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बिहार
नदी बाढ़ को हम समझना ही नहीं चाहते
Posted on 17 Aug, 2024 09:38 PMमानव सभ्यता का विकास कृषि के तरीके विकसित होने के साथ हुआ, जो पानी के स्रोतों के आस-पास ही फली फूली। एक तरह से नदी घाटियाँ और बाढ़ के मैदान मानव- सभ्यता के केंद्र और सभ्यतागत उथल-पुथल के साक्षी रहे हैं। नदियों का जल और विस्तृत बाढ़ का इलाका सभ्य होते मनुष्य का मूल प्राकृतिक संसाधन और मानव जीवन के लिए बेहद आवश्यक रहा है। सालों भर पानी की सुलभता, उपजाऊ मिट्टी, सालाना बाढ़ से उर्वर मिट्टी की उपलब्
![बाढ़ (courtesy - needpix.com)](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-08/flooded-village-urbanflood.jpg?itok=OrJU0x8y)
गंगा व सोन समेत 22 नदियों का पानी नहाने के लायक नहीं
Posted on 27 Feb, 2024 06:06 PMसूबे को 22 नदियां जीवनदायिनी की बजाए बीमारी का मुख्य स्रोत बनती जा रही है। सूबे की जीवनरेखा कही जाने वाली नदियां राज्य को आधे से अधिक आबादी को प्रभाषित कर रही है। जाने-अनजाने में लोग आस्था के नाम पर नदियों के पानी उपयोग कर रहे हैं, लेकिन इससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ने की संभावना प्रबल हो गई है। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद् ने वर्ष 2023- 24 की वार्षिक रिपोर्ट में यह खुलास हुआ है। र
![गंगा व सोन समेत 22 नदियों का पानी नहाने के लायक नहीं](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-02/Ganga%20river.jpeg?itok=Eo4KMFIC)
राजगीर में जलसंकट : गर्म पानी के कुंड सूख रहे
Posted on 14 Feb, 2024 12:34 PMदक्षिण बिहार के नालंदा जिले की प्राकृतिक सौंदर्य की नगरी राजगीर तेजी से जल संकट में फंसती जा रही है और उसकी पहचान 22 कुंड और 52 जलधाराएं या तो सूख रही हैं, या सूखने के कगार पर हैं। बिहार का नालंदा जिला धर्म, अध्यात्म और अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के कारण फेमस है। यहां हर साल लाखों लोग घूमने आते हैं। नालंदा स्थित राजगीर बौद्ध, जैन और हिंदू धर्म के लिए खास है। यहां तीनों धर्मों से जुड़े धार्मिक स्थल
![गर्म पानी के कुंड](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-02/OIG1%20%286%29.jpeg?itok=wjvVbgJT)
गांव-गांव तक पहुँच रहा है पीने का साफ़ पानी
Posted on 05 Jan, 2024 03:45 PMदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के बेहतर स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में 'हर घर नल जल योजना' की शुरुआत की थी. इस योजना ने पिछले पांच वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों की तस्वीर बदल दी है. इसका सबसे सकारात्मक प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ा है. जो पहले से काफी बेहतर होने लगी है.
![गांव-गांव तक पहुँच रहा है पीने का साफ़ पानी](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-01/1704454208368.jpeg?itok=NVy7FeT0)
जलप्रबंधन का सामाजिक - ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य कोशी क्षेत्र के सन्दर्भ में
Posted on 15 Nov, 2023 01:19 PMवैसे तो कोशी क्षेत्र जल के मामले में हमेशा से आत्मनिर्भर रहा है लेकिन कभी-कभी अत्याधिक आत्मनिर्भरता भी नई त्रासदी को जन्म दे देता है। कोशी क्षेत्र में फैले अकुत जल संपदा का अगर सही प्रबंधन नहीं किया जाता तो आज कोशी वासी पहले की अपेक्षा कोशी की क्रूरता से ज्यादा विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर होते। प्राथमिक स्रोत जो कि अधिक प्रामाणिक और महत्वपूर्ण होते हैं के आधार पर 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध में
![जलप्रबंधन का सामाजिक - ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य कोशी क्षेत्र के सन्दर्भ में](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/Socio-historical%20perspective%20of%20water%20managemen.jpeg?itok=p44zhc2N)
भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : भूदान यज्ञ का रहस्य
Posted on 20 Oct, 2023 11:46 AMबिहार के बाद बाबा की यात्रा बंगाल पहुंची, जहां उसे ‘प्रेम यात्रा’ का नाम दिया गया। उत्कल में बाबा ने कहा कि बिहार के लोगों ने भूदान के काम में बहुत पराक्रम किया। अब आप लोग ग्रामदान के क्षेत्र में विशेष प्रयास करके दिखाएं। बाद में वैसे परिणाम ग्रामदान के क्षेत्र में वहां दिखे भी।
![भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : भूदान यज्ञ का रहस्य,Pc-सर्वोदय जगत](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-10/Bihar.png?itok=nlue8-fk)
एक दिवसीय नदी संवाद संगोष्ठी का आयोजन
Posted on 23 Jun, 2023 12:41 PMनदियां हमारी आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन का आधार है। भोग पर आधारित आधुनिक विकास नीति एवं समाज की उपेक्षा के कारण नदियां आज अपने अस्तित्व का संकट झेल रही हैं। सभ्यताएं नदियों के किनारे विकसित हुई है, लेकिन आधुनिक सभ्यता नदियों को मार रही है। नदियां हमारी जीवन रेखा हैं। इन्हें सुरक्षित एवं संरक्षित करना आज का युग धर्म है। इसलिए नदियों को बचाने व पुनर्जीवित करने के लिए अनेक व्यक्ति व
![एक दिवसीय नदी संवाद संगोष्ठी का आयोजन,PC-FREEPIC](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-06/%E0%A4%8F%E0%A4%95%20%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%A8%E0%A4%A6%E0%A5%80%20%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6%20%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A0%E0%A5%80%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%86%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%A8_0.png?itok=QEXGBpqp)
बिहार में भूगर्भीय जल संदूषण से पशुओं में फ्लोरोसिस से कुप्रभाव एवं बचाव के उपाय
Posted on 10 Apr, 2023 01:46 PMजल हमारी सभी प्राकृतिक संपत्तियों में सबसे कीमती है। जल के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। धरती पर जल के तीन प्राकृतिक स्रोत है। वर्षा जल, भूजल और सतही जल । पृथ्वी के समस्त जल का 96.5 प्रतिशत समुद्री जल है जो कि सतही जल के श्रेणी में आता है। पृथ्वी का 3.5 प्रतिशत जल ही ताजा पानी है जिसे धरती पर पशु और पौधे इस्तेमाल करते हैं।
![बिहार में भूगर्भीय जल संदूषण से पशुओं में फ्लोरोसिस से कुप्रभाव एवं बचाव के उपाय,pc-Fluoride Action Network](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-04/fluoride%20affected%20.jpg?itok=bVkgRhb3)