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मेरी कैलकुलेशन गलत निकली : स्वामी सानंद
Posted on 28 Mar, 2016 09:37 AM


स्वामी सांनद गंगा संकल्प संवाद - 11वाँ कथन आपके समक्ष पठन-पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है:

.अड्डे पर पहुँचकर हमने लखनऊ की बस पकड़ी। जब वह बस अगले स्टाॅप पर रुकी, तो पत्रकारों की टीम कैमरा लिये सामने थी। पता लगा कि जब मेरी और गुरुजी की बात हो रही थी, तो वहाँ अमर उजाला का कोई पत्रकार मौजूद था। उसी से सभी को सूचना मिली।

अर्जुन के पास फोन था। गुरुजी के पास फोन आया कि लौट आओ; फिर कहा कि अच्छा अब सन्यासी के कपड़े पहन लो।

पर्यावरण संरक्षण में महिलाओं की भूमिका
Posted on 27 Mar, 2016 04:12 PM
इतिहास गवाह है कि भारत की महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में पुरुषों
भारत में प्रदूषण नियंत्रण कानून
Posted on 27 Mar, 2016 03:13 PM
पर्यावरण संरक्षण में प्रदूषण नियंत्रण की भूमिका अत्यन्त महत्त
पर्यावरण पर तेजाबी वर्षा के खतरे
Posted on 22 Mar, 2016 04:27 PM
लेखक का कहना है कि तेजाबी वर्षा प्राकृतिक पर्यावरण को नष्ट करने में प्रमुख भूमिका निभा रही है और इसका प्रभाव एक स्थान विशेष पर नहीं होता बल्कि पड़ोसी देशों का वायुमण्डल भी इससे प्रदूषित होता है। लेखक के अनुसार वातावरण में बढ़ती सल्फर डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड गैसों की सान्द्रता से उत्पन्न तेजाबी वर्षा की रोकथाम बेहद जरूरी हैं यदि शीघ्र इस दिशा में प्रयास नहीं किये गए तो वह दिन दूर नह
क्यों बढ़ रहा है पृथ्वी का तापमान
Posted on 22 Mar, 2016 03:59 PM

आज जलवायु परिवर्तन तथा पृथ्वी पर उपजे संकट का समाधान खोजा जाना आवश्यक है, जो बहुत दुरूह न

विकास और पर्यावरण में सन्तुलन
Posted on 22 Mar, 2016 03:32 PM
पर्यावरण कानूनमानव जीवन की सभी गतिविधियों में से औद्
प्रदूषण व मानव
Posted on 22 Mar, 2016 11:42 AM
लेखक ने बढ़ते प्रदूषण पर चिन्ता प्रकट की है। आधुनिकता की अंधी दौड़ में हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं और यदि यही सिलसिला जारी रहा तो हमारा जीवन असाध्य रोगों से घिर जाएगा। लेखक का कहना है कि यदि प्रदूषण इसी गति से बढ़ता रहा तो इक्कीसवीं सदी के मानव का काल्पनिक चित्र कुछ इस प्रकार होगा- वह कंक्रीट के जंगल में पराबैंगनी किरणों से बचने के लिए अम्लरोधक तथा विशेष रसायनयुक्त प्लास्टिक के कपड़ों स
प्रदूषण की समस्या
Posted on 21 Mar, 2016 03:39 PM
लेखक का कहना है कि उद्योगों व वाहनों की बढ़ती संख्या ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है और प्रदूषण की समस्या दिन-पर-दिन विकराल रूप धारण करती जा रही है। लेखक ने इस लेख में वायु प्रदूषण तथा औद्योगिक प्रदूषण को रोकने के लिये सरकारी तथा गैर-सरकारी स्तर पर किये जा रहे कुछ प्रयासों पर प्रकाश डाला है।
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