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बुंदेलखंड (क्षेत्र)
ਗ੍ਰਾਮੀਣ ਰੀਆਲਿਟੀ ਸ਼ੋਅ- ਚੰਗੇ ਅਮਲ ਨੂੰ ਫੈਲਾਉਣ ਦਾ ਇੱਕ ਨਵਾਂ ਤਰੀਕਾ
Posted on 28 Jan, 2016 10:50 AMਖੇਤੀਬਾੜੀ ਵਿੱਚ ਚੰਗੀਆਂ ਤਕਨੀਕਾਂ ਨੂੰ ਵੱਡੇ ਪੱਧਰ ’ਤੇ ਫੈਲਾਉਣਾ ਹਮੇਸ਼ਾ ਹੀ ਇੱਕ ਚੁਣੌਤੀ ਰਹੀ ਹੈ| ਹਾਲਾਂਕਿ, ਭਾਰਤ ਦੇ ਬੁੰਦੇਲਖੰਡ ਖੇਤਰ ਦੇ ਇੱਕ ਛੋਟੇ ਜਿਹੇ ਪਿੰਡ ਰਾਜਾਵਰ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਸਮੁਦਾਇਕ ਰੇਡਿਓ ਦਾ ਉੱਤਮ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਵਿਕਾਸ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਸਮੂਹਿਕ ਪਰਿਵਰਤਨ ਦੀ ਇੱਕ ਪ੍ਰਕ੍ਰਿਆ ਦਾ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਨ ਕੀਤਾ ਹੈ| ਗ੍ਰਾਮੀਣ ਰਿਆਲਿਟੀ ਸਮੁਦਾਇਕ ਰੇਡਿਓ ਉੱਪਰ ਇੱਕ ਵਿਲੱਖਣ ਇੱਕ ਵਿਅਕਤੀ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਪੂਰੇ ਸਮੁਦਾਇ ਤੱਕ ਜ਼ਮੀਨ ਨੂੰ ਉਪਜਾਊ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਇੱਕ ਤਕਨੀਕ ਦੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਦਾ ਸ
चंबल नदी के जलस्तर के 10 फीट तक घटने से दुर्लभ जलचर खतरे में
Posted on 27 Jun, 2024 08:18 AMउत्तर प्रदेश के इटावा जिले में प्रवाहित देश की सबसे स्वच्छ चंबल नदी के जलस्तर के प्रचंड गर्मी में करीब 10 फुट के आसपास घटने से दुर्लभ जलचरों को खासी तादाद में नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है। इटावा जिले के उदी स्थित केंद्रीय जल आयोग के स्थल प्रभारी मनीष जैन बताते है कि इस माह चंबल नदी का जलस्तर 105.30 मीटर चल रहा है,एक सप्ताह से इसी अनुरूप जलस्तर टिका हुआ नजर आ रहा है जब की पिछले दस साल प
![चंबल नदी में भयानक रूप से गिर रहा जलस्तर](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-06/FB_IMG_1713837902719.jpg?itok=TN91HmB5)
केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड द्वारा अनुमोदित भूमिजल पुनर्भरण करने के तरीके व तकनीकें (भाग 1)
Posted on 01 Jun, 2024 08:09 PMकेंद्रीय भूमि जल बोर्ड ने आठवीं योजना से कृत्रिम जल भरण (Artificial Recharge) पर काफी अध्ययन करके विभिन्न तकनीकों की जानकारी दी है जो विभिन्न भौगोलिक एवं जमीन के नीचे की स्थितियों के लिए उपयुक्त हैं। शहरी क्षेत्रों (Urban-Areas) के लिए शहरी क्षेत्रों में कच्चा स्थान कम होने के कारण इमारतों की छत व पक्के क्षेत्रों से प्राप्त वर्षा-जल व्यर्थ चला जाता है। यह जल जलभृतों (Aquifer) में पुनर्भरित (Rec
![चेकडैम](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-06/Ground-water-recharge.png?itok=bLLs6ySr)
मध्यप्रदेश: लोगों की पहुंच से दूर क्यों हो रहा जल, कैसे होगा जल संकट हल
Posted on 02 May, 2024 04:56 PMजल धरती पर जीवन का आधार है। एक कहावत है कि, जल है तो कल है। यह कहावत दशकों से हमारे जिहन में समायी है। मगर, वास्तव में जल है तो हमारा आज है। यदि जल नहीं होगा तो कल का सवाल ही पैदा नहीं होगा। आज हम जल को उसी तरह तरसने लगे जैसे मछली तरसती है। जल संकट आज दुनियां का एक विकराल सवाल बना गया। जिसका हल समूची दुनियाँ तलाश रही है।
