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सिमटती नदियाँ, संकट में मानव सभ्यता
Posted on 08 Apr, 2016 02:28 PM
बहुत पुरानी बात है, हमारे देश में एक नदी थी सिंधु। इस नदी की घाटी में खुदाई हुई तो मोहन जोदड़ों नाम का शहर मिला, ऐसा शहर जो बताता था कि हमारे पूर्वजों के पूर्वज बेहद सभ्य व सुसंस्कृत थे और नदियों से उनका शरीर-श्वांस का रिश्ता था। नदियों के किनारे समाज विकसित हुआ, बस्ती, खेती, मिट्टी व अनाज का प्रयोग, अग्नि का इस्तेमाल के अन्वेषण हुए।
पवन ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में रोजगार के सुनहरे अवसर
Posted on 05 Apr, 2016 10:49 AM
बाड़मेर जैसे विशाल रेगिस्तानी क्षेत्र के 28,387 वर्ग कि.मी.
पारिस्थितिकी विकास की आवश्यकता
Posted on 04 Apr, 2016 04:18 PM
एक ओर जनसंख्या वृद्धि की विस्फोटक स्थिति बनी हुई है तथा दूसरी
वनों का महत्त्व, भारतीय अर्थव्यवस्था एवं संस्कृति के सन्दर्भ में
Posted on 04 Apr, 2016 03:52 PM
प्राचीन काल से ही भारत में वनों का आर्थिक एवं सांस्कृतिक महत्
पर्यावरण संरक्षा और आर्थिक विकास
Posted on 04 Apr, 2016 03:19 PM
आर्थिक विकास एक ओर तो जीवनस्तर में वृद्धि, करने के लिये कटिबद
भारी धातुओं से पर्यावरण प्रदूषण
Posted on 04 Apr, 2016 01:24 PM
विकासशील देशों में प्रतिवर्ष बीजों को उपचारित करने के लिये हज
पर्यावरण पर अपरम्परागत हथियारों का प्रभाव
Posted on 04 Apr, 2016 12:44 PM
लेखक के अनुसार लगातार पर्यावरण प्रदूषित होने के कारण नाभिकीय युद्ध से पूर्व ही महाविनाश का भयानक दृश्य उपस्थित हो सकता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यदि पर्यावरण में बढ़ते निरन्तर प्रदूषण को तेजी से कम करने का प्रयास नहीं किया गया तो 21वीं सदी के अन्दर ही महाप्रलय की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। अपरम्परागत एवं घातक हथियारों के प्रयोग ने न केवल मानवता को विनाश के कगार पर लाकर खड़ा किया है बल्क
नहर, पाइप वाटर सप्लाई, बाँध और वन विनाश हैं समस्या
Posted on 03 Apr, 2016 01:38 PM


स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद - 12वाँ कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है:

तो जल बिन तरसेगा कंठ
Posted on 03 Apr, 2016 09:37 AM
सूखता पानी, बरसती आफत : गर्मी की दस्तक के साथ सिमट रहे हैं देश में जलस्रोत
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