दिलीप कुमार यादव

दिलीप कुमार यादव
जल से ही बचेगी जमीन
Posted on 07 Sep, 2014 12:30 PM
जल नहीं होगा तो कल नहीं होगा। यह स्लोगन संकेत देता है कि कृषि को बचाने के लिए भी जल को बचाना होगा। बरसात के जल का उपयोग खेती में किस तरह किया जा सकता है और मृदा को कैसे बचाया जा सकता है, अलनीनो जैसे संकटों से बचने के लिए भी यह जरूरी है। इन मुद्दों पर प्रकाश डाल रही है दिलीप कुमार यादव की रिपोर्ट।

.भूमि एवं जल प्रकृति द्वारा मनुष्य को दी गई दो अनमोल संपदा हैं, जिनका कृषि हेतु उपयोग मनुष्य प्राचीन काल से करता आया है। परंतु, वर्तमान में इनका उपयोग इतनी लापरवाही से हो रहा है कि इनका संतुलन बिगड़ गया है तथा भविष्य में इनके संरक्षण के बिना मनुष्य का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। मानसून की बेरुखी ने ऐसी संभावनाओं की प्रासंगिकता को और बढ़ाया है।

असल में हमारे देश की आर्थिक उन्नति में कृषि का बहुमूल्य योगदान है।

देश में लगभग 70 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि वर्षा पर निर्भर है। उत्तराखंड में तो लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है तथा लगभग 90 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि वर्षा पर निर्भर है।
क्यों मचा सूखे का कोहराम
Posted on 07 Sep, 2014 12:03 PM
मौसम की बेरुखी पर कोहराम मचा है। इसके बाद भी पंजाब, हरियाणा जैसे कई राज्यों में बासमती धान की अधिकांश रोपाई हो चुकी है। इन हालात में किसान किस तरह की फसलों को लगाएं ताकि उन्हें कम लागत में भरण-पोषण के लायक पैसा मिल जाए। इस मसले पर प्रकाश डालती विशेषज्ञों से वार्ता पर आधारित दिलीप कुमार यादव की रिपोर्ट।
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