![चांदबर गांव में पानी का इंतजार करती महिलाएं और बच्चे](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-05/IMG-20240502-WA0029.jpg?itok=8rzm4S_D)
जलमोर्चे पर महिलाएं
Posted on 22 Apr, 2024 12:46 PMप्रकृति के सभी प्राणियों के जीवन में जल का इतना महत्त्व है कि जल के बिना जीवन संभव ही नहीं है। इसीलिए कहा जाता है कि जल ही जीवन है, जल है तो कल है। हड़प्पा से लेकर यूनान तक दुनिया की सभी प्राचीन सभ्यताएं और नगर नदियों के किनारे बसाए गए और इन सभी में जल संचयन, संग्रहण और प्रबंधन की वैज्ञानिक व्यवस्था के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। जल का महत्त्व समझाने के लिए सभी प्राचीन धार्मिक और अन्य अहम ग्रंथों
![जलमोर्चे पर महिलाएं](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-04/waterfront-women.jpg?itok=eUuJ4KVY)
पानी के लिए अब जरधोबा में नहीं होती लड़ाइयां : पहले था पानी के लिए हाहाकार, अब हर घर में साफ पानी
Posted on 26 Apr, 2023 02:08 PMमध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से सटे जरधोबा गांव एक साल पहले तक जल संकट से जुझ रहा था। गर्मी के दिनों में पानी को लेकर यहां मारपीट हो जाती थी। कुछ मामलों में ग्रामीणों ने एक-दूसरे के खिलाफ एफ.आई.आर.
![जरधोबा](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-04/Photo%20-%20Jardhoba%20-%20JJM%20-%201.jpg?itok=TfysOzLj)
झांसी के 82 एकड़ के प्राचीन लक्ष्मी-तालाब और 490 एकड़ के नगर-पार्क के अतिक्रमण पर कार्यवाही न करने पर', NGT नाराज
Posted on 04 Jan, 2023 11:56 AMझांसी। सरकार से लगातार अतिक्रमण की शिकायत से थक-हारकर एनजीटी के दरवाजे पर जाना मजबूरी बन गई है। झांसी के गिरजा शंकर राय, एडवोकेट बी.एल.
![सुना है, लक्ष्मी तालाब की सुंदरता पर करोड़ों कर्च हो चुके हैं। फोटो साभार- झांसी फोटोज](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-01/Laxmi-Talab-Jhansi.jpg?itok=mlhGidcd)
अब उन खरे तालाबों की खोज कौन करेगा?
Posted on 02 Jan, 2023 12:23 PMअनुपम मिश्र या हम सबके पमपम अब हमारे बीच नहीं हैं। वे चुपचाप चले गए। अनुपम का जिंदगी को जीने का तरीका भी यही था। टायर के सोल वाली रबर की चप्पल पहनकर जब ये चलते थे तो उनके पैर आवाज नहीं करते थे। अनुपम अपने सारे काम चुपचाप रहकर करते रहते थे। चुप रहकर काम करने को अनुपम ने अपने स्वभाव में कुछ इस तरह से पिरो लिया था कि अपने अंदर की 'तकलीफों को भी उन्होंने और किसी के साथ कभी नहीं बांटा।
![अनुपम मिश्र, गांधी शांति प्रतिष्ठान में। फोटो - सिविल सोसाइटी, लक्ष्मण आनंद](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-01/water_guru.869x568.jpg?itok=4HUKIPAm)