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22 अप्रैल कैसे बना पृथ्वी दिवस
Posted on 14 Apr, 2016 09:07 AM

22 अप्रैल 2016, पृथ्वी दिवस पर विशेष


भारतीय कालगणना दुनिया में सबसे पुरानी है। इसके अनुसार, भारतीय नववर्ष का पहला दिन, सृष्टि रचना की शुरुआत का दिन है। आईआईटी, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. बिशन किशोर कहते हैं कि “यह एक तरह से पृथ्वी की जन्मदिन की तिथि है। तद्नुसार इस भारतीय नववर्ष पर अपनी पृथ्वी एक अरब, 97 करोड़, 29 लाख, 49 हजार, 104 वर्ष की हो गई।

वैदिक मानव सृष्टि सम्वत् के अनुसार, मानव उत्पत्ति इसके कुछ काल बाद यानी अब से एक अरब, 96 करोड़, आठ लाख, 53 हजार, 115 वर्ष पूर्व हुई। जाहिर है कि 22 अप्रैल, पृथ्वी का जन्म दिवस नहीं है। चार युग जब हजार बार बीत जाते हैं, तब ब्रह्मा जी का एक दिन होता है। इस एक दिन के शुरू में सृष्टि की रचना प्रारम्भ होती है और संध्या होते-होते प्रलय।

earth day
मत्स्यपालन नीलक्रान्ति की दिशा में
Posted on 12 Apr, 2016 12:44 PM
कृषि के मुकाबले मछली-पालन विज्ञान अपेक्षाकृत नया विषय है। तत्
भूकम्प विज्ञान कार्यक्रम को प्राथमिकता
Posted on 12 Apr, 2016 12:19 PM
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने भूकम्प विज्ञान को एक प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के रूप में निर्धारित किया है। इसका उद्देश्य अनुसन्धान और समाज दोनों के प्रयोग के लिये उच्च कोटि का भूकम्प सम्बन्धी आँकड़ा तैयार करना है। इस कार्यक्रम के अधीन हिमालय क्षेत्र और प्रायःद्वीपीय शील्ड क्षेत्र में दो विशिष्ट परियोजनाएँ शुरू की गई।
आसान नहीं है जल संकट का निदान
Posted on 11 Apr, 2016 03:23 PM

आज देश के नौ राज्य भयंकर सूखे की चपेट में हैं। देश के 91 जलाशयों में पानी का स्तर लगातार

खतरनाक स्तर पर पहुँचता समुद्री जल
Posted on 10 Apr, 2016 04:21 PM
पृथ्वी के बढ़ते तापमान को लेकर वैज्ञानिकों द्वारा दी गई यह चे
इंजीनियरिंग में हमेशा विकल्प है : स्वामी सानंद
Posted on 10 Apr, 2016 03:31 PM


‘स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद’ का 13वाँ कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है:

.गंगा पर टेस्टिंग के लिये मनेरी-भाली पर पहली परियोजना बनाना तय हुआ। आईआईटी, कानपुर की तरफ से मैं भी 15 दिन के लिये ट्रेनिंग पर गया था। तकनीक ट्रेनी के तौर पर मेरा नाम था। प्रबन्धन प्रशिक्षु के तौर पर जेएल बत्रा और अशोक मित्तल गए थे। जेएल बत्रा तब कानपुर आईआईटी में थे। वह आईआईएम, लखनऊ के पहले डायरेक्टर बने।

1978-79 में मैंने मनेरी-भाली का पर्यावरण देखा है। मेरे मन में प्रश्न उठता है कि तब मैंने विरोध क्यों नहीं किया? दरअसल, तब मुझे यह एहसास ही नहीं हुआ कि इससे गंगा सूख जाएगी। तब तक मैंने टनल प्रोजेक्ट नहीं देखा था। मैंने डैम प्रोजेक्ट देखे थे; भाखड़ा..रिहन्द देखे थे। मुझे लगता था कि पढ़ाई-वढ़ाई से ज्यादा, अनुभूति होती है। वह अनुभूति तब नहीं थी।

टके सेर टमाटर
Posted on 10 Apr, 2016 12:47 PM
बुन्देलखण्ड व मराठवाड़ा-विदर्भ में किसान इस लिये आत्महत्या कर
फ्लोराइड की मार से कुबड़ापन
Posted on 10 Apr, 2016 10:03 AM
फ्लोराइड पानी से आँतों में अल्सर, पुरुषों में नपुसंकता व स्त्रियों में बार-बार गर्भपात की परेशानी होती है।
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