सुनीता नारायण
सुनीता नारायण
दुनिया को एक मंच पर लाने की दिक्कत
Posted on 10 Apr, 2018 06:27 PMपर्यावरण प्रदूषण की समस्या हाल के वर्षों में एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। इसक
वे पहले से हमें कपटी मान बैठे थे
Posted on 17 Dec, 2017 12:23 PMअगस्त 2003 में भारत एक बेहद असामान्य लड़ाई का गवाह बना। यह लड़ाई एक गैर लाभकारी संगठन और विश्व की ताकतवर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के बीच थी। उस वक्त जब सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट ने कोला ड्रिंक्स में कीटनाशक मिलने का अध्ययन जारी किया तब कोका कोला और पेप्सी जैसी कम्पनियों ने अपनी प्रतिद्वंद्विता भुलाकर हाथ मिला लिया। लेकिन लोगों के स्वास्थ्य की जीत हुई। सुनीता नारायण की किताब ‘कॉन्फ्
नामुमकिन नहीं प्रदूषण की जंग जीतना
Posted on 14 Nov, 2017 01:15 PMदिल्ली में हर सर्दियों में प्रदूषित घने कोहरे से जनजीवन पूरी तरह ठप हो जाता है। देश की राजधानी में प्रदूषण
उठाने होंगे स्थायी कदम
Posted on 12 Nov, 2017 11:39 AMपिछले साल दिल्ली स्मॉग चैंबर बनी तो तमाम बातें हुई, योजनाएँ बनी, बैठकों का दौर चला मगर हम चेते नहीं। लिहाजा फिर हालात वही बन गए हैं। दिल्ली विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हो चुकी है। यहाँ की हवा में शामिल जहरीले तत्व हमारी सेहत के लिये जानलेवा साबित हो रहे हैं। लेकिन अगर जनता और सरकारों का यही रवैया रहा तो आने वाले वक्त में यही स्थिति देश के अन्य हिस्सों की भी होने वाली है।
विरोध से ही निकलेगा रास्ता
Posted on 16 Oct, 2017 04:01 PM
पिछले महीने कूड़े का पहाड़ ढहने से दिल्ली में दो लोगों की मौत हो गई। कूड़े के ढेर को लैंडफिल (भराव क्षेत्र) नामक बेहतर शब्द दे दिया गया है। दिल्ली का यह भराव क्षेत्र 50 मीटर ऊँचा है। यह शहर के तीन भराव क्षेत्रों में एक है जो अपनी क्षमता काफी पहले ही पूरी कर चुका है। सब जानते थे कि यह कभी भी हादसे का सबब बन सकता है। आखिर ऐसा हो ही गया।
बढ़ती असुरक्षा
Posted on 24 Jul, 2017 11:39 AMहिमालय सम्भवतः कभी इतना अस्थिर नहीं था जितना आज मानसून के दौरान होता है। अब बरसात के मौसम में इसके शिखरों के बीच से सफर करने में न केवल त्रुटिहीन योजना बल्कि भाग्य पर जबरदस्त भरोसा की जरूरत होती है। भूस्खलन, नदियों की बाढ़ और ध्वस्त पुल तकरीकबन सामान्य घटनाएँ हो गई हैं। हिमालय का सबसे नौजवान पहाड़ होना और आज भी ऊपर उठ रहे होने से खराब मौसम और प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूस्खलन और भूकम्प सामान्य ची
मौसम विज्ञान की भूल-भूलैया मानसून
Posted on 23 Jul, 2017 01:15 PM
विश्व ने 1500 वर्षों से मौसम को ग्रीक खगोल विज्ञानी टोलेमी की आँखों से देखा