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बुंदेलखंड (क्षेत्र)
झांसी के 82 एकड़ के प्राचीन लक्ष्मी-तालाब और 490 एकड़ के नगर-पार्क के अतिक्रमण पर कार्यवाही न करने पर', NGT ने कहा- क्यों न लिया जाए एक्शन
Posted on 04 Jan, 2023 11:56 AMझांसी। सरकार से लगातार अतिक्रमण की शिकायत से थक-हारकर एनजीटी के दरवाजे पर जाना मजबूरी बन गई है। झांसी के एडवोकेट बीएल भाष्कर, गिरजा शंकर राय, नरेन्द्र कुशवाहा की याचिका 165/2021 पर लगातार खेल जारी है। भूमाफियाओं के पक्ष में ‘झांसी विकास प्राधिकरण’ और प्रशासन का खेल जारी है। लगभग 16 एकड़ के नगरीय क्षेत्र के प्राचीन लक्ष्मीतालाब और 490 एकड़ के नगर-पार्क की भूमि पर बडे़ पैमाने पर अवैध कब्जे हैं। त
अब उन खरे तालाबों की खोज कौन करेगा?
Posted on 02 Jan, 2023 12:23 PMअनुपम मिश्र या हम सबके पमपम अब हमारे बीच नहीं हैं। वे चुपचाप चले गए। अनुपम का जिंदगी को जीने का तरीका भी यही था। टायर के सोल वाली रबर की चप्पल पहनकर जब ये चलते थे तो उनके पैर आवाज नहीं करते थे। अनुपम अपने सारे काम चुपचाप रहकर करते रहते थे। चुप रहकर काम करने को अनुपम ने अपने स्वभाव में कुछ इस तरह से पिरो लिया था कि अपने अंदर की 'तकलीफों को भी उन्होंने और किसी के साथ कभी नहीं बांटा।

ज्यौ पनहरिया भरे कुंआ जल, हांत जोर सिर नावै
Posted on 13 Jun, 2010 11:58 AMकबीर भजन
जैसे नटिया नट करत है, लंबी सरद पसारें
कुम्भकरन अधर चलत है, ऐसी सादन सादें।
माटी को वरतन बनो है, पानी मिलकर सानों,
विकसजात दिन एक में भैया, क्या राजा क्या रानी।
कहावतें/लोकोक्तियाँ
Posted on 13 Jun, 2010 10:59 AM1. सेत बरसें खेत भर, कारे बरसें पारे भर।जब उठें धुआंधारे, तब आंय नदिया नारे।
2. तीतर पारवी बादरी, विधवा काजर देय।
वे बरसे वे घर करें, ईमें नयी सन्देह
3. धूनी दीजे भांग की, बबासीर नहीं होय।
जल में घोलो फिटकरी, शौच समय नित धोय।
4. निन्नें पानी जो पियें, हर्र भूंजके खांय।
मैं सरजू जल भरन जात
Posted on 12 Jun, 2010 07:11 PMरसिया
रसिया बिन देखे मोये कल न परत
मैं सरजू जल भरन जात, मृदु मुस्क्या कें अंक भरे।
रसिक को देखे बिना मन में अशांति रहती है। मैं सरजू का जल भरने गयी तो उन्होंने मुस्कुराकर मुझे अपने हृदय से लगा लिया।
ख्याल
रतन कुंआ मुख सांकरे, अलबेली पनहार
अचला छोरें जल भरे, कोऊ हीन पुरस की नार
धीरें चलो पनहारी गगर छलके न तुमारी।
चौकड़िया
Posted on 12 Jun, 2010 05:30 PMसावन में मनभावन मोपै एसी विछरन डारीमोरी जा है बारी बैस, जाये कैसे सहो कलेश
आपुन छाये सौत के देश, न खबर लई।
भादों जल बरसे गंभीर,
मोरे उठे करेजें पीर
थर-थर कांपै मोर शरीर,
सुध बुध भूल गई।
गज उर ग्राह लड़े जल भीतर जब
Posted on 12 Jun, 2010 05:03 PMगज उर ग्राह लड़े जल भीतर जब।गज ने पुकार करी, करूणा से हरी की तब।
एक समय गज और ग्राह पानी के भीतर लड़े थे। तब गजराज ने प्रभु का स्मरण किया तो भक्त की करुणा भरी पुकार सुनकर प्रभु ने उसकी रक्षा की थी।
बांदकपुर नये धाम बनाये,
जागेसुर महराज
काहे की कांउर काहे को सीसा,
काहे को जल भर ल्याई
बंसा की कांउर कांच को सीसा,
जग में को पानी की सानी
Posted on 12 Mar, 2010 09:25 AMजग में को पानी की सानी, सब चीजें हरयानी।ई पानी से प्रगट भये हैं, ऋषि मुनि और ज्ञानी।
पानी की तरवार सीसते, तरवा जाय समानी।
बेपानी बेकार होत हैं, मानुस की जिन्दगानी।
पानी से सब होत नरायन, वहाँ से पैदा पानी।
फाग गणेश वंदना
Posted on 12 Mar, 2010 08:58 AMअरे हाँ देवा सेवा तुम्हारी ना जानों-गन्नेसा गरीब निवाज
अरे हाँ काहे के गनपति करो,
कहाँ देऊं पौढ़ाय-
अरे हाँ गोवर के गनपति करों,
पटा देऊ पौढ़ाय-
अरे हाँ देवा काहे के भोजन करों,
कहो देऊ अचवाय
अरे हाँ देवा दूध-भात भोजन करो,
गंगाजल अचवाय
कुआँ पूजन
Posted on 10 Mar, 2010 09:04 AMऊपर बदर घुमड़ाय री गोरी धना पनियां खों निकरीं।जाय जो कईयो उन राजा ससुर सें, अंगना में कुंअला खुदाव रे
तुमारी बहू पनियां खों निकरीं