरु शहर के भूमिगत जल में रेडॉन की मात्रा सहनशीलता की सीमा 11.83बीक्यू/लीटर से ऊपर है। कहीं-कहीं यह सौ गुना अधिक है। यहां पर रेडॉन की औसत मात्रा 55.96 बीक्यू/लीटर से 1189.30 बीक्यू/लीटर तक पाई गई है।

बेंगलुरु शहर में भूमिगत जल की तुलना में सतही जल में कम रेडॉन पाए गए क्योंकि वायुमंडल के संपर्क में रहने के कारण यह गैस जल से वायुमंडल में आसानी से घुल जाती है। बेंगलुरु शहर के कैंसर रोगियों में से इस वक्त 10.5 फीसदी लोग लंग कैंसर और करीब 13.5 फीसदी लोग पेट के कैंसर से जूझ रहे हैं। जानकारों की मानें तो पानी में रेडॉन की मात्रा बढ़ने का कारण जमीन में मौजूद ग्रेनाइट है।

मध्य प्रदेश के मंडला के किओलारी-नैनपुर जगह के भूमिगत जल में रेडॉन के साथ यूरेनियम की भी मात्रा पाई गई है। यूरेनियम की औसत मात्रा 13 पीपीबी (पार्ट्स पर बिलियन) से 4500 पीपीबी तक पाई गई है। यहां के 13 गांव में यूरेनियम की मात्रा खतरनाक स्थिति को पार कर चुकी है। 6 गांव में रेडॉन की औसत मात्रा 34,151 इ./3 से 1,146,075 इ./3 तक पाई गई है। इन सारे जगहों को काफी अधिक मात्रा के बैकग्राउंड रेडीएशन वाला स्थान घोषित किया गया है।

पंजाब के कई क्षेत्रों, विशेषकर मालवा इलाके में भूजल और पेयजल में यूरेनियम पाए जाने की पुष्टि हो गई है। इस खतरनाक भारी धातु के कारण पंजाब में छोटे-छोटे बच्चों को दिमागी सिकुड़न और अन्य विभिन्न तरह की जानलेवा बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। पंजाब के भटिंडा क्षेत्र के भूमिगत जल में भी रेडॉन की मात्रा पाई गई है। भटिंडा शहर में रेडॉन की मात्रा गुरदासपुर शहर से कम है। भटिंडा के भूमिगत जल में रेडॉन की मात्रा 3.6 इ./लीटर से 3.8 इ./लीटर है।

एक अन्य शोध के अनुसार भटिंडा जिले के 24 गांवों में किए गए अध्ययन के मुताबिक कम-से-कम आठ गांवों में पीने के पानी में यूरेनियम और रेडॉन की मात्रा 400 इ./लीटर के सुरक्षित स्तर से कई गुना अधिक है, इनमें संगत मंडी, मुल्तानिया, मुकंद सिंह नगर, दान सिंहवाला, आबलू, मेहमा स्वाई, माल्की कल्याणी और भुंदर शामिल है।

1999 से इस क्षेत्र में कैंसर के कारण हुई मौतों में बढ़ोतरी हुई है और तात्कालिक तौर पर इसका कारण यूरेनियम और रेडॉन ही लगता है। जिन गांवों में कैंसर की वजह से अधिकतम और लगातार मौतें हो रही हैं, वहां के पानी के नमूनों में यूरेनियम नामक रेडियोएक्टिव पदार्थ की भारी मात्रा पाई गई है।

हरियाणा के भिवानी जिले और साथ लगे हुए भटिंडा जिले में स्थित तुसाम पहाड़ियों की रेडियोएक्टिव ग्रेनाइट चट्टानों के कारण ही इस क्षेत्र के भूजल में यूरेनियम और रेडॉन की मात्रा पाए जाने की आशंका जताई गई है।

फरीदकोट के 149 बच्चों के बालों के नमूनों में यूरेनियम सहित अन्य सभी हेवी मेटल, सुरक्षित मानकों से बहुत अधिक पाए गए हैं। यह निष्कर्ष जर्मनी की प्रख्यात लेबोरेटरी माइक्रोट्रेस मिनरल लैब द्वारा पंजाब के बच्चों के बालों के नमूनों के गहन परीक्षण के पश्चात सामने आया है।

मस्तिष्क की विभिन्न गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लगभग 80 प्रतिशत बच्चों के बालों में घातक रेडियोएक्टिव पदार्थ यूरेनियम की पुष्टि हुई है और इसका कारण भूजल और पेयजल में यूरेनियम का होना माना जा रहा है।

हरियाणा के भिवानी जिले और साथ लगे हुए भटिंडा जिले में स्थित तुसाम पहाड़ियों की रेडियोएक्टिव ग्रेनाइट चट्टानों के कारण ही इस क्षेत्र के भूजल में यूरेनियम और रेडॉन की मात्रा पाए जाने की आशंका जताई गई है। फरीदकोट के 149 बच्चों के बालों के नमूनों में यूरेनियम सहित अन्य सभी हेवी मेटल, सुरक्षित मानकों से बहुत अधिक पाए गए हैं। यह निष्कर्ष जर्मनी की प्रख्यात लेबोरेटरी माइक्रोट्रेस मिनरल लैब द्वारा पंजाब के बच्चों के बालों के नमूनों के गहन परीक्षण के पश्चात सामने आया है। हिमालय प्रदेश के दून घाटी में रेडॉन की मात्रा अधिक पाई गई है। यहां पर रेडॉन की मात्रा 25-92 इ./लीटर है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू के कासोल प्रदेश में भी रेडॉन के अधिक मात्रा में होने की सूचना है। यहां के भूमिगत जल में औसत यूरेनियम की मात्रा 37.40 पीपीबी है। कर्नाटक के वराही एवं मार्कंडेय नदी प्रदेशों के भूमिगत जल में रेडॉन की मात्रा पाई गई है।

वायुमंडल की तुलना में भूमिगत जल में रेडॉन की मात्रा अधिक होती है। रेडॉन-222, रेडियम -226 के विघटन के फलस्वरूप बनता है। जिन चट्टानों में यूरेनियम की मात्रा अधिक होगी वहां के भूमिगत जलों में रेडॉन की मात्रा अधिक होगी। इन चट्टानों में ग्रेनाइट, पैग्मेटाइट एवं दूसरे अम्लीय चट्टान प्रमुख हैं।

भारत में जहां पर भी रेडॉन पाया गया है वहां पर इन चट्टानों की बहुलता है। रेडॉन एक जहरीला एवं रेडियोएक्टिव गैस है। इसके शरीर में पहुंचने से शरीर को हानि होती है। खासकर इसके अल्फा विकिरण से।

जिस घर के भूमिगत जल में रेडॉन की मात्रा मौजूद है वहां पर स्थिति और भी भयावह हो जाती है। एक तो जल से और दूसरा वहीं रेडॉन जब जल के माध्यम से वातावरण में आ जाता है और जब शरीर में प्रवेश करता है तो शरीर को दोगुना हानि पहुंचाता है। यह हवा के साथ मिलकर फेफड़े और पानी के साथ मिलकर पेट पर बेहद बुरा असर डालता है।

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Post By: Shivendra
